चुनाव जैसे जैसे नज़दीक आता जा रहा है, उत्तर प्रदेश में तमाम पार्टियों में बग़ावत, असंतोष बढ़ता जा रहा है, पार्टियां उम्मीदवारों को ताश के पत्तों की तरह फेंट रही हैं।
लोकसभा चुनाव में बीजेपी की तरफ़ से ज़्यादातर सीटों पर उम्मीदवार उतारे जा चुके हैं। उसके उम्मीदवारों की लिस्ट को देखते हुए लगता है कि इस लोकसभा में बीजेपी पूरी तरह मुसलिम मुक्त होगी।
बीजेपी के कई ऐसे दिग्गज नेता हैं जो वर्षों तक पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ते रहे और संगठन से लेकर सरकार में कई बड़े पदों पर रहे। लेकिन इस बार वे चुनावी समर से बाहर हैं।
एक दिन पहले ही सपना के कांग्रेस में शामिल होने की ख़बर आयी थी, लेकिन अब उन्होंने कांग्रेस में शामिल होने की ख़बर को ही ख़ारिज़ कर दिया है। कांग्रेस ने भी सबूत पेश कर दावा किया कि वह झूठ बोल रही हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष ने सही समय पर हस्तक्षेप कर बीजेपी के सर्जिकल स्ट्राइक से पार्टी को बचा लिया और जितिन प्रसाद ने पार्टी नहीं छोड़ी, पर जितिन अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर दुविधा में हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पाकिस्तान दिवस के बहाने कांग्रेस पर चोट करते हैं और ख़ुद पाक को शुभकामना संदेश भेजते हैं। लगता है, सरकार पाकिस्तान नीति पर कन्फ़्यूज़्ड है।
यह माना जा रहा था कि राष्ट्रीय जनता दल जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार के लिए बेगूसराय की सीट सीपीआई के दे देगा, पर ऐसा नहीं हुआ।
यह अटकल काफ़ी तेज़ है कि जितिन प्रसाद कांग्रेस में ख़ुश नहीं हैं और अपना राजनीतिक करियर बचाने के लिए बीजेपी का दामन थाम सकते हैं। इस अटकल पर इतना शोर क्यों है? आख़िर वह कितना महत्वपूर्ण हैं?
मायावती का राजनीतिक संघर्ष सचमुच चमत्कारिक रहा है, लेकिन क्या वह इस लोकसभा चुनाव में सीटें जीतने और प्रधानमंत्री की दावेदारी पर कुछ वैसा ही चमत्कार दिखा पाएँगी?
कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के कई बड़े नेताओं पर 1800 करोड़ रुपये घूस लेने का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कई सवाल पूछे हैं।
क्या कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जितिन प्रसाद कांग्रेस को झटका देने की तैयारी में हैं? यह अटकल काफ़ी तेज़ है कि वह कांग्रेस में ख़ुश नहीं हैं और अपना राजनीतिक करियर बचाने के लिए बीजेपी का दामन थाम सकते हैं।