भ्रष्टाचार के आरोपों में
आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के
पूर्व उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी को लेकर हो रही रही सरकार की
आलोचना के बीच एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से 'उनकी चिंताओं को गंभीरता से लेने' की अपील की। शरद पवार उन नौ विपक्षी नेताओं में
से एक हैं, जिन्होंने रविवार को मोदी
को लिखे गए एक लेटर पर हस्ताक्षर किए। इस पत्र में 'केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग' पर चिंता जताई गई
थी।
पवार ने कहा कि उस पत्र
में पहला हस्ताक्षर मेरा है, और हम चाहते हैं
कि प्रधानमंत्री हमारी चिंताओं को गंभीरता से लें। दिल्ली सरकार के उस व्यक्ति को
गिरफ्तार किया गया है, जिसने शिक्षा के
क्षेत्र में अच्छा काम किया, जिसकी कई लोगों
ने तारीफ की।
मनीष सिसोदिया को दिल्ली
की विवादित शराब आबकारी नीति मामले में पिछले ही हफ्ते गिरफ्तार किया था।
गिरफ्तारी के बाद से मनीष ने अपने उप-मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था,
वे उप-मुख्यमंत्री के साथ दिल्ली सरकार के
शिक्षा मंत्री भी थे। मनीष के अलावा, मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों कई महीनों से जेल में बंद स्वास्थय मंत्री सत्येंद्र
जैन ने भी इस्तीफा दे दिया था।
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मनीष सिसोदिया की
गिरफ्तारी का विपक्ष ने एकजुट होकर विरोध किया है और उसने प्रतिद्वंद्वियों को
निशाना बनाने के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) जैसी जांच एजेंसियों का
इस्तेमाल करने के लिए सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की आलोचना की है।
हालांकि आम आदमी पार्टी ने मनीष और सत्येंद्र जैन दोनों के खिलाफ आरोपों से इनकार
किया है।
पवार ने अपनी पार्टी के दो सदस्यों,अनिल देशमुख और नवाब मलिक के संदर्भ में टिप्पणी करते हुए कहा कि इस तरह की गिरफ्तारियों के कई उदाहरण हैं।
पवार ने भाजपा पर यह कहते
हुए निशाना साधा कि जिन लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार आरोप थे, उनके भाजपा ज्वाइन करते ही उनपर कोई कार्रवाई नहीं होती है।
उन पर लगने वाले सभी केस और आरोपों को हटा लिया जाता है। अरविंद केजरीवाल ने पिछले
हफ्ते हुई सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद भाजपा की 'वॉशिंग मशीन सेवा' का जिक्र किया था।
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विपक्ष के जिन नेताओं ने
रविवार को प्रधानमंत्री को लिखे खत में दस्तखत किए उसमें शरद पवार के अलावा
अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी भारत राष्ट्र समिति के नेता और
तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला और समाजवादी
पार्टी के अखिलेश यादव ने भी इसमें शामिल थे।
हालांकि कांग्रेस ने इस पत्र में दस्तखत नहीं किये थे। तमिलनाडु में सत्तारूढ़ उसकी सहयोगी डीएमके ने भी इस पत्र पर
हस्ताक्षर नहीं किए थे।
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