प्रियंका गाँधी अपनी ओर ध्यान खींचने में सफल रही हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश की अपनी पहली यात्रा के समय भी, अहमदाबाद के अधिवेशन में भी, दलित नेता चन्द्रशेखर से मिलने के समय भी और प्रयाग से वाराणसी की गंगा यात्रा में भी।
जेएनयू के लापता छात्र नज़ीब अहमद की माँ ने नरेंद्र मोदी से अपने बेटे के बारे में पूछ सवाल तो सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने फ़र्जी तसवीर डाल कर कहा, वह बन गया आतंकवादी।
केजरीवाल का साथ छोड़ने वालों में ताज़ा नाम है अल्का लाम्बा का। अल्का लाम्बा ने केजरीवाल पर जिस तरह के आरोप लगाए हैं, वैसे ही आरोप दूसरों ने भी लगाए और एक-एक करके पार्टी छोड़ते चले गए।
अमित शाह को एक ज्योतिषी ने सलाह दी थी कि चुनाव के मद्देनज़र उन्हें ऑफ़िस के पाँचवें फ़्लोर पर नहीं बैठना चाहिए, इस पर उन्होंने ग्राउंड फ़्लोर में बैठना शुरू कर दिया।
जिस देश की 60 फ़ीसदी आबादी रोजाना तीन डॉलर यानी 210 रुपये से कम की आमदनी में अपना गुजारा करती है, वहाँ एक अनुमान के मुताबिक़ 2019 के आम चुनाव में प्रति वोटर आठ डॉलर यानी 560 रुपये ख़र्च होने जा रहा है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जैश-ए-मुहम्मद के सरगना अज़हर मसूद को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने में चीन के अड़चन डालने के बाद देश में राजनीति तेज़ हो गई है।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने चेन्नई में छात्रों से बात करते हुए रफ़ाल का मुद्दा फिर उठाया और इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल पूछे तो छात्रों ने तालियाँ बजा कर खुशी जताई।
2019 चुनाव जैसी कठिन रेस की शुरुआत में कोई भी अटकल लगाना ख़तरे से खाली नहीं है। फिर भी, मैं वे दस कारण बताना चाहूँगा कि क्यों मुझे लगता है कि इस दौड़ में फ़िलहाल नरेंद्र मोदी काफ़ी आगे हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने राजनीतिक बहस के केंद्र में रफ़ाल सौदे के मुद्दे को एक बार फिर लाते हुए यह आरोप लगाया है कि तमाम संस्थान इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बचाने में लगे हैं।
राजनीति के चतुर खिलाड़ी नरेंद्र मोदी ने चुनाव का अजेंडा ही बदल दिया है और पूरा विपक्ष उनके जाल में फँस चुका है। बीजेपी अपनी चाल में कामयाबी होती नज़र आ रही है।
पुलवामा हमले में जान गँवाने वालों जवानों को ‘शहीद’ बताने की चुनावी रैलियों में होड़ मची है। लेकिन इसमें शहीदों के परिजनों की न तो व्यथा दिखती है और न ही उनकी समस्याओं का ज़िक्र होता है।