प्रधानमंत्री मोदी की सुरक्षा में चूक आखिर कितनी बड़ी मानी जाए? हजारों सुरक्षाकर्मियों की तैनाती के बावजूद मामले को इतना तूल क्यों दिया जा रहा है? तमाम आरोपों के बीच आइए जायजा लेते हैं कि आखिर हकीकत क्या है? इस पर राजनीति करने से ज्यादा सवाल उठने चाहिए कि आखिर जिम्मेदारी किसकी थी। पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने खेद जताने के बाद तथ्य भी बताए लेकिन अब पीएम के प्रोग्राम की छानबीन करके इस पर बात होना चाहिए।
प्रधानमंत्री का मिनट टू मिनट जो कार्यक्रम पंजाब के अफसरों को मिला था, उसमें बहुत स्पष्ट दर्ज है कि प्रधानमंत्री को दिल्ली से वायुसेना के विमान से सुबह 9.30 बजे उड़ना था और 10.25 पर बठिंडा आना था। फिर वहां से 10.25 पर फिरोजपुर रैली के लिए उड़ना था और किला चौक हेलीपैड पर उतरना था।
पीएम के इस प्रोग्राम को 4 जनवरी को पंजाब के टॉप रैंक के अफसरों को शेयर किया था।
भारत के प्रधानमंत्री देश के किसी भी हिस्से में जाते हैं तो वहां सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्य पुलिस या सीआईडी की नहीं होती है। वो प्रधानमंत्री की सुरक्षा टीम से टच में जरूर रहते हैं। पीएम की सुरक्षा में एनएसजी कमांडो के अलावा इंटेलीजेंस ब्यूरो (आईबी), मिलिट्री इंटेलीजेंस, एनएसए यूनिट, सेंट्रल पैरामिलिट्री के जवान समेत कई अन्य महत्वपूर्ण अधिकारी होते हैं। यह सुरक्षा पांच स्तरीय होती है। चूंकि मौजूदा प्रधानमंत्री मोदी को अंतरराष्ट्रीय दुश्मनों से खतरा है, इसलिए पीएम सुरक्षा टीम किसी मंत्री या मुख्यमंत्री को भी पीएम के पास फटकने नहीं देती, जब तक कि खुद मोदी किसी को नहीं बुलाते।
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पीएम की सुरक्षा टीम के अधिकारी राज्यस्तरीय अधिकारियों को न तो कुछ समझते हैं और न ही उन्हें किसी भी तरह का भाव देते हैं। यही वजह है कि आज जब पंजाब के आला अफसरों ने पीएम की टीम को दूसरे रास्ते से जाने की सलाह दी तो उन्होंने उसे नजरअंदाज कर दिया। मुख्यमंत्री चन्नी ने साफ शब्दों में कहा कि हमने उन्हें कार्यक्रम टालने की सलाह दी थी। लेकिन जब पीएम आ गए तो हमने उन्हें दूसरे रास्ते से जाने की सलाह दी थी। समझा जा सकता है कि खुद को बहुत सुपीरियर समझने वाले पीएम सुरक्षा के आला अफसरों ने पंजाब के अफसरों को झिड़क दिया होगा।
भारत के प्रधानमंत्री का दौरा देश में कहीं भी होता है तो कमांडो टीम और पीएमओ से जुड़े अफसर हफ्ता-दस दिन पहले ही उस इलाके में पहुंच जाते हैं। वे सारी सुरक्षा व्यवस्था अपने हाथ में ले लेते हैं। फिरोजपुर में ही तीन हेलीपैड बनाए गए थे, ताकि किसी तरह के हमले का मंसूबा बनाए बैठे तत्वों को चकमा दिया जा सके। पीएम का विमान तीनों हेलीपैड में से किस पर उतरेगा, इसकी जानकारी सिर्फ उस पायलट को या एनएसजी कमांडो के चीफ को होती है।
पंजाब लंबे समय तक अशांत रहा है। वहां आईबी का बहुत बड़ा नेटवर्क काम करता है। पाकिस्तान बॉर्डर करीब है। इसलिए पंजाब की संवेदनशीलता को देखते हुए केंद्रीय एजेंसियां पंजाब में बहुत सक्रिय रहती हैं। ऐसे में यह कैसे मुमकिन है कि आईबी समेत तमाम केंद्रीय एजेंसियों को पंजाब में चल रहे आंदोलन की जानकारी नहीं थी।
