कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए शुक्रवार को नामांकन का अंतिम दिन था। राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने समर्थकों के साथ पहुंचकर पर्चा भरा।
झारखंड कांग्रेस के नेता केएन त्रिपाठी ने भी चुनाव में नामांकन दाखिल किया है। त्रिपाठी ने कहा है कि इस बारे में पार्टी का जो फैसला होगा, उसे मानेंगे।
इस मौके पर खड़गे के साथ वरिष्ठ नेता अंबिका सोनी, अशोक गहलोत, दिग्विजय सिंह सहित कई नेता मौजूद रहे। राज्यसभा सांसद मुकुल वासनिक ने आज तक से कहा कि मल्लिकार्जुन खड़गे का कांग्रेस संगठन के प्रति पूर्ण समर्पण और निष्ठा है और वह सरकार और संगठन में कई अहम पदों पर रहे हैं। इस दौरान कांग्रेस में असंतुष्ट नेताओं के गुट G-23 के नेता पृथ्वीराज चव्हाण, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, मनीष तिवारी भी मौजूद रहे।
नामांकन दाखिल करने के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि वह उन्हें दिए गए सहयोग के लिए सभी का धन्यवाद अदा करते हैं। खड़गे ने कहा कि वह बचपन से कांग्रेस से जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें कांग्रेस ने पहली बार 1972 में टिकट दिया था और तभी से वह चुनावी राजनीति में सक्रिय हैं।
दूसरी ओर नामांकन दाखिल करने के बाद शशि थरूर ने पत्रकारों से कहा कि पार्टी के चुनाव प्रबंधन को मजबूत करना, युवाओं पर अधिक ध्यान देना, सत्ता का विकेंद्रीकरण करना उनके प्रमुख लक्ष्य हैं।
दिग्विजय सिंह पीछे हटे
वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने पत्रकारों से बातचीत में कहा है कि मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं और वह खड़गे के खिलाफ चुनाव लड़ने की बात सोच भी नहीं सकते। दिग्विजय सिंह ने कहा कि अगर उन्हें पहले पता होता कि खड़गे चुनाव लड़ेंगे तो वह कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के लिए नामांकन फॉर्म लेने भी नहीं जाते। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि वह खड़गे के प्रस्तावक बनेंगे।
दिग्विजय सिंह ने शुक्रवार सुबह राज्यसभा सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे से उनके घर पर जाकर मुलाकात की थी। इसके बाद यह खबर सामने आई थी कि अब दिग्विजय सिंह कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में नामांकन दाखिल नहीं करेंगे और ऐसा ही हुआ।
गहलोत हुए बाहर
राजस्थान में हुए सियासी घटनाक्रम के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव की लड़ाई से बाहर हो गए थे। गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद उन्होंने खुद ही इस बात का एलान किया कि वह कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव नहीं लड़ेंगे। उन्होंने बीते रविवार को राजस्थान में हुए घटनाक्रम के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से माफी भी मांगी।
G-23 गुट के हैं शशि थरूर
शशि थरूर कांग्रेस में असंतुष्ट नेताओं के गुट G-23 में शामिल हैं और कांग्रेस अध्यक्ष के स्वतंत्र चुनाव सहित कई मामलों में पार्टी नेतृत्व के सामने आवाज उठा चुके हैं। ऐसे में उन्हें अप्रत्यक्ष रूप से गांधी परिवार का समर्थन मिलने की उम्मीद कम है।मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं और वह 8 बार विधायक और दो बार लोकसभा सांसद रहे हैं। दलित समुदाय से आने वाले खड़गे को गांधी परिवार का भरोसेमंद माना जाता है। खड़गे कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहने के साथ ही केंद्र सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं।
जबकि केरल के तिरूवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर भी कांग्रेस के जाने-पहचाने चेहरे हैं और पढ़े-लिखे नेता हैं। वह मोदी लहर में भी चुनाव जीत कर आए हैं। शशि थरूर मनमोहन सिंह सरकार में मानव संसाधन विकास मंत्रालय के साथ ही विदेश मंत्रालय में भी राज्य मंत्री रह चुके हैं। वह तीन दशक तक संयुक्त राष्ट्र में भी तमाम पदों पर काम कर चुके हैं।
शशि थरूर ने कुछ दिन पहले कहा था कि उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में देशभर के कार्यकर्ताओं का समर्थन हासिल है।
सोनिया से हारे थे जितेंद्र प्रसाद
साल 2001 में जब कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के लिए मतदान हुआ था तब जितेंद्र प्रसाद ने सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा था। लेकिन उन्हें बुरी तरह हार मिली थी।
उस चुनाव में सोनिया गांधी को 7448 वोट मिले थे जबकि जितेंद्र प्रसाद को सिर्फ 94 मत मिले थे। इसी तरह 1997 में सीताराम केसरी ने कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ा था तो उन्हें उस वक्त कांग्रेसी रहे शरद पवार और दिवंगत नेता राजेश पायलट ने चुनौती दी थी। उस चुनाव में सीताराम केसरी को 6224 वोट मिले थे शरद पवार को 882 और राजेश पायलट को 300 वोट मिले थे। उसके बाद से सोनिया और राहुल गांधी को अध्यक्ष पद के चुनाव में किसी तरह की चुनौती का सामना नहीं करना पड़ा।
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