कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने नोटबंदी को लेकर एक बार फिर से सरकार पर तीखा हमला किया है। वह प्रधानमंत्री मोदी के सत्ता में आने के कुछ समय बाद से ही उनकी आर्थिक नीतियों की आलोचना करते रहे हैं, लेकिन 2019 में जब बेरोजगारी के रिकॉर्ड आँकड़े आने और अर्थव्यवस्था के दूसरे संकेतकों के हालात ख़राब होने का इशारा करने पर उन्होंने हमले तेज़ कर दिए। अब उन्होंने 500 रुपये और 2000 रुपये के नकली नोटों में बेतहाशा बढ़ोतरी की रिपोर्ट को ट्वीट करते हुए कहा है कि 'नोटबंदी की एकमात्र दुर्भाग्यपूर्ण सफलता अर्थव्यवस्था की टोर्पेडिंग यानी तबाही है'।
The only unfortunate success of Demonetisation was the TORPEDOING of India’s economy. pic.twitter.com/S9iQVtSYSx
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 29, 2022
मोदी सरकार की नीतियों पर उनका यह हमला तब हुआ है जब भारतीय रिजर्व बैंक की नकली नोटों को लेकर एक बेहद अहम रिपोर्ट सामने आई है। आरबीआई के अनुसार वित्त वर्ष 2021-22 में नकली नोटों की संख्या काफ़ी ज़्यादा बढ़ गई है। केंद्रीय बैंक ने पता लगाया है कि पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 500 रुपए के नकली नोट 101.9% ज़्यादा और 2 हजार रुपए के नकली नोट 54.16% ज़्यादा हो गए हैं।
राहुल गांधी ने अपने ट्वीट के साथ एक ख़बर का स्क्रीनशॉट साझा किया है। उस ख़बर में कहा गया है कि मूल्य के मामले में 500 रुपये और 2000 रुपये के बैंक नोटों की हिस्सेदारी 31 मार्च, 2022 तक प्रचलन में बैंकनोटों के कुल मूल्य का 87.1% थी, जबकि 31 मार्च, 2021 को यह 85.7% ही थी।
पिछले वर्ष की तुलना में 10 रुपये, 20 रुपये, 200 रुपये, 500 रुपये और 2000 रुपये के नोटों में क्रम: 16.4%, 16.5%, 11.7%, 101.9% और 54.6% की वृद्धि हुई है। आरबीआई ने कहा है कि 50 रुपये और 100 रुपये के मूल्य में पाए गए नकली नोटों में क्रमशः 28.7% और 16.7 फीसदी की गिरावट आई है।
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 को रात आठ बजे अचानक देश को संबोधित करते हुए 500 और 1000 के नोटों को बंद करने की घोषणा कर दी थी। इसके बाद 500 का नोट नए फॉर्मेट में आया था और 2000 का नया नोट अस्तित्व में आया था। प्रधानमंत्री मोदी ने नोटबंदी की प्रमुख वजहों में से एक नकली नोटों पर नकेल कसना बताया था। ऐसे में आरबीआई की ही रिपोर्ट में नकली नोटों में बढ़ोतरी सरकार के नोटबंदी के फ़ैसले पर सवाल खड़ा करती है।
प्रधानमंत्री की उस घोषणा के बाद से ही राहुल गांधी उस फ़ैसले को अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ने वाला बताते रहे हैं। वह दावा करते रहे हैं कि अर्थव्यवस्था से एकाएक नोटों के निकाले जाने के बाद अर्थव्यवस्था में सुस्ती आ गई। लोगों के पास खरीदने को पैसे नहीं थे और इस वजह से मांग कम हुई। कहा जाता है कि जब नोटबंदी के आघात से अर्थव्यवस्था उबर ही रही थी कि जीएसटी यानी माल एवं सेवा कर को भी सही तरीक़े से नहीं लागू किए जाने से मार पड़ी।
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