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राहुल का नया वीडियो चौंकाएगा- निशाने पर मोदी या ख़ुद की नई छवि बनाने का प्रयास?

राहुल का यह नया वीडियो अलग कहानी कहता है। एक इंप्रेशन छोड़ने की कहानी। एक पुरानी इमेज से बाहर आने की कहानी। एक ऐसी इमेज बनाने की कोशिश जो बोलने के दौरान कहीं लड़खड़ाता नहीं हो। ऐसा नहीं कि कहीं से रटा-रटाया भाषण पढ़ रहा हो। बिल्कुल बातचीत के अंदाज़ में। कहीं कोई तर्क-कुतर्क से कुछ और न साबित कर दे इसलिए पूरे ठोस स्रोतों के साथ। एक अभेद्य क़िले की तरह जिसे कुतर्क के जाल से भी भेदा न जा सके।
अमित कुमार सिंह

राहुल गाँधी का एक वीडियो चौंकाता है। इस वीडियो को राहुल गाँधी ने शुक्रवार को ही जारी किया है। मोदी सरकार की नीतियों की विफलता को लेकर। राहुल द्वारा मोदी सरकार की आलोचना सामान्य तौर पर चौंकाने वाली बात नहीं हो सकती है, क्योंकि वह पहले से ही अक्सर ऐसा करते रहे हैं। लेकिन इस बार का यह काफ़ी अलग है। इतना अलग कि आपको वीडियो शुरू होते ही आपको इसका अहसास हो जाएगा। इसमें राहुल का निशाना तो प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार ही हैं, लेकिन उनका मक़सद कुछ और बड़ा जान पड़ता है। राहुल गाँधी का यह मक़सद क्या हो सकता है? कहीं यह उनकी पुरानी छवि से निकलकर एक गंभीर नेता की इमेज पेश करने के लिए तो नहीं है?

राजनीति में कहते हैं न- 'कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना'। क्या राहुल गाँधी का नया वीडियो भी इसी बात की तस्दीक कर रहा है? आप ख़ुद ही देखिए राहुल के इस वीडियो को और अंदाज़ा लगाइए। उन्होंने इस वीडियो को ट्वीट किया है। 

क्या राहुल का इस तरह का आकर्षक वीडियो आपने कभी देखा है? क्या आपने इस वीडियो में कुछ विशेष ग़ौर किया? 

  • फ़ॉर्मल कपड़े और साफ़-सुथरी बात। 
  • आकर्षक ग्राफ़िक का प्रयोग। 
  • तथ्यों के आधार पर तर्क। 
  • अपनी बातों के समर्थन में स्रोतों का ज़िक्र।
  • आसान भाषा में बात रखने की कोशिश। 
  • छोटे-छोटे वाक्यों में सटीक बात।
  • सिर्फ़ 3 मिनट 38 सेकंड का वीडियो।
  • सोशल मीडिया का इस्तेमाल। 

क्या उनके इस वीडियो में उनकी इमेज मेकओवर की कोशिश नहीं लगती है? 

इस सवाल का जवाब इससे मिल जाएगा कि राहुल इससे पहले भी कई मुद्दों पर सोशल मीडिया पर वीडियो जारी करते रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार पर हमलावर रहे हैं। हाल ही में आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन जैसी शख्सियतों से बात की। लेकिन उन वीडियो में भी ऐसा आकर्षण नहीं दिखा। इस तरह के ग्राफ़िक्स का इस्तेमाल नहीं हुआ। इतने कम शब्दों में इतनी सटीक बातें नहीं रखी गईं। पहले के वीडियो लंबे होते थे।

यह नया वीडियो अलग कहानी कहता है। एक इंप्रेशन छोड़ने की कहानी। एक पुरानी इमेज से बाहर आने की कहानी। एक ऐसी इमेज बनाने की कोशिश जो बोलने के दौरान कहीं लड़खड़ाता नहीं हो। ऐसा नहीं कि कहीं से रटा-रटाया भाषण पढ़ रहा हो। बिल्कुल बातचीत के अंदाज़ में।
कहीं कोई तर्क-कुतर्क से कुछ और न साबित कर दे इसलिए पूरे ठोस स्रोतों के साथ। एक अभेद्य क़िले की तरह जिसे कुतर्क के जाल से भी भेदा न जा सके।

वीडियो में क्या कहते हैं राहुल?

