ऐसा साफ दिख रहा है कि कांग्रेस हाईकमान पंजाब में पार्टी के संकट को अब तक नहीं सुलझा सका है। नवजोत सिंह सिद्धू को अध्यक्ष बनाने का फ़ैसला कहीं उसे भारी न पड़ जाए।
कांग्रेस ने जो वजह बताई है, वह आसानी से गले नहीं उतरती। क्या कांग्रेस ने यह बात बहाने के तौर पर कही है। क्या वह एआईयूडीएफ़ से वास्तव में अपना पीछा छुड़ाना चाहती थी।
कैप्टन अमरिंदर सिंह हाल ही में दिल्ली आकर सोनिया गांधी से मिले थे और उन्होंने सिद्धू की शिकायत की थी। सिद्धू के सलाहकारों के बयानों और फ़ेसबुक पोस्ट्स को लेकर भी ख़ासा विवाद हो चुका है।
छत्तीसगढ़ से लेकर दिल्ली तक के सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा तेज़ है कि कांग्रेस यहां नेतृत्व परिवर्तन कर सकती है और राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव को कमान सौंप सकती है।
सिद्धू ने हाल ही में चार सलाहकार नियुक्त किए थे। लेकिन इनमें से दो सलाहकारों मलविंदर सिंह माली और प्यारे लाल गर्ग के विवादित बयानों ने पार्टी को मुसीबत में डाल दिया है।
कांग्रेस ने कहा है कि मोदी सरकार निजीकरण करने की होड़ में देश के साथ विश्वासघात कर रही है, राष्ट्रीय संपत्तियों को बेचा जा रहा है और मित्रों को मुनाफा पहुंचाया जा रहा है।