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कांग्रेस ने राजस्थान के प्रत्याशियों की पहली सूची शनिवार को जारी की
कांग्रेस ने आगामी राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए 33 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की।
सीएम अशोक गहलोत सदरपुरा से, सचिन पायलट टोंक से, सीपी जोशी नाथद्वारा से, दिव्या मदेरणा ओसियां से, गोविंद सिंह डोटासरा लछमनगढ़ से, कृष्णा पूनिया सादुलपुर से चुनाव लड़ेंगी। पहली सूची को लेकर कोई विवाद अभी तक सामने नहीं आया है। 33 नामों में से 29 मौजूदा विधायकों के हैं। शेष चार ने 2018 में उन्हीं सीटों से चुनाव लड़ा था, लेकिन भाजपा से हार गए थे।
कांग्रेस की पहली सूची भाजपा की सूची आने के दस दिनों बाद आई है। कांग्रेस की पहली सूची देखकर लग रहा है कि कांग्रेस आलाकमान ने गहलौत समर्थक ज्यादातर विधायकों को टिकट दिया है। लेकिन राजस्थान कांग्रेस की सूची गहलौत की वजह से ही रुकी हुई थी। कहा जा रहा है कि कांग्रेस की सूची मंत्रियों समेत कुछ विधायकों का क्षेत्र बदले जाने को लेकर पार्टी के भीतर गंभीर मतभेदों के कारण रुकी हुई थी।
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ऐसा नहीं है कि आलाकमान ने सचिन पायलट को नजरन्दाज किया है। इस सूची में इंद्राज गुर्जर, मुकेश भाकर और रामनिवास गावरिया जैसे कई पायलट वफादार हैं, इसके अलावा आरक्षित अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति सीटों से चार-चार उम्मीदवार हैं।
रमीला खड़िया एकमात्र ऐसा नाम है जो कांग्रेस से नहीं बल्कि मौजूदा निर्दलीय विधायक हैं। उन्हें उनके कुशलगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से मैदान में उतारा गया है। इस साल जून में, गहलोत ने 2020 के संकट के दौरान अपनी सरकार बचाने का श्रेय खड़िया को दिया था, उन्होंने आरोप लगाया था कि उनकी कार में पैसे रखे हुए थे लेकिन फिर भी उन्होंने साइड नहीं बदली।
जिन चार सीटों पर 2018 के हारे हुए उम्मीदवारों को समायोजित किया गया है उनमें मुंडावर, मालवीय नगर, सांगानेर और मांडलगढ़ शामिल हैं। ललित कुमार यादव 2018 में मुंडावर से बसपा के उम्मीदवार थे जो भाजपा के मंजीत धर्मपाल से हार गए थे। अब उन्हें उसी सीट से कांग्रेस से टिकट मिल गया है। मालवीय नगर से अर्चना शर्मा, सांगानेर से पुष्पेंद्र भारद्वाज और मांडलगढ़ से विवेक धाकड़ को दोबारा टिकट दिया गया है।
सूत्रों ने कहा कि गहलोत इस बात के लिए प्रतिबद्ध हैं कि 2019 में कांग्रेस में शामिल होने के बाद कई राजनीतिक संकटों में उनका समर्थन करने वाले पूर्व बसपा विधायकों को समायोजित किया जाए।पाला बदलने वाले छह बसपा विधायकों में से पांच कांग्रेस के टिकट के लिए मैदान में हैं। इनमें अपवाद राजेंद्र सिंह गुढ़ा हैं, जिन्होंने सबसे पहले गहलोत सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कथित 'लाल डायरी' का जिक्र किया। उन्होंने मंत्री रहते हुए "महिलाओं के खिलाफ अपराध" को लेकर सीएम पर हमला भी किया था। दोनों आरोपों को बीजेपी ने बड़े पैमाने पर गहलोत सरकार के खिलाफ उठाया था। गहलौत ने जब गुढ़ा को मंत्री पद से हटा दिया तो वो शिवसेना (शिंदे गुट) में शामिल हो गए।
बसपा से कांग्रेस में आए बाकी पांच विधायक इंतजार कर रहे हैं कि क्या कांग्रेस उनके एहसान को वापस करेगी और उन्हें मैदान में उतारेगी। अभी इनके टिकट का फैसला होना है। गहलौत इन सबी के लिए टिकट मांग रहे हैं।
ये पांचों पूर्वी राजस्थान के विधायक हैं। पूर्वी राजस्थान ने 2018 में कांग्रेस के लिए भारी मतदान किया था। लेकिन तथ्य यह है कि, कांग्रेस की लहर के बावजूद, वे सभी बसपा के टिकट पर जीते थे। हालांकि बसपा राजस्थान में भाजपा और कांग्रेस की राजनीति के बीच एक मामूली खिलाड़ी है। लेकिन नतीजों ने बता दिया कि वे पांचों बसपा विधायक अपने-अपने क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रभाव रखते हैं। ऐसे में कांग्रेस के पास चुनने के लिए कड़े विकल्प हैं।
इन विधायकों में तिजारा से संदीप कुमार यादव हैं। भाजपा में रहे संदीप टिकट नहीं मिलने पर बसपा में चले गए थे। 2018 में, उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री दुर्रू मियां को 4,000 से अधिक वोटों के अंतर से हराया था। भाजपा ने इस बार अपने हाई-प्रोफाइल अलवर सांसद बालक नाथ को तिजारा से मैदान में उतारा है. हालाँकि, इस विकल्प ने भाजपा के स्थानीय नेताओं के विरोध को भड़का दिया है। पूर्व भाजपा विधायक मामन सिंह यादव ने घोषणा की है कि वह निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ेंगे।
इसी तरह करौली से लाखन सिंह विधायक हैं। 2018 में उन्होंने बसपा के टिकट पर यह सीट जीती थी। किशनगढ़ बास से दीपचंद को भी कांग्रेस टिकट का इंतजार है। 2008 और 2013 में कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में हारने और पिछली बार पार्टी द्वारा टिकट से इनकार करने के बाद, उन्होंने बसपा के टिकट पर 2018 में जीत हासिल की। दीपचंद 80 वर्ष से अधिक उम्र के हैं।
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इन पांचों में आखिरी दो नाम जोगिंदर सिंह अवाना और वाजिब अली के हैं। अवाना ने 2018 में भरतपुर जिले के नदबई से पूर्व मंत्री और भाजपा नेता कृष्णेंद्र कौर दीपा को हराकर जीत हासिल की, जो पूर्ववर्ती भरतपुर शाही परिवार की सदस्य थीं। इसी तरह वाजिब अली बसपा के टिकट पर भरतपुर की नगर सीट 25,000 से अधिक मतों के अंतर से जीतकर विधायक बने।
बहरहाल, अभी कांग्रेस ने सिर्फ 33 नामों की सूची जारी की है। अभी सौ से ज्यादा नामों की सूची आनी है। इससे लगता है कि टिकटों को लेकर कांग्रेस में भी अच्छी खासी रस्साकशी है। सूत्रों का कहना है कि एक दो दिनों में और भी नाम सामने आएंगे।
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