आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविन्द केजरीवाल ने रविवार को गुजरात के भरूच में बड़े बड़े वादे किए। उनका भाषणा ऐसा था, जैसे वो चुनाव रैली को संबोधित करने आए हों।
गुजरात में चुनाव होने जा रहे हैं। यह सवाल शनिवार शाम को आम आदमी पार्टी के नेता अरविन्द केजरीवाल ने पूछा। दरअसल, केजरीवाल ने यह सवाल पीएम मोदी के दिल्ली स्थित सरकारी आवास पर गुजरात को लेकर हुई बैठक के संदर्भ में पूछा। गुजरात के शीर्ष बीजेपी नेता पीएम और गृह मंत्री अमित शाह के घर बैठक करने आए थे।
बीजेपी की मदद से सरकार चलाने के वावजूद नीतीश इफ़्तार पार्टी कर सकते हैं और लालू परिवार को उसमें आमंत्रित कर सकते हैं। इसका क्या मतलब है और बीजेपी के लिए क्या संदेश है?
मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक में प्रधानमंत्री के द्वारा पेट्रोल-डीजल की कीमतों को लेकर राज्यों से वैट घटाने के लिए कहने पर बीते दिनों खासा विवाद हुआ है। अब इस पर शिव सेना ने केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा किया है।
कांग्रेस में लंबे वक्त से चिंतन शिविर की जरूरत बताई जा रही थी। अब जब चिंतन शिविर नजदीक है तो देखना होगा कि क्या पार्टी को इस शिविर से कुछ ऑक्सीजन मिलेगी जिससे वह बीजेपी से लड़ सके।
मध्य प्रदेश में नेता विपक्ष पद से कमलनाथ ने इस्तीफा दे दिया है। उनकी जगह गोविन्द सिंह को नेता विपक्ष बनाया गया है। एमपी कांग्रेस में आने वाले दिनों में भारी उथलपुथल हो सकती है।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बुधवार को कहा था कि बीजेपी मायावती को राष्ट्रपति बनाने जा रही है। उस पर मायावती ने गुरुवार को पलट वार किया। मायवती ने कहा कि मैं सीएम-पीएम तो बनना चाहती हूं लेकिन राष्ट्रपति तो हर्गिज नहीं।
पेट्रोल डीजल के टैक्स पर विपक्षी शासित राज्यों को छेड़ने के बाद पीएम मोदी पर अब चारों तरफ से तमाम आंकड़ों के साथ हमले हो रहे हैं। आज कांग्रेस नेता राहुल गांधी और तमिलनाडु के सीएम एम.के. स्टालिन ने हमला किया। पीएम के बचाव में केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी मैदान में उतरे हैं।
क्या कांग्रेस और प्रशांत किशोर के बीच वार्ता नाकाम होने की वजह दोनों पक्षों का एक दूसरे के प्रति विश्वास नहीं होना था? क्या पीके कांग्रेस का इस्तेमाल करने के लिए शामिल हो रहे थे?
पेट्रोल डीजल की कीमतों पर प्रधानमंत्री मोदी ने बुधवार को विपक्ष शासित राज्यों को छेड़ा तो महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने पलटवार किया। उद्धव ने कहा कि पेट्रोल-डीजल पर केंद्र और राज्य को क्या राजस्व मिलता है। राज्यों से उनका राजस्व छोड़ने को कहा जा रहा है।
प्रशांत किशोर की कांग्रेस में बड़े सुधार और उसमें शामिल होने की योजना पर कांग्रेस नेतृत्व ने क्या उस तरह की दिलचस्पी नहीं दिखाई जैसी दिखाई जानी चाहिए थी? क्या वार्ता विफल होने की एक वजह यह भी है?
एक बार फिर चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर की कांग्रेस में एंट्री नहीं हो सकी। खराब दौर से गुजर रही कांग्रेस के लिए प्रशांत किशोर क्या सियासी तुरूप का इक्का साबित हो सकते थे?