नई सरकार 30 मई को शपथ लेने जा रही है और इस सरकार में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी शामिल हो सकते हैं। लेकिन सवाल यह है कि अब बीजेपी का अगला अध्यक्ष कौन होगा?
धमाकेदार जीत के बाद क्या नरेंद्र मोदी खुद और अपनी टीम को धन्यवाद कहेंगे जिसने उनकी सच्चाई से बड़ी छवि गढ़ी और ब्रांड बनाया, जिसके आगे विपक्ष बौना साबित हुआ।
बीजेपी को रोकने के लिए विपक्ष पूरी तैयारी में जुटा है, कांग्रेस पार्टी प्रधानमंत्री पद किसी और को देने पर राजी हो सकती है। इस मुहिम की अगुआई कर रहे हैं आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू।
जेएनयू से शुरू हुआ कथित राष्ट्रवाद का खेल एक दिन राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को भी पाकिस्तानी क़रार देगा शायद ही किसी ने सोचा होगा? अब बीजेपी के एक नेता ने महात्मा गाँधी को पाकिस्तान का राष्ट्रपिता कह डाला।
शरद पवार ने साफ़ तौर पर कहा है कि यदि राष्ट्रपति ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलवा भी दी तो वही हाल होगा जो 1996 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार का हुआ था।
आज अनुकूल मौसम दिखाई पड़ रहा है, लेकिन तीसरे मोर्चे की नींव नहीं पड़ती दिख रही। इसमें सवाल यह उठ रहे हैं कि क्या तीसरा मोर्चा या फ़ेडरल फ़्रंट अब इस दौर की राजनीति में प्रासंगिक नहीं रहे?
देश के 50 प्रतिशत हिन्दू मतदाताओं का ध्रुवीकरण कर 50 साल तक सत्ता में बने रहने का अमित शाह और नरेंद्र मोदी का फ़ॉर्मूला कोई नया नहीं है। लेकिन क्या यह फ़ेल नहीं हो गया है?
बीजेपी लोकसभा चुनाव जीतने के हर हथकंडे आजमा रही है, जिसमें से एक पिछड़े वर्ग को विभाजित कर उसके एक तबक़े का वोट खींचना भी शामिल है। तो क्या इन जातियों को वह खींच पाएगी?
चुनाव बाद यदि एनडीए ज़रूरी आँकड़े जुटा भी लेती है तो क्या नरेंद्र मोदी दुबारा प्रधानमंत्री नहीं बनेंगे? यह सवाल इसलिए कि प्रधानमंत्री पद के लिए बार-बार नितिन गडकरी का नाम उछलता रहा है।
के. चंद्रशेखर राव ने एक बार फिर से फ़ेडरल फ़्रंट बनाने की कवायद शुरू कर दी है। उन्होंने नये सिरे से मुलाक़ातों का दौर किया है। चर्चा है कि केसीआर की कोशिश ग़ैर-भाजपाई और ग़ैर-कांग्रेसी मोर्चा बनाने की है।
राजनीति के तमाम तथाकथित पंडित, पेड-बैकपेड-बेपेड सर्वे एजेंसियाँ मान रही हैं कि एन-केन-प्रकारेण 23 मई के बाद भी सरकार बीजेपी की ही बनेगी। इससे पाँच विपक्षी दलों के मुख्यमंत्री व नेता आशंकित हैं।
प्रधानमंत्री मोदी 'वंदे मातरम' के नारे लगाते रहे लेकिन नीतीश कुमार बगल में ही चुप बैठे रहे। सभी लोग खड़े भी हो गये तब काफ़ी असहज दिख रहे नीतीश भी आख़िर में खड़े हुए, लेकिन तब भी वह जयकारे लगाते नहीं दिखे।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने आपको अति पिछड़ा घोषित करके एक नया राजनीतिक दाँव खेला है। 2014 के चुनावों से पहले उन्होंने ख़ुद को नीची जाति का घोषित कर दिया था। ऐसा क्यों?