कल्पना सोरेन
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बाबूलाल मरांडी
बीजेपी - धनवार
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यूपी में जिस तरह ओबीसी के तमाम नेता बीजेपी छोड़कर जा रहे हैं, बीजेपी नेतृत्व ने फौरन निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद को दिल्ली बुला लिया और उनसे गठबंधन में रहने का भरोसा मांगा। कल से ही यह चर्चा थी कि निषाद पार्टी के नेता भी समाजवादी पार्टी में जा सकते हैं।
योगी मंत्रिमंडल से कल जैसे ही स्वामी प्रसाद मौर्य का इस्तीफा हुआ और बाकी ओबीसी विधायकों ने भी बीजेपी छोड़ने की घोषणा की तो उसके फौरन बाद गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश पर यूपी की निषाद पार्टी के अधयक्ष डॉ. संजय निषाद को दिल्ली बुला लिया गया। अमित शाह और कोर कमेटी के बाकी सदस्यों धर्मेंद्र प्रसाद, सुनील बंसल, योगी आदित्यनाथ आदि ने संजय निषाद के साथ कई घंटे तक बैठक की।
लगभग एक महीना हो रहा है लेकिन निषाद उपजातियों को अनुसूचित जाति का दर्जा नहीं मिल पा रहा है। 17 दिसम्बर को लखनऊ में निषाद समाज पार्टी की रैली को गृह मंत्