उत्तर प्रदेश बीजेपी में हाल ही में चली तमाम सियासी चर्चाओं के बीच पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने बड़ा बयान दिया है। सिंह ने कहा है कि बीजेपी अगला विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में ही लड़ेगी। प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते उनके बयान के सियासी मायने हैं और यह संदेश भी है कि योगी के सियासी विरोधी किसी भ्रम में न रहें और चुनाव में योगी ही बीजेपी का चेहरा होंगे।
स्वतंत्र देव सिंह का बयान उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के उन बयानों के उलट है जिनमें वह कह चुके हैं कि पार्टी का चेहरा केंद्रीय नेतृत्व तय करेगा।
केशव प्रसाद मौर्य 2017 में बीजेपी की प्रचंड जीत के वक़्त प्रदेश अध्यक्ष थे और इस नाते मुख्यमंत्री की कुर्सी का हक़दार उन्हें ही माना जा रहा था लेकिन उन्हें उप मुख्यमंत्री पद से संतोष करना पड़ा था। मौर्य के समर्थक उन्हें मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग करते रहे हैं।
अहम है बयान
बहरहाल, स्वतंत्र देव सिंह का यह बयान इसलिए और अहम है क्योंकि गुरूवार को ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उन्हें और पार्टी के संगठन महामंत्री सुनील बंसल को दिल्ली बुलाया था। दिल्ली से लौटते ही स्वतंत्र देव सिंह का यह बयान देना कि चुनाव योगी के नेतृत्व में होगा, ‘प्रदेश बीजेपी में चेहरा कौन होगा’ को लेकर बने कुहासे को साफ करता है।
राजनीतिक घटनाक्रम से गर्माया माहौल
उत्तर प्रदेश में एक पखवाड़े पहले जबरदस्त राजनीतिक अनिश्चितता का माहौल बन गया था। बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बीएल संतोष लखनऊ के दौरे पर आए थे और उन्होंने पार्टी और आरएसएस के पदाधिकारियों के साथ बैठक की थी।
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लिफ़ाफे में क्या है?
यह घटनाक्रम सिर्फ़ इतना ही नहीं था बल्कि बीजेपी के प्रदेश प्रभारी राधा मोहन सिंह लखनऊ आए और विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित से मिले थे। राधा मोहन सिंह ने उन्हें एक लिफ़ाफा सौंपा था, इस लिफ़ाफे में क्या है, इसे लेकर कयास लगे थे। राधा मोहन सिंह की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल से भी मुलाक़ात हुई थी और तब भी कई तरह की सियासी चर्चाएं हुईं थीं।
इस बीच, योगी आदित्यनाथ अचानक दिल्ली पहुंचे थे और उन्होंने दो दिन यहां रुककर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह से मुलाक़ात की थी। इसके बाद योगी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से भी मिले थे।
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शर्मा को लेकर मची खलबली
इसी दौरान गुजरात कैडर के पूर्व आईएएस अफ़सर और प्रधानमंत्री मोदी के क़रीबी अरविंद कुमार शर्मा को लेकर चर्चा जोर-शोर से उठी कि शर्मा को जल्द ही न सिर्फ़ योगी कैबिनेट में शामिल किया जाएगा बल्कि वह डिप्टी सीएम भी बनेंगे। शर्मा जब जनवरी में पार्टी में शामिल हुए थे, उन्हें हाथों-हाथ एमएलसी भी बना दिया गया था और डिप्टी सीएम की चर्चा भी तभी से सियासी गलियारों में चल रही थी।
लेकिन ख़बर ये आई कि योगी आदित्यनाथ शर्मा के आने से ख़ुश नहीं हैं और उनका संदेश साफ है कि वह किसी नौकरशाह को उनके काम में दख़ल नहीं देने देंगे।
आरएसएस भी हुआ सक्रिय
कोरोना महामारी की दूसरी लहर में बीजेपी के कई बड़े नेता, मंत्रियों ने योगी सरकार के कामकाज पर खुलकर उंगली उठाई और कहा कि अफ़सर उनकी बात तक नहीं सुनते।
उत्तर प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी से मरते लोगों, गंगा में बहते शवों को लेकर योगी सरकार की खासी किरकिरी हुई तो आरएसएस हरक़त में आया और उसने उत्तर प्रदेश चुनाव को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक की। इसमें उत्तर प्रदेश के संगठन महामंत्री सुनील बंसल और संघ में नंबर दो दत्तात्रेय होसबोले भी मौजूद रहे।
इस बीच एक अफ़वाह लखनऊ से लेकर दिल्ली तक जोर से उड़ी कि योगी को बदला जा सकता है। लेकिन हिंदुत्व की राजनीति के मज़बूत ब्रांड बन चुके योगी के समर्थकों ने सोशल मीडिया पर उनके हक़ में जबरदस्त माहौल बना दिया और ये अफ़वाह सिर्फ़ अफ़वाह ही बन कर रह गयी।
इस सारी क़वायद से संदेश यह गया कि अगर योगी आदित्यनाथ को पार्टी नहीं भी बदलेगी तो कम से कम उत्तर प्रदेश 2022 के चुनाव में चेहरा बनाने में तो हिचक ही रही है।
लेकिन अब जब सूबे में संगठन के मुखिया स्वतंत्र देव सिंह ने यह बयान दे दिया है कि पार्टी योगी के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ेगी तो उन्होंने कार्यकर्ताओं तक भी यह पैगाम पहुंचाया है कि वे बिना किंतु-परंतु के और मुख्यमंत्री के चेहरे के झगड़े में पड़ने के बजाए पार्टी की जीत के लिए जोर लगाने में जुट जाएं।
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