इसके संकेत शायद केसीआर यानी के चंद्रशेखर राव के पंजाब में आज के भाषण से भी मिल सकते हैं। केसीआर ने किसान नेताओं से अपील की है कि वे केंद्र के ख़िलाफ़ अपना आंदोलन तब तक जारी रखें जब तक उन्हें फ़सलों के समर्थन मूल्य पर संवैधानिक गारंटी नहीं मिल जाती। उन्होंने किसान नेताओं की यह कहकर हौसला अफजाई की कि 'किसान सरकारें बदल सकते हैं'।
तेलंगाना के सीएम गलवान घाटी संघर्ष में शहीद हुए सैनिकों और पिछले साल किसान विरोधी आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों को श्रद्धांजलि देने के लिए पंजाब में पहुँचे। उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के साथ मंच साझा किया। कार्यक्रम में किसान नेता राकेश टिकैत भी शामिल थे।
के चंद्रशेखर राव यानी केसीआर ने किसान नेताओं को अपनी मांगों के लिए राष्ट्रव्यापी आंदोलन के लिए एकजुट होने का आह्वान करते हुए कहा कि वह आम आदमी पार्टी जैसे अन्य विपक्षी दलों के साथ आंदोलन में शामिल होंगे और समर्थन करेंगे। उन्होंने उर्वरक की बढ़ती क़ीमतों, 'दोषपूर्ण' न्यूनतम समर्थन मूल्य और ईंधन लागत सहित किसानों के मुद्दों पर केंद्र पर बार-बार हमला किया है।
उन्होंने साल भर के आंदोलन के दौरान मारे गए क़रीब 600 किसानों के परिवारों को संबोधित किया, श्रद्धांजलि दी और उनके साथ सहानुभूति व्यक्त की। तेलंगाना सरकार ने विरोध प्रदर्शन के दौरान मारे गए प्रत्येक किसानों के लिए 3 लाख के मुआवजे की घोषणा की है।
इससे पहले केसीआर ने दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाक़ात की। उन्होंने दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था की तारीफ़ की है।
इधर, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को किसानों को सम्मानित करने के लिए एक कार्यक्रम में भाग लिया। तत्कालीन तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शन को याद करते हुए उन्होंने कहा, 'बीजेपी के नेतृत्व वाला केंद्र चाहता था कि दिल्ली के स्टेडियमों को अस्थायी जेलों में तब्दील किया जाए ताकि नए कृषि क़ानूनों के विरोध में दिल्ली में मार्च कर रहे किसानों को रखा जा सके। उन्होंने कहा, 'मैं भी एक आंदोलन, अन्ना आंदोलन से निकला हूं। और उस समय हमारे साथ भी ऐसा ही किया गया था... वे हमें स्टेडियम में रखते थे। मैं भी कई दिनों तक स्टेडियम में रहा। मैं समझ गया कि किसान आंदोलन को समाप्त करने के लिए यह एक चाल है।'
बहरहाल, अरविंद केजरीवाल से मुलाक़ात के बाद केसीआर की मिलती जुलती विचारधारा वाली अन्य पार्टियों के नेताओं से मुलाक़ात की संभावनाएँ हैं। हालाँकि कहा जा रहा है कि उनका कांग्रेस नेताओं से मिलने की कोई योजना नहीं है। तो सवाल है कि 2024 के चुनाव से पलहे क्या वह भी किसी तीसरे मोर्चे के गठन के प्रयास में हैं?
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