हेमंत सोरेन
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चंपाई सोरेन
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शरद पवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) का फिर से अध्यक्ष चुन लिया गया है। पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की शनिवार 10 सितंबर को हुई बैठक में उन्हें अध्यक्ष चुना गया। वो अगले चार साल तक इस पार्टी के अध्यक्ष रहेंगे। इस बीच पार्टी का राष्ट्रीय अधिवेशन रविवार को दिल्ली में है। इस अधिवेशन के जरिए एनसीपी मुखिया शरद पवार 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने के काम में जुटेंगे। एनसीपी की बैठक में विपक्षी एकता, आर्थिक हालात, किसानों के मुद्दे व अन्य विषयों पर प्रस्ताव लाए जाएंगे। एनसीपी के एक वरिष्ठ नेता ने द न्यू इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि यह प्रस्ताव विपक्षी एकता के लिए ब्लूप्रिंट साबित हो सकते हैं।
तालकटोरा स्टेडियम में होने जा रहे इस अधिवेशन में पार्टी के मुखिया शरद पवार सहित तमाम बड़े नेता भाग लेंगे।
बताना होगा कि कुछ दिन पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्षी एकता की कोशिशों के मद्देनजर ही दिल्ली आए थे। नीतीश कुमार ने यहां कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव, उनके बेटे अखिलेश यादव, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, सीपीएम नेता सीताराम येचुरी सहित तमाम नेताओं से मुलाकात की थी। इससे पहले तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव पटना आकर नीतीश कुमार से मिले थे।
जबसे नीतीश कुमार विपक्ष के पाले में आए हैं तभी से 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर चर्चाएं जोर पकड़ चुकी हैं।
क्योंकि शरद पवार विपक्षी नेताओं में सबसे अनुभवी माने जाते हैं और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सहित शिवसेना का उद्धव ठाकरे गुट भी पवार के नेतृत्व की हिमायत करता रहा है। ऐसे में अगर शरद पवार 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी एकता के लिए कदम बढ़ाते हैं तो निश्चित रूप से विपक्षी एकता की कवायद को बल मिलेगा।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी कहा है कि वह हेमंत सोरेन, नीतीश कुमार और अन्य विपक्षी नेताओं के साथ एक मंच पर आकर 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ेंगी।
क्योंकि शरद पवार ने साल 2019 में महाराष्ट्र में महा विकास आघाडी सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई थी और विरोधी विचारधारा वाले दलों को एकजुट किया था। इसलिए तमाम विपक्षी नेताओं को इस बात की उम्मीद है कि शरद पवार एक बार फिर विपक्षी दलों को एक मंच पर ला सकते हैं।
शरद पवार खुद भी इस बात की अपील कर चुके हैं कि 2024 के चुनाव के लिए तमाम विपक्षी दलों को एक मंच पर आना चाहिए।
हरियाणा की पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल यानी इनेलो ने 25 सितंबर को एक रैली रखी है। इस रैली में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव शामिल होंगे। यह रैली फतेहाबाद में होगी। इस दिन पूर्व उप प्रधानमंत्री देवी लाल की जयंती भी है।
इनेलो के राष्ट्रीय महासचिव अभय चौटाला ने न्यूज़ एजेंसी पीटीआई को बताया कि पार्टी प्रमुख ओम प्रकाश चौटाला ने रैली में एनसीपी मुखिया शरद पवार, नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला, शिरोमणि अकाली दल के संरक्षक प्रकाश सिंह बादल, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और मेघालय के राज्यपाल सत्य पाल मलिक को आमंत्रित किया है।
चौटाला ने बताया कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव, टीडीपी अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी रैली में शामिल होने के लिए निमंत्रण भेजा जाएगा।
2019 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों को एकजुट करने की तमाम कोशिशें हुई थी लेकिन यह कोशिशें परवान नहीं चढ़ सकी थीं।
तब तेलुगू देशम पार्टी के मुखिया और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोशिश की थी कि विपक्षी दलों को एकजुट किया जाए लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी ऐसा नहीं हो सका था।
सवाल यह है कि क्या कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, टीआरएस, टीडीपी, बीजू जनता दल, वाईएसआर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल एक मंच पर आ पाएंगे।
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