एनसीपी नेता शरद पवार ने कांग्रेस की खिंचाई की है। उन्होंने इशारों में कांग्रेस पार्टी की तुलना ऐसे ज़मींदारों से की जो हवेली नहीं संभाल सकता है और अपने अतीत के गौरव से गदगद रहता है। महाराष्ट्र में शिवसेना और कांग्रेस के साथ सरकार में शामिल एनसीपी के नेता ने कांग्रेस को यह भी सलाह दी है कि उसको इस सच्चाई का सामना करना चाहिए। पवार के इस बयान से लगता है कि कांग्रेस और एनसीपी के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है और आगे रिश्तों में और खटास आ सकती है। इसके साथ ही विपक्षी एकता की हो रही कोशिशों को भी इस बयान से तगड़ा झटका लग सकता है। बीजेपी के ख़िलाफ़ विपक्षी एकता के लिए शरद पवार हाल के दिनों में काफ़ी सक्रिये दिखते रहे हैं।
शरद पवार ने कांग्रेस को लेकर यह बयान इंडिया टुडे ग्रुप के मराठी डिजिटल प्लेटफॉर्म 'मुंबई तक' को दिया है। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस में शामिल लोगों को यह स्वीकार करना चाहिए कि उनकी पार्टी का अब 'कश्मीर से कन्याकुमारी तक' दबदबा नहीं रह गया है, जैसा कि पहले हुआ करता था। उन्होंने कांग्रेस को सलाह दी कि यह वास्तविकता कांग्रेस को स्वीकार करनी चाहिए।
पवार ने कहा कि एक बार जब कांग्रेस के भीतर इसे स्वीकार करने की मानसिकता आ जाएगी तो अन्य विपक्षी दलों के साथ इसकी नज़दीकी बढ़ जाएगी। वह विपक्षी एकता के संदर्भ में यह बात कह रहे थे। विपक्षी दलों को एकजुट करने के प्रयास में लगे रहे पवार से इस संदर्भ में सवाल पूछा गया था। जब कहा गया कि 2024 में विपक्ष की ओर से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का चेहरा होने की बात पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी को चेहरा बताते हैं तो पवार ने कांग्रेस पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा, 'सभी दल, खासकर, कांग्रेस में सहयोगी अपने नेतृत्व पर अलग रुख अपनाने को तैयार नहीं हैं।'
जब इस मामले में उनसे यह पूछा गया कि क्या यह घमंड की वजह से है तो उन्होंने ज़मींदारों के क़िस्से का उदाहरण दिया।
पवार ने कहा,
“
मैंने उत्तर प्रदेश के ज़मींदारों के बारे में एक क़िस्सा सुनाया था, जिनके पास ख़ूब ज़मीन और बड़ी हवेलियाँ थीं। भूमि सीलिंग क़ानून के कारण, उनकी ज़मीन कम हो गई थी। हवेलियाँ बनी रहीं। लेकिन उनके संरक्षण और मरम्मत करने के लिए उनकी क्षमता ही नहीं है।
उन्होंने आगे कहा, 'उनकी कृषि आय भी पहले जैसी नहीं है। कुछ हज़ार एकड़ से उनकी ज़मीन 15 या 20 एकड़ तक सिमट गई है। जब ज़मींदार सुबह उठता है तो वह आसपास के हरे-भरे खेतों को देखता है और यही कहता है कि वह ज़मीन पहले कभी उसकी थी, लेकिन अब उसकी नहीं रही। अब (कांग्रेस की) मानसिकता उसी के समान है। यह सच्चाई स्वीकार की जानी चाहिए।'
हालाँकि इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस की एक बात के लिए तारीफ़ भी की। शरद पवार ने कहा कि देश भर में मौजूदगी के साथ कांग्रेस देश में एकमात्र राष्ट्रीय रूप से प्रासंगिक पार्टी बनी हुई है जो बीजेपी का एक विकल्प बन सकती है।
पवार ने कहा, 'कांग्रेस पहले मज़बूत थी। आज के उलट जब उसके पास 40-45 सांसद हैं। उस समय उसके पास लगभग 140 की ताक़त थी। कांग्रेस का आँकड़ा ही यह कहता है। लेकिन यह एकमात्र पार्टी है जो देश में प्रासंगिक है। इसकी 5-7 राज्यों में सरकारें हैं। एकमात्र पार्टी जिसकी बीजेपी के ख़िलाफ़ राष्ट्रीय स्तर पर मौजूदगी है, वह कांग्रेस है।'
पवार के इस ताज़ा बयान से पहले इसी साल जून में जब विपक्षी दलों के बीच एकजुटता की जोर शोर से कोशिश चल रही थी तब भी पवार का कांग्रेस पर बयान आया था। तब उन्होंने कहा था कि बीजेपी से मुक़ाबला करने के लिए किसी वैकल्पिक मोर्चे के लिए कांग्रेस की ज़रूरत पड़ेगी। उन्होंने कहा था कि ऐसे मोर्चे के लिए कांग्रेस को नहीं छोड़ा जा सकता है। उनका वह बयान दिल्ली में उनके घर पर एक बैठक के कुछ दिनों बाद ही आया था।
उस बैठक में यह कयास लगाए जा रहे थे कि वह तीसरे मोर्चे के गठन के लिए विरोधी दलों को एकजुट करने का प्रयास था जिसे बाद में यह कहकर खारिज किया गया था कि वह सिर्फ़ मौजूदा राजनीतिक हालात पर चर्चा के लिए बैठक आयोजित की गई थी।
अब शरद पवार के इस ताज़ा बयान के बाद कांग्रेस के साथ एनसीपी के रिश्ते बिगड़ सकते हैं और विपक्षी एकता का प्रयास प्रभावित हो सकता है। लेकिन यह सब उस पर निर्भर करता है कि कांग्रेस की इस पर क्या और कैसी प्रतिक्रिया आती है।
अपनी राय बतायें