लोकतंत्र के लिए सत्ताधारी पार्टी का महत्व बहुत ज़्यादा है, पर विपक्ष की भूमिका भी कम नहीं है। विपक्ष के बहुत सारे नेता सत्ताधारी पार्टी में शामिल होना चाहते हैं। क्या यह देश की राजनीति के लिए सही है?
कांग्रेस के अंदरूनी ख़ेमों से ख़बरें आने लगी हैं कि वरिष्ठ नेताओं का एक गुट अब प्रियंका गाँधी को अध्यक्ष बनाने की कवायद में जुट गया है। नेताओं ने पार्टी के भीतर और बाहर भूमिका तैयार करनी शुरू कर दी है।
कांग्रेस में इस्तीफ़ों का दौर जारी है। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी कांग्रेस महासचिव पद से इस्तीफ़ा दे दिया है। अब सवाल उठता है कि क्या प्रियंका गाँधी भी तो इस्तीफ़ा नहीं देंगी?
कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल से उस सांसद को लोकसभा में अपना नेता क्यों बनाया है जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद सत्र शुरू होने से एक दिन पहले ‘फ़ाइटर’ बताया था?
जे.पी. नड्डा को बीजेपी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है। इसके साथ ही इसपर लंबे समय से चला आ रहा अटकलों का दौर ख़त्म हो गया है। अमित शाह के गृहमंत्री बनने के बाद से बीजेपी अध्यक्ष पद पर कई नामों को लेकर कयास लगाये जा रहे थे।
अमित शाह क्या गृह मंत्री के साथ बीजेपी अध्यक्ष के पद पर भी बने रहेंगे? इसे लेकर अटकलें लगाई जा रही थीं। शाह के और 6 महीने तक अध्यक्ष बने रहने की संभावना है।
राहुल गाँधी कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर बने रहेंगे या नहीं, इसे लेकर पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि राहुल गाँधी कांग्रेस के अध्यक्ष थे, हैं और रहेंगे।
राम मंदिर के मुद्दे पर शिवसेना के सुर लोकसभा चुनाव के बाद बदल गए हैं। संजय राउत ने अब कहा है कि यह काम मोदी, योगी के साथ हम मिल कर पूरा करेंगे। तो शिवसेना का रूख़ नरम अब क्यों पड़ा?
जिस विचारधारा की लड़ाई की बात राहुल गाँधी कर रहे हैं क्या वह कांग्रेस को उस मुकाम तक पहुँचा पाएँगे? उस दौर में जब ‘विचारधारा’ को सिर्फ़ एक शब्द ‘सत्ता’ तक संकुचित कर दिया गया है?
लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या दिल्ली में आम आदमी पार्टी ख़त्म हो जायेगी? लेकिन एक सर्वे में वह बात निकलकर आई है जो चौंकाने वाली है।
तमिलनाडु के मतदाताओं ने लोकसभा चुनाव में जहाँ डीएमके गठबंधन को शानदार जीत दिलायी, वहीं 22 विधानसभा सीटों के लिए उप-चुनाव में 9 सीटें मुख्यमंत्री पलानीसामी को जीत दिलाकर सरकार बचा ली। तो क्या वोटर मोदी से नाराज़ थे?
कांग्रेस में इस्तीफ़े और असमंजस का दौर चल रहा है, जबकि 5 महीने बाद महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। देवेंद्र फडणवीस के 220 सीटों पर जीत के दावे के बाद कहाँ टिकेगी कांग्रेस?