दिल्ली में विपक्षी दलों के नेताओं की अहम बैठक एनसीपी मुखिया शरद पवार के आवास पर चल रही है। हालांकि इस बैठक में शामिल होने का निमंत्रण राष्ट्र मंच नाम के संगठन की ओर से भेजा गया था और कहा गया था कि बैठक में राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा होगी लेकिन इसे 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले तीसरे मोर्चे को क़ायम करने की कवायद से जोड़कर देखा जा रहा है।
हालांकि शरद पवार ने मंगलवार सुबह साफ किया था कि यह बैठक तीसरे मोर्चे को कायम करने के लिए आयोजित नहीं की जा रही है और इसमें ताज़ा राजनीतिक हालात और राष्ट्रीय मुद्दों पर ही चर्चा होगी। बैठक की अध्यक्षता शरद पवार और हाल ही में टीएमसी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने यशवंत सिन्हा कर रहे हैं।
पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की शिकस्त के बाद देश में एक बार फिर से एक मज़बूत थर्ड फ्रंट की चर्चा जोर पकड़ रही है।
तीसरे मोर्चे की वकालत
पवार ने इस साल मार्च में कहा भी था कि देश में थर्ड फ्रंट यानी तीसरे मोर्चे की ज़रूरत है और वह इस मामले में कई पार्टियों के साथ बातचीत कर रहे हैं। उस वक़्त शिव सेना ने भी पवार के समर्थन में बयान दिया था और कहा था कि शरद पवार राष्ट्रीय स्तर पर एक ताक़तवर शख़्सियत हैं और क्षेत्रीय और राष्ट्रीय दल उन्हें अपना नेता मानते हैं।
पवार क्या 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष का चेहरा होंगे, इसे लेकर भी तब काफी चर्चा राजनीतिक गलियारों में हुई थी।
ये दल हो सकते हैं शामिल
थर्ड फ्रंट में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम), तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), बीजू जनता दल (बीजेडी), शिव सेना, समाजवादी पार्टी (एसपी), राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी), तेलगू देशम पार्टी (टीडीपी), वाईएसआर कांग्रेस, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा, जनता दल (सेक्युलर), द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके), नेशनल कॉन्फ्रेन्स (एनसी), पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस), शिरोमणि अकाली दल (एसएडी), आम आदमी पार्टी (आप) सहित कुछ और क्षेत्रीय दल शामिल हो सकते हैं।
पांच राज्यों के चुनाव बेहद अहम
2022 की शुरुआत में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इनमें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा शामिल हैं। उसके बाद साल के आख़िर में हिमाचल प्रदेश और गुजरात में भी विधानसभा के चुनाव होने हैं। बीजेपी और संघ जानते हैं कि इन राज्यों में फ़तेह हासिल करने के बाद ही 2024 का रास्ता आसान होगा।
विपक्षी नेताओं में सबसे ज़्यादा सियासी अनुभव रखने वाले नेता शरद पवार ही हैं। ऐसे में इस बात की गुंजाइश टटोली जा रही है कि शरद पवार के नेतृत्व में ऐसा कोई गठबंधन बन सकता है जो 2024 आने तक देश भर में एक व्यापक शक्ल ले ले और बीजेपी को शिकस्त देने की स्थिति में हो।
केसीआर ने भी की थी कोशिश
दूसरी ओर, तेलंगाना के मुख्यमंत्री और तेलंगाना राष्ट्र समिति के अध्यक्ष के. चन्द्रशेखर राव (केसीआर) ग़ैर-बीजेपी, ग़ैर-कांग्रेस दलों का राष्ट्रीय मोर्चा बनाने की कोशिश में हाथ-पांव मार चुके हैं। लोकसभा चुनाव 2019 से पहले भी केसीआर ने ऐसी ही कोशिश की थी। तब वह ममता बनर्जी, मायावती, अखिलेश यादव, नवीन पटनायक, पिनराई विजयन, स्टालिन, देवेगौड़ा जैसे दिग्गज नेताओं से भी मिले भी थे। लेकिन उस समय तेलुगु देशम पार्टी के मुखिया चंद्रबाबू नायडू ने केसीआर की कोशिश में अड़चनें पैदा कर दी थीं।
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