सुप्रीम कोर्ट ने आज गुरुवार को दो फैसले सुनाए और दोनों ही फैसले सीधे-सीधे बीजेपी की राजनीति और केंद्र सरकार की नीयत पर चोट करते हैं। पहला फैसला दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच पावर संतुलन को लेकर है तो दूसरा फैसला महाराष्ट्र सरकार को लेकर है, जहां उद्धव ठाकरे की सरकार जोड़तोड़ के बाद गिरा दी गई थी। हालांकि महाराष्ट्र के फैसले को लेकर तमाम भाजपा नेता इसलिए उत्साहित हैं कि वहां शिंद सरकार बच गई है। यह कितना अजीबोगरीब है कि अदालत आपके कामकाज पर अप्रत्यक्ष टिप्पणी कर रही है और आप अपनी तरह से उसकी व्याख्या करके खुश हो रहे हैं।
दोनों घटनाओं में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां मायने रखती हैं और जो बताती हैं कि देश की सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा को अपने गिरेबान में झांकने की जरूरत है। विपक्षी शासित ऐसा कोई राज्य नहीं जहां उसने कुछ न कुछ गुल गपाड़ा न मचा रखा हो। महाराष्ट्र को जबरन राजनीतिक संकट के मुहाने पर ढकेला गया और सुप्रीम कोर्ट के फैसले से आज साफ हो गया कि राज्य के तत्कालीन गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी ने केंद्र सरकार के एजेंट की भूमिका निभाते हुए महाराष्ट्र विधानसभा में फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया। अदालत ने शिंदे गुट की मदद करने वाले राज्यपाल के फैसले की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि उन्होंने (पूर्व राज्यपाल कोश्यारी) यह निष्कर्ष निकालने में "गलती" की थी कि उद्धव ठाकरे ने विधायकों के बहुमत का समर्थन खो दिया था। अदालत ने कहा कि राज्यपाल द्वारा विवेक का प्रयोग संविधान के अनुरूप नहीं था। अगर स्पीकर और सरकार अविश्वास प्रस्ताव को दरकिनार करते हैं, तो राज्यपाल को मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह के बिना फ्लोर टेस्ट के लिए बुलाना उचित होता। हालांकि, भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने जो पत्र लिखा था तो उस समय विधानसभा का सत्र नहीं चल रहा था।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में जिस तरफ इशारा किया है, वो भाजपा, केंद्र सरकार और तत्कालीन राज्यपाल के गठजोड़ को दर्शाता है। सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण बात और भी कही कि न तो संविधान और न ही कानून राज्यपाल को राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश करने और अंतर-पार्टी या अंतर-पार्टी विवादों में भूमिका निभाने का अधिकार देता है। राज्यपाल ने जिन पत्रों पर भरोसा किया उनमें ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे यह संकेत मिले कि असंतुष्ट विधायक सरकार से समर्थन वापस लेना चाहते हैं। इससे ज्यादा किसी राज्यपाल पर शर्मनाक टिप्पणी और क्या हो सकती है।
भारतीय लोकतंत्र की विडंबना देखिए कि भाजपा के नेता पूरी तौर पर सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को भी भुनाने में लगे हुए हैं। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने फरमाया है - यह लोकतंत्र और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की जीत है। हम सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले से संतुष्ट हैं। इसी तरह शिंदे गुट के नेता राहुल रमेश शिवालय ने कहा कि महाराष्ट्र में शिंदे सरकार को यह बड़ी राहत है। अब प्रदेश को स्थिर सरकार मिलेगी। हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं। इन टिप्पणियों से साफ है कि भाजपा और शिंदे गुट को अपनी कारगुजारियों पर कोई पछतावा नहीं है। उन्हें बस सत्ता चाहिए और वो फिलहाल सुरक्षित है।
अपनी राय बतायें