राज्यों में इंडिया गठबंधन के साझेदारों के बीच सीट-बंटवारे की बातचीत अभी भी शुरू नहीं हुई है। गठबंधन की मुंबई बैठक को 53 दिन हो चुके हैं। इसमें एक प्रस्ताव पारित किया गया था, जिसमें कहा गया था कि “विभिन्न राज्यों में सीट-बंटवारे की व्यवस्था तुरंत शुरू की जाएगी। इसके बाद पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है। सपा और आम आदमी पार्टी ने कई राज्यों में अपने-अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। एमपी को लेकर तो तीखी बयानबाजी तक हुई।
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक कम से कम दो विपक्षी दलों ने सीटों पर चर्चा में देरी के लिए सबसे बड़े विपक्षी दल कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है। विपक्ष के एक नेता ने कहा कि “कांग्रेस आगामी चुनाव के नतीजों का इंतजार कर रही है। वे उम्मीद कर रहे हैं कि उनकी संख्या बढ़ेगी और तब कांग्रेस के पास अन्य घटकों की तुलना में बेहतर सौदेबाजी की ताकत हो सकती है।”
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने सोमवार दोपहर स्वीकार किया कि सीटों पर बातचीत शुरू नहीं हुई है। हालांकि मुंबई प्रस्ताव में कहा गया है कि बातचीत तुरंत शुरू होगी। उस कांग्रेस नेता कहा कि इसमें कोई समय सीमा नहीं दी गई है। इसलिए, यह चुनाव के बाद शुरू हो सकती है।
इंडिया गठबंधन की एक उप-समिति से जुड़े एक नेता ने कहा, “अगर हम 5 राज्यों में से 3 या 4 जीतते हैं, तो हमारे पास अपने सहयोगियों के साथ सीटों पर बातचीत करने के लिए बेहतर जगह होगी। लेकिन अगर हमें एक या दो राज्य मिल गए तो सीट वार्ता में हमारे लिए परेशानी खड़ी हो जाएगी।'' हालाँकि, कांग्रेस को अपनी सीटें बढ़ने की उम्मीद है। जिन पांच राज्यों में चुनाव होने जा रहे हैं, उनमें से राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का शासन है।
अगले महीने पांच राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा चुनाव होने हैं। इनमें एमपी में भाजपा की सरकार है। मिजोरम में भाजपा के गठबंधन वाली एमएनएफ की सरकार है। हालांकि एमएनएफ एनडीए में है लेकिन अब एमएनएफ के स्वर बगावती हो रहे हैं।
31 अगस्त और 1 सितंबर को मुंबई बैठक में इंडिया गठबंधन चुनावी मोड में आता दिखा था। क्योंकि उसने सीट-बंटवारे की व्यवस्था पर तत्काल बातचीत की घोषणा की। एक समन्वय और चुनाव रणनीति समिति सहित पांच पैनल बनाए और लोगों के मुद्दों पर राज्यों में अभियान चलाने का फैसला किया गया था।
इसे गठबंधन की अब तक की सबसे सार्थक बैठक माना गया। बैठक के अंत में, नेताओं ने एक-दूसरे को अधिकतम आम उम्मीदवारों को चुनने, उनकी एकता के लिए खतरों के प्रति सतर्क रहने और लचीलापन दिखाने की याद दिलाई गई। क्योंकि सीट समझौते और गठबंधन को चलाने के लिए ऐसे फैसले महत्वपूर्ण होते हैं। लेकिन बाद में सब कुछ ठप होता नजर आया। .
मुंबई बैठक के बाद बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव ने कहा था - “हम पहले साथ नहीं थे। हम हर सीट पर साझा उम्मीदवार नहीं उतार सके और (प्रधानमंत्री) मोदी ने फायदा उठाया... हम एक निष्कर्ष पर पहुंचे हैं और एक संगठन बनाया गया है। हम सभी को समायोजित करके सीट-बंटवारे की व्यवस्था शुरू करेंगे। कोई बाधा नहीं होगी।”
इंडिया उपसमिति से जुड़े गैर कांग्रेसी दल के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि प्रमुख विपक्षी नेताओं ने आंतरिक चर्चा कई दौर में की है। हमने राज्यों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया है: ए, बी और सी। ए श्रेणी के राज्य वे हैं जिनके पास पहले से मौजूद समझौते हैं (महाराष्ट्र, बिहार, तमिलनाडु, झारखंड, जम्मू-कश्मीर)। बी श्रेणी के राज्य वे हैं जहां कांग्रेस (एमपी, राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश) निर्विवाद रूप से सबसे आगे है। सी श्रेणी के राज्य शेष राज्य हैं, जहां गहन बातचीत की उम्मीद है।
हिन्दुस्तान टाइम्स के मुताबिक एक अन्य नेता ने कहा कि समझ यह थी कि अक्टूबर तक ए और बी श्रेणी के राज्यों में सीट वितरण पर फार्मूला निकल आएगा। ताकि सी श्रेणी के विवादास्पद राज्यों को पर्याप्त समय दिया जा सके, जिसमें दिल्ली, पंजाब, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश शामिल हैं। लेकिन सीट वार्ता में देरी ने हमारी शुरुआती योजना को संकट में डाल दिया है।
हालांकि कांग्रेस के एक रणनीतिकार ने कहा कि इंडिया गठबंधन दलों के पास पर्याप्त समय है क्योंकि चुनाव अप्रैल 2024 में होने की संभावना है। गठबंधन के दूसरे नेता ने कहा कि “शीघ्र चुनाव की संभावना पर भी तो कई बार चर्चा हुई है। भले ही चुनाव तय कार्यक्रम के अनुसार हों, सीटों के बंटवारे में कुछ समय लगेगा। इसलिए समय रहते इस पर विचार होना चाहिए।” बहरहा, इंडिया गठबंधन की मुंबई बैठक में 29 पार्टियां जुटी थीं। लेकिन अब जो स्थिति है, उससे संकेत मिल रहा है कि 28 दलों की एकता डगमगा रही है।
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