महिला आरक्षण विधेयक में ओबीसी सब कोटा मुद्दे पर भाजपा दबाव में आ गई है। भाजपा के अंदर से भी ओबीसी सब कोटे की मांग हो रही है लेकिन भाजपा इस मांग को दबा रही है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राज्यसभा में गुरुवार को यह कहकर जवाब देने की कोशिश की भाजपा ने नरेंद्र मोदी के रूप में पहला ओबीसी प्रधानमंत्री दिया है। लेकिन नड्डा और पूरी मोदी सरकार वरिष्ठ पार्टी नेता और पूर्व सीएम उमा भारती को संतुष्ट नहीं कर पा रही है। उमा भारती ने मंगलवार को पीएम मोदी को इस संबंध में पत्र लिखा था। उमा भारती मध्य प्रदेश की प्रमुख ओबीसी नेता हैं। मध्य प्रदेश में इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव है।
पीटीआई के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में उन्होंने मांग की है कि महिला कोटे की आधी सीटें एससी/एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षित की जाएं और मुस्लिम समुदाय की पिछड़े वर्ग की महिलाओं को भी इसका लाभ मिले। उन्होंने यह पत्र उस दिन लिखा था, जिस दिन मंगलवार को यह विधेयक लोकसभा में चर्चा के लिए पेश किया गया था।
उमा भारती ने पीटीआई से कहा, "मुझे खुशी है कि महिला आरक्षण विधेयक पेश किया गया, लेकिन मैं कुछ हद तक निराश महसूस कर रही हूं क्योंकि यह ओबीसी महिलाओं के लिए आरक्षण के बिना आया है। अगर हम ओबीसी महिलाओं के लिए आरक्षण सुनिश्चित नहीं करते हैं, तो भाजपा में उनका विश्वास टूट जाएगा।" उमा भारती खुद ओबीसी नेता हैं और मध्य प्रदेश में ओबीसी वोट को भाजपा के पक्ष में प्रभावित करने की क्षमता रखती हैं। हाल ही में उनके भाई को इसी आधार पर सीएम शिवराज सिंह चौहान ने अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया था।
पीएम मोदी को लिखे पत्र में उमा भारती ने कहा, "विधायिका में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण एक विशेष प्रावधान है। यह तय किया जाना चाहिए कि इस 33 फीसदी में से 50 फीसदी एससी/एसटी और ओबीसी समुदाय की महिलाओं के लिए आरक्षित हो।" उन्होंने कहा कि पंचायती राज और स्थानीय निकायों में पिछड़े वर्ग की महिलाओं के लिए विशेष आरक्षण का प्रावधान पहले से ही है।
उन्होंने यह भी मांग की कि मंडल आयोग द्वारा पहचाने गए मुस्लिम समुदाय में पिछड़े वर्ग की महिलाओं के लिए भी प्रावधान हो। भाजपा नेता उमा भारती ने मोदी को याद दिलाया कि जब इसी तरह का विधेयक लोकसभा में पेश किया गया था (जब एच डी देवेगौड़ा प्रधान मंत्री थे) तो वह तुरंत इसका विरोध करने और बदलाव की मांग करने के लिए खड़ी हो गई थीं, और तब विधेयक को स्थायी समिति को भेज दिया गया था।
उमा भारती ने पत्रकारों से कहा, जब ओबीसी के लिए कुछ करने का समय आया तो हम (भाजपा) पीछे हट गए। उन्होंने कहा- "मुझे विश्वास था कि प्रधानमंत्री इसका ध्यान रखेंगे। मैंने सुबह (मंगलवार) पीएम को पत्र लिखा और बिल पेश होने तक चुप्पी साधे रखी। यह देखकर मुझे बहुत निराशा हुई कि बिल में ओबीसी आरक्षण नहीं है।" उन्होंने कहा, "मुझे निराशा हुई क्योंकि पिछड़े वर्ग की महिलाओं को जो मौका मिलना चाहिए था वह उन्हें नहीं दिया गया।"
लोकसभा में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने जब इस बिल पर बहस की शुरुआत की तो उन्होंने भी एससी, एसटी और ओबीसी की महिलाओं के सब कोटे की मांग की। सोनिया गांधी ने जाति जनगणना की भी मांग रखी। सोनिया ने कहा कि जब तक ओबीसी वर्ग की महिलाओं को इसमें आरक्षण नहीं मिलेगा, तब तक विधेयक का मकसद पूरा नहीं होगा। इसी तरह राहुल गांधी ने भी अपने भाषण में ओबीसी वर्ग को बिना आरक्षण दिए इस विधेयक को अधूरा बताया।
बहरहाल, यह साफ हो गया कि ओबीसी वर्ग की महिलाओं को सरकार इस कोटे के अंदर आरक्षण देने को राजी नहीं है, अन्यथा उसने बिल में इस तरह का प्रावधान जरूर किया होता। भाजपा में अच्छी खासी तादाद में ओबीसी नेता हैं। लेकिन पार्टी पर पकड़ उच्च जातियों की ज्यादा है। लेकिन उमा भारती और पूरे विपक्ष ने ओबीसी वाला मुद्दा उठाकर भाजपा की मुसीबत बढ़ा दी है। सपा, आरजेडी और कांग्रेस का स्टैंड ओबीसी पर एक जैसा है। भाजपा अभी तक कोई स्टैंड नहीं ले पाई है।
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