रामपुर और आजमगढ़ में लोकसभा का उपचुनाव हारने के बाद अब अखिलेश यादव के सामने अपनी निजी प्रतिष्ठा और अपने पिता मुलायम सिंह यादव की राजनीतिक विरासत को बचाने की बड़ी चुनौती है। लेकिन क्या वह अपने चाचा शिवपाल यादव को अपने साथ ला पाएंगे?
गुजरात में कांग्रेस पिछले 27 साल से सत्ता से बाहर है। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में किए गए बेहतर प्रदर्शन के बाद कांग्रेस को लगातार झटके लगे और 17 विधायक और कई नेता पार्टी छोड़ कर जा चुके हैं। इस बार के चुनाव में कांग्रेस क्या बीजेपी को सत्ता से हटा पाएगी?
68 सीटों वाले हिमाचल प्रदेश में बीजेपी क्या इस बार सत्ता में वापसी कर पाएगी या कांग्रेस उसे सत्ता से हटा देगी। आइए, जानते हैं कि चुनाव प्रचार के दौरान कौन से अहम मुद्दे हिमाचल की सियासत में हावी रहे।
आबकारी नीति को लेकर दिल्ली में पिछले कई महीनों से जबरदस्त बवाल चल रहा है। क्या है यह पूरा मामला और क्या ईडी के द्वारा किए गए दावों के बाद आम आदमी पार्टी सरकार की मुश्किलें बढ़ेंगी।
हिमाचल प्रदेश में सीधा मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही है। 68 सीटों वाले इस प्रदेश में कौन सी ऐसी सीटें हैं, जिन पर राजनीतिक विश्लेषकों की नजर लगी हुई है और इन सीटों से कौन-कौन से नेता चुनाव मैदान में हैं।
डिंपल यादव को 2009 के लोकसभा चुनाव में फिरोजाबाद सीट पर कांग्रेस के नेता राज बब्बर से हार मिली थी। डिंपल कन्नौज से 2012 में लोकसभा के लिए निर्विरोध चुनी गई थीं। 2014 में वह कन्नौज से लोकसभा का चुनाव जीती थीं। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में वह बीजेपी के सुब्रत पाठक से हार गई थीं। क्या वह मैनपुरी में जीत पाएंगी?
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को घाटलोडिया, गृह मंत्री हर्ष संघवी को मजुरा, हार्दिक पटेल को वीरमगाम, क्रिकेटर रवींद्र सिंह जडेजा की पत्नी रिवाबा जडेजा को जामनगर उत्तम सीट से चुनाव मैदान में उतारा गया है।
बीजेपी के लिए इस बार बागी नेता मुसीबत का सबब बन गए हैं। 68 सीटों वाले हिमाचल प्रदेश में बीजेपी को 16 सीटों पर बगावत का सामना करना पड़ रहा है। तो क्या इस बार सत्ता में उसकी वापसी मुश्किल है?
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में जीत के बाद बीजेपी विधान परिषद और आजमगढ़, रामपुर और गोला गोकर्णनाथ में भी चुनाव जीत चुकी है। क्या आगामी उपचुनावों में सपा और आरएलडी उसे रोक पाएंगे?
एसजीपीसी चुनाव में बीबी जगीर कौर की बगावत के बाद शिरोमणि अकाली दल की मुश्किलें बढ़ी हैं। हालांकि अकाली दल ने चुनाव में जीत हासिल की है लेकिन बादलों के नेतृत्व को पार्टी में लगातार चुनौती मिल रही है।
आदमपुर सीट पर दशकों से भजनलाल परिवार का कब्जा रहा है। अब भव्य बिश्नोई इस सीट से जीते हैं। कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में जाने वाले कुलदीप बिश्नोई क्या आदमपुर और हिसार के बाहर भी हरियाणा की राजनीति में असर दिखा पाएंगे?
भारत जोड़ो यात्रा के जरिये कांग्रेस खुद को सांगठनिक तौर पर मजबूत करने में जुटी है। आदित्य ठाकरे के इस यात्रा में शामिल होने से महाविकास आघाडी के साथ ही विपक्षी एकता को भी मजबूत करने की कोशिशों को बल मिलेगा।