मौके पर मौजूद पत्रकारों के मुताबिक जैसे ही दोनों पिता-पुत्र वाराणसी के शिवपुर में नामांकन दाखिल करने पहुंचे, तो वहां मौजूद बहुत सारे वकीलों ने “जय श्रीराम” के नारे लगाए। हालांकि किसी भी कोर्ट में इस तरह के नारों और जमा होने पर पाबंदी है।
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जब हम लोग शिवपुर विधानसभा क्षेत्र से सपा-एसबीएसपी गठबंधन के उम्मीदवार अरविंद का नामांकन कराने पहुंचे, तो वहां बीजेपी के कुछ गुंडे काले कोट में पहले से ही मौजूद थे। उन्होंने मुझे और अरविंद को गालियां दीं।
-ओमप्रकाश राजभर, अध्यक्ष सुहेलदेव पार्टी, बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस
ओमप्रकाश राजभर वो पहले नेता हैं, जिनकी पार्टी से अखिलेश यादव ने गठबंधन किया। बीच में दोनों के मनमुटाव की खबरें मीडिया के एक वर्ग में आईं। जिनमें यह तक कहा गया कि गठबंधन टूट सकता है। लेकिन ताजा घटनाक्रम बता रहा है कि सारी सूचनाएं भ्रामक थीं। अखिलेश यादव की पार्टी के साथ उनका गठबंधन बना हुआ है। उनके समर्थकों ने कल वाराणसी में राजभर से ज्यादा अखिलेश यादव के समर्थन में नारे लगाए। बहरहाल, बीजेपी ने राजभर के आरोपों को खारिज कर दिया है। यूपी बीजेपी का कहना है कि उनका बयान चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश है। लेकिन जनता सच्चाई जानती है कि राजभर जैसे लोग उनका नहीं, सिर्फ अपना और परिवार का भला करने राजनीति में उतरे हैं। राजभर ने ऐसा अनर्गल आरोप लगाकर बता दिया है कि वो और उनका गठबंधन बीजेपी से कितना परेशान हैं। हालांकि पार्टी के सूत्रों का कहना है कि वो राजभर के आरोपों से दहल गई है। पूर्वांचल में तमाम सीटों पर इस बयान का असर पड़ सकता है। क्योंकि वहां ओमप्रकाश राजभर का प्रभाव क्षेत्र है। पार्टी अब इस बयान की काट तलाश रही है। बहुत मुमकिन है कि वो राजभर समुदाय के किसी नेता से इस संबंध में बयान वगैरह दिलवाए। केशव देव मौर्य को अब पूर्वांचल में ही डैमेज कंट्रोल के लिए तैनात किया जा सकता है।
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