कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मंगलवार को पार्टी नेताओं को एकजुट रहने का संदेश दिया। सोनिया ने पांच चुनावी राज्यों में मिली हार को बेहद दुखद करार दिया। सोनिया का यह संदेश विशेष रूप से पार्टी में असंतुष्ट नेताओं के गुट G-23 के लिए था।
पांच राज्यों की करारी हार के बाद सोनिया गांधी ने G-23 गुट के नेताओं से बातचीत की थी और राहुल गांधी ने भी इस गुट के नेताओं को मिलने के लिए बुलाया था।
सोनिया ने पार्टी सांसदों की बैठक में कहा कि वह इस बात को जानती हैं कि चुनावी राज्यों में मिली हार के बाद सभी लोग बेहद निराश हैं। लेकिन हमें सभी स्तरों पर एकजुटता बनाए रखनी होगी और यह बेहद जरूरी है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि इसे सुनिश्चित करने के लिए जो भी करना होगा उसे किया जाएगा।
चुनावी हार के बाद कांग्रेस में फैसले लेने वाली सर्वोच्च इकाई सीडब्ल्यूसी यानी कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक बुलाई गई थी। सोनिया ने सीडब्ल्यूसी की बैठक का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें संगठन को मजबूत करने के लिए काफी सुझाव मिले हैं और वह उस पर काम कर रही हैं। उन्होंने चिंतन बैठक बुलाए जाने पर भी जोर दिया।
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सोनिया ने कहा कि कांग्रेस के सामने कई चुनौतियां हैं और पार्टी का फिर से खड़ा होना लोकतंत्र और हमारे समाज के लिए बेहद जरूरी है।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी इस बैठक में मौजूद रहे।
सिकुड़ रही कांग्रेस
कांग्रेस लगातार चुनावी हार का सामना कर रही है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव के साथ ही बीते 8 सालों में अधिकतर चुनावी राज्यों में उसे हार मिली है और इस वजह से लोकसभा के साथ ही राज्यसभा में भी वह सिकुड़ती जा रही है।
हालात ऐसे हैं कि 17 राज्यों से कांग्रेस का एक भी नेता राज्यसभा में नहीं है। पार्टी के पास वर्तमान में राज्यसभा में 33 सांसद हैं। लेकिन राज्यसभा चुनाव के बाद यह संख्या 30 होने वाली है। सहयोगी दल डीएमके की मदद से यह अधिकतम 31 हो सकती है।
ऐसा ही हाल लोकसभा में भी है जहां हरियाणा, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा से कांग्रेस का एक भी लोकसभा सांसद नहीं है।
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