अब इस वीडियो में राहुल जो कहते हैं उसे ग़ौर से पढ़िए। वीडियो की शुरुआत में राहुल एक सवाल पूछते हैं- 'चीन इसी समय आक्रामक क्यों हुआ? चीन ने एलएसी पर अतिक्रमण के लिए यही समय क्यों चुना?' सवाल एक ही है, लेकिन इसे प्रभावी बनाने के लिए दो अलग-अलग तरह से इस सवाल को रखते हैं। फिर इस सवाल के ईर्द-गिर्द ही अपनी बातों को रखते हैं। बात क्या रखते हैं, कहा जाए तो मोदी सरकार की नीतियों की बखिया उधेड़ते हैं। 

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जब वह यह सवाल पूछते हैं कि 'भारत की स्थिति में अभी ऐसा क्या है जिसने चीन को मौक़ा दिया आक्रामक होने का? इस समय में ऐसा विशेष क्या है?' तो स्क्रीन पर एक न्यूयॉर्क टाइम्स की स्टोरी की स्क्रीनशॉट दिखती है जिसकी हेडिंग है- 'भारत चीन सीमा विवाद: एक संघर्ष की व्याख्या'। यानी वह अपनी बातों को पुष्ट करने के लिए न्यूयॉर्क टाइम्स जैसे अख़बार का हवाला देते हैं। 

फिर वह समझाते हैं कि देश की रक्षा किसी एक बिंदु पर टिकी नहीं होती है, बल्कि यह कई शक्तियों के आपसी गठजोड़ पर निर्भर करता है। वह आगे कहते हैं कि देश की रक्षा विदेशों से संबंधों, पड़ोसी देशों और अर्थव्यवस्था से होती है। जनता की भावना और दृष्टिकोण से होती है। जैसे ही राहुल इन बातों को कहते हैं स्क्रीन पर ग्राफ़िक्स भी चलता रहता है।

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राहुल का विश्लेषण

फिर वह कहते हैं कि इस मामले में पिछले छह सालों में क्या हुआ है। वह एक-एक कर विदेशों संबंधों, पड़ोसी देशों और अर्थव्यवस्था की स्थिति को समझाते हैं। वह कहते हैं कि अमेरिका, रूस, यूरोप से संबंध सहयोगात्मक और रणनीतिक होते थे, लेकिन अब संबंध मौक़ापरस्त हो गए हैं। फिर राहुल कहते हैं कि भूटान, नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका जैसे पड़ोसी भारत के सहयोगी होते थे लेकिन अब वे नाराज़ हैं और चीन के साथ सहयोग कर रहे हैं। फिर वह अर्थव्यवस्था की बदतर स्थिति की बात करते हैं। वह कहते हैं कि 'आज स्थिति यह है कि देश आर्थिक रूप से संकट में है, विदेश नीति भी ध्वस्त होने के दौर में है, पड़ोसियों से रिश्ते ख़राब हैं। इसी कारण से चीन ने यह निर्णय लिया कि यह संभवत: बेहतर समय है कि भारत के विरुद्ध कार्रवाई की जाए। यही निर्णायक कारण है, उसके आक्रामक होने का।'

इस तरह राहुल क़रीब साढ़े तीन मिनट में अपनी बातों को तर्कपूर्ण और सटीक ढंग से रख पाते हैं। ज़ाहिर है इस वीडियो को तैयार करने के लिए काफ़ी मेहनत की गई होगी।

वैसे, राजनीतिक गलियारे में उनके विरोधियों ने राहुल गाँधी की छवि एक 'पप्पू' के रूप में गढ़ दी है। इस छवि को गाहे-बगाहे राहुल के हर बयान को तोड़-मरोड़कर सोशल मीडिया पर आईटी सेल पेश करता रहा है। विरोधियों द्वारा वर्षों से राहुल की इस 'पप्पू' वाली छवि को गढ़ा गया और इतना ज़्यादा उछाला गया है कि कई बार लगता है कि राहुल के लिए उससे निकलना बहुत मुश्किल होगा। कहते हैं न कि जब बार-बार एक ही झूठ को दोहराया जाता है तो वह झूठ सच लगने लगता है। 

चुनावों के समय तो ख़ासकर उन्हें इस 'पप्पू' वाली छवि से निशाना बनाया जाता है। चुनाव सर्वे में भी ये बातें सामने आती रहती हैं कि आज के इस सोशल मीडिया के दौर में किसी नेता की इमेज का चुनावों पर काफ़ी ज़्यादा असर पड़ता है। तो क्या राहुल का यह नया वीडियो आईटी सेल द्वारा गढ़ी गई उनकी इमेज को तोड़ने के लिए है और एक गंभीर राजनेता के रूप में उन्हें पेश करने का प्रयास है?

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