दिल्ली के जंतर-मंतर पर आम आदमी पार्टी की ओर से आयोजित 'तानाशाही हटाओ-लोकतंत्र बचाओ सत्याग्रह' में लगभग पूरा विपक्ष ही आ जुटा और नरेंद्र मोदी सरकार पर ज़ोरदार हमले किए। हालाँकि यह रैली कोलकाता में ममता बनर्जी की ओर से आयोजित रैली जैसी बड़ी नहीं थी, पर इसमें कुछ नेताओं को छोड़ वे सभी लोग मौजूद थे, जो कोलकाता की रैली में भाग लेने गए थे। रैली भले ही छोटी हो, पर विपक्षी एकता की दिशा में एक और कदम है, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है।
तृणमूल कांग्रेस की नेता और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, नेशनल कॉन्फ्रेंस के फ़ारूक अब्दुल्ला, एनसीपी के शरद पवार, तेलगुदेशम पार्टी के नेता एन चंद्रबाबू नायडू के अलावा बीजेपी के बाग़ी नेता शत्रुग्न सिन्हा ने भी रैली में शिरकत की। कई दूसरे दलों के नेता भी मौजूद थे। पर इस रैली की खूबी यह है कि इसमें वामपंथी दलों के नेताओं ने भी शिरकत की। हालाँकि भारतीय मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता उस समय उठ कर चल दिए जब तृणमूल की नेता ममता बनर्जी बोलने लगीं।
केजरीवाल की रैली में ममता बनर्जी के बोलते समय सीपीएम नेताओं के उठ कर चले जाने से किसी को ताज्ज़ुब नही हुआ, क्योंकि सीपीएम और टीएमसी पश्चिम बंगाल में परस्पर विरोधी दल हैं और उनके बीच बहुत ही तीखे रिश्ते रहे हैं।
सीपीएम कांग्रेस के साथ कुछ सीटों पर तालमेल कर भी सकती है या बीजेपी को रोकने के लिए उसे समर्थन दे भी सकती है, पर टीएमसी के प्रति वह किसी तरह की नरमी नहीं दिखा सकती। यह विपक्षी एकता के अंदरूनी मतभेदों को भी ज़ाहिर करता है।
ममता बनर्जी ने सीधे तौर पर प्रधानमंत्री को निशाने पर लिया और नरेंद्र मोदी पर खुल कर निजी हमले किए। उन्होंने कुछ तल्ख़ी से तंज कसते हुए कहा, '56 इंच का सीना तो रावण का भी था।' पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने मोदी पर टिप्पणी करते हुए कहा कि 20 दिन बाद ही लोकसभा चुनाव का एलान हो जाएगा, चुनाव से जुड़ी आचार संहिता लागू हो जाएगी और उसके बाद प्रधानमंत्री कुछ नहीं कर सकते। लिहाज़ा, मोदी के मन की बातें सिर्फ़ 20 दिन तक ही चल सकती हैं।
मोदी की तुलना पाक पीएम से
केजरीवाल ने नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि वह देश से लोकतंत्र ख़त्म करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, 'मोदी संविधान को फाड़ कर फेंक देना चाहते हैं। वह लोकतंत्र ख़त्म कर रहे हैं।' उन्होंने ममता बनर्जी का समर्थन करते हुए कहा कि 40 सीबीआई अफ़सरों का कोलकाता पहुँच कर कोलकाता के पुलिस प्रमुख के घर पर छापा मारना अलोकतांत्रिक है। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने बेजेपी अध्यक्ष अमित शाह और नरेंद्र मोदी पर व्यंग्य करते हुए तंज किया, 'दिल्ली और कोलकाता पर कब्जा करने का सपना कौन देखता है? ऐसा सिर्फ़ पाकिस्तान का प्रधानमंत्री ही करता है।' जंतर-मंतर की रैली में बहुत ज़्यादा भीड़ नहीं थी और मीडिया ने भी इस पर बहुत अधिक ध्यान नहीं दिया। पर यह तो साफ़ है कि इसी बहाने पूरा विपक्ष फिर एक बार एक मंच पर आ गया। उन सबने सत्तारूढ़ दल बीजेपी और प्रधानमंत्री पर एक सुर में हमला किया। चुनाव के ठीक पहले इसका राजनीतिक महत्व है।
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