पीएम की सुरक्षा टीम के लोग एक हफ्ते से वहां मौजूद थे, क्या उन्होंने इस पर विचार नहीं किया कि पीएम का काफिला अगर सड़क मार्ग से गुजरेगा तो उसके सुरक्षा इंतजाम और सुरक्षा मानक क्या होंगे।
गृह मंत्रालय का यह कहना कि जब पंजाब के डीजीपी ने भरोसा दे दिया कि बठिंडा सड़क मार्ग क्लियर है, आप जा सकते हैं, तभी पीएम का काफिला वहां से रवाना हुआ। लेकिन सवाल यह है कि पीएम सुरक्षा टीम के पास आईबी के इनपुट क्यों नहीं थे कि उस रास्ते की स्थिति क्या है। पीएम सुरक्षा के अधिकारियों को डीजीपी पंजाब पर विश्वास करने की बजाय अपनी सूचनाओं पर भरोसा करना चाहिए था। पीएम की सुरक्षा एजेंसी अगर बठिंडा जिला बीजेपी नेताओं से ही संपर्क कर लेती तो उसे पता चल जाता कि उस रास्ते से पीएम के काफिले को ले जाना ठीक रहेगा या नहीं। बठिंडा में माला पहनाने को आतुर तमाम बीजेपी नेता उस रास्ते से निकले थे, कैसे संभव है कि वो वास्तविकता नहीं जानते थे।
किसको मिलेगी हमदर्दी
इस घटना से अब कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही राजनीतिक माइलेज लेना चाहते हैं। दोनों के बयानों से यह झलक भी रहा है। पंजाब में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने हैं। कांग्रेस शासित राज्य है।
दिल्ली वापस आने से पहले प्रधानमंत्री ने बठिंडा में ही पंजाब के अफसरों से जो कहा, उसी से राजनीति की खुशबू आ रही है। पीएम मोदी ने अफसरों से कहा - अपने सीएम को बता देना कि बहुत धन्यवाद कि मैं जिन्दा बचकर आ गया। प्रधानमंत्री के इस बोल से साफ है कि वो पंजाब के लोगों की सहानुभूति पाना चाहते हैं। प्रधानमंत्री के इस बयान के फौरन बाद बीजेपी का जो नेता जहां भी था, उसने बिना वास्तविकता जाने कांग्रेस पर अटैक शुरू कर दिया।
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चाहे वो बीजेपी शासित राज्य का सीएम हो या कोई केंद्रीय मंत्री हो, यहां तक छुटभैये बीजेपी नेता भी जबरदस्त बयानबाजी पर उतर आए।
कांग्रेस भी इसका राजनीतिक लाभ लेने में जुट गई। सीएम चन्नी के बयान से ही यह साफ हो गया। चन्नी ने कहा कि वो अपने किसानों पर लाठियां नहीं मारेंगे। वो इस मामले में किसी अधिकारी-कर्मचारी को सस्पेंड भी नहीं करेंगे। जांच करा देंगे। चन्नी का किसानों और कर्मचारियों की हमदर्दी पाने का यह साफ-साफ प्रयास है। लेकिन जिस आक्रामक ढंग से बीजेपी के नेताओं ने बयानबाजी की, कांग्रेसी ऐसा नहीं कर पाए।
पंजाब चुनाव के नतीजे अगले दो-ढाई महीनों में बता देंगे कि मोदी या चन्नी इस घटना से कितना माइलेज ले पाए। बहरहाल, पीएम की सुरक्षा में किसी भी तरह की चूक नहीं होना चाहिए और न ही इसे राजनीतिक हानि-लाभ के नजरिए से देखा जाना चाहिए। पहले ही यह देश दो प्रधानमंत्रियों के कीमती जीवन से हाथ धो बैठा है। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को यह पता करना चाहिए कि सड़क मार्ग से पीएम मोदी को ले जाने का फैसला किस अफसर का था?
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