बैठक में भले ही अगस्त में सोनिया गांधी को नेतृत्व के सवाल पर चिट्ठी लिखने वाले नेताओं ने अपने तेवर ढीले कर राहुल गांधी के दोबारा अध्यक्ष बनने का रास्ता साफ़ कर दिया हो लेकिन उनकी नाराज़गी पूरी तरह ख़त्म नहीं हुई है।
राहुल गांधी दोबारा कांग्रेस अध्यक्ष हो सकते हैं। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ पार्टी के पदाधिकारियों और वरिष्ठ नेताओं की अहम बैठक के बाद इस आशय के पुख़्ता संकेत मिले हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ होने वाली पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की निर्णायक बैठक में राहुल की मनाही के बाद विकल्प के तौर पर प्रियंका के नाम पर सहमति बन सकती है।
सोनिया गांधी के 'बाग़ियों' के साथ शनिवार को मिलने की ख़बर है। सोनिया के साथ उस मीटिंग में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी होंगे। ये 'बाग़ी' वे हैं जिन 23 वरिष्ठ नेताओं ने कांग्रेस में सुधार के लिए सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी थी।
आज़ादी के बाद के दशकों में हुए देश के सबसे बड़े किसान आंदोलन को घूम फिर कर लेफ़्ट के साथ जोड़कर क्यों देखा जा रहा है? क्या लेफ़्ट वाक़ई नए सिरे से प्रभावशाली शक्ति के रूप में उभर रहा है?
क्या किसान आंदोलन को ‘अल्ट्रा लेफ़्ट’ द्वारा अगवा किये जाने के 'इंटेलिजेंस ब्यूरो' के आरोप में सचाई है? इसे लेफ़्ट के साथ जोड़कर क्यों देखा जा रहा है? क्या लेफ़्ट वाक़ई नए सिरे से प्रभावशाली शक्ति के रूप में उभर रहा है?
वृहत हैदराबाद नगर निगम चुनाव के नतीजों का क्या संदेश है? क्या सेक्युलर दलों से उठ रहा मुसलमानों का भरोसा, किस बात का इशारा है ओवैसी की बढ़ती स्वीकार्यता?
कांग्रेस के भविष्य को लेकर इस समय सबसे ज़्यादा चिंता व्याप्त है। यह चिंता बीजेपी भी कर रही है और कांग्रेस के भीतर ही नेताओं का एक समूह भी कर रहा है। दोनों ही चिंताएँ ऊपरी तौर पर भिन्न दिखाई देते हुए भी अपने अंतिम उद्देश्य में एक ही हैं।
प्रतिस्पर्धी का होना बीजेपी या जो भी दल सत्ता में है उसके लिए भी अच्छा होगा। क्योंकि उसे अपने में निरन्तर सुधार लाने का दबाव बना रहेगा। क्या बीजेपी के मुक़ाबले में कोई पार्टी है? क्या कोई रास्ता है?
क्या है मायावती की बदली हुई राजनीति? लंबे समय तक लगभग अज्ञातवास में रहने के बाद मायावती इधर फिर सक्रिय हुई हैं। सक्रिय होने से मुराद, प्रेस कॉन्फ्रेंस करने से है।