उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाराष्ट्र और झारखंड में 'बंटोगे तो कटोगे' नारे का अभियान तेज कर दिया है। इस नारे के खिलाफ सबसे ज्यादा समाजवादी पार्टी मुखर है। योगी का नारा सामने आने के बाद सपा लगातार नए नारे गढ़ रही है। कांग्रेस और बसपा ने भी योगी के नारे के जवाब में अपना नारा गढ़ा। महाराष्ट्र में तो खैर शिवसेना शिंदे गुट और एनसीपी प्रमुख अजित पवार ने खुलकर इस नारे का विरोध किया है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने मंगलवार 12 नवंबर को भी इस मुद्दे पर तीखा हमला बोला और इस नारे को इतिहास का सबसे नकारात्मक नारा बताया। यादव ने कहा कि यह 'फूट डालो और राज करो' की ब्रिटिश नीति जैसा भयानक है।
सपा ने मोर्चा संभाला
योगी ने यह नारा अगस्त में लगाया था। अक्टूबर में इस नारे पर आरएसएस ने मथुरा बैठक में मुहर लगाई और इसके बाद इस नारे की भाजपा में धूम मच गई। लेकिन अगले ही दिन लखनऊ में अखिलेश यादव के फोटो के साथ विशालकाय होर्डिंग सपा दफ्तर के बाहर और लखनऊ शहर में दिखाई दिए। देवरिया जिले के सपा कार्यकर्ता विजय प्रताप ने लखनऊ में पार्टी कार्यालय के बाहर एक होर्डिंग लगाया, जिस पर लिखा था 'जुड़ेंगे तो जीतेंगे'।एसपी कार्यकर्ता रणजीत सिंह का ऐसा ही होर्डिंग दिखा, जिस पर लिखा है- 'ना बटेंगे, ना कटेंगे, 2027 में नफ़रत करने वाले हटेंगे।' हिंदू मुस्लिम एक रहेंगे तो नेक रहेंगे'। दरअसल 2027 में यूपी विधानसभा के चुनाव है, इसमें उसी तरफ इशारा किया गया है। इसी तरह महराजगंज जिले के एक अन्य सपा कार्यकर्ता के होर्डिंग्स में कहा गया- 'ना बटेंगे, ना कटेंगे, पीडीए के संग रहेंगे' और 'पीडीए जुड़ेगी और जीतेगी'।
कांग्रेस का करारा जवाब
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 10 नवंबर को भाजपा के दो नारों - 'बंटोगे तो कटोगे' और 'एक हैं तो सुरक्षित हैं' के लिए पीएम मोदी और बीजेपी पर निशाना साधा। खड़गे ने मोदी और उनकी पार्टी पर महाराष्ट्र में चुनाव प्रचार के दौरान विभाजनकारी राजनीति में शामिल होने का आरोप लगाया।
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बंटोगे तो कटोगे (योगी)- एक हैं तो सेफ हैं (मोदी)...इससे आप का क्या अर्थ है? आप किसको काटेंगे। सच तो यह है कि आप उस समूह से हैं ना, जिसने उसी व्यक्ति की हत्या कर दी जिसने हमें आजादी दिलाई थी।
मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस अध्यक्ष, 10 नवंबर 2024 नागपुर में सोर्सः पीटीआई
खड़गे ने पूछा- "इससे उनका क्या मतलब है? आप किसे मारेंगे? इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ने भारत को एकजुट रखने के लिए अपना बलिदान दिया। यह नारा योगी जी का है। मोदी जी कहते हैं, 'एक हैं तो सुरक्षित हैं'। मैं मुझे नहीं पता कि इनमें से कौन सा नारा काम करेगा। तथ्य यह है कि आप उस समूह से हैं जिसने उसी व्यक्ति को मार डाला जिसने हमें आजादी दी।''
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यह भाजपा को तय करना होगा कि वह लोगों को बांटना चाहती है या एकजुट करना चाहती है।
मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस अध्यक्ष, 10 नवंबर 2024 नागपुर में सोर्सः पीटीआई
राज्यसभा में विपक्ष के नेता ने इसे उत्तेजक भाषणों और गलत सूचना के माध्यम से ध्यान भटकाने की रणनीति के रूप में बताने के लिए भाजपा की आलोचना की। उन्होंने कहा, सत्तारूढ़ दल के नेता बेरोजगारी, कृषि संकट और गिरती कानून-व्यवस्था जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को संबोधित करने के बजाय केवल बांटने, भड़काने और जनता को गुमराह करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
मायावती ने भी दिया नारा- बसपा प्रमुख मायावती ने सपा और भाजपा को उनके "भ्रामक" नारों के लिए आड़े हाथों लिया और कहा कि ये नारे लोगों का ध्यान अपनी कमियों से भटकाने के लिए बनाए गए हैं। मायावती ने अपना नारा दिया- "बसपा से जुड़ेंगे तो आगे बढ़ेंगे, सुरक्षित रहेंगे।"
महाराष्ट्र में बेचैनी क्यों
भाजपा में योगी के नारे से दूरी बनाने की कोशिश की गई और फिर मोदी ने नारा दिया- एक हैं तो सेफ हैं। इस नारे के आधार पर भाजपा ने सोमवार को देश के कई अखबारों में मोदी के नारे का विज्ञापन छपवाया। कहा जा रहा है कि योगी के नारे की बजाय भाजपा का यही नारा है- एक हैं तो सेफ हैं। लेकिन महाराष्ट्र में योगी के नारे के पोस्टर लगने के बाद महायुति के दो घटकों शिवसेना शिंदे गुट और एनसीपी अजित पवार गुट ने इस पर खुद को असहज पाया।महायुति में भाजपा के सहयोगी अजित पवार ने खुले तौर पर इस नारे का विरोध करते हुए कहा है कि यह महाराष्ट्र के लोगों को पसंद नहीं आएगा। महाराष्ट्र शिवाजी महाराज, साहू जी महाराज, फुले महाराज की धरती है। यहां पर लोगों को बांटने वाले नारे नहीं चलेंगे। अजित पवार ने कहा- “मैंने यह कई बार कहा है। ये महाराष्ट्र में नहीं चलेगा। यह यूपी, झारखंड या कुछ अन्य जगहों पर काम कर सकता है। यहां नहीं।” इसी तरह शिवसेना शिंदे गुट ने भी इस नारे से दूरी बना ली।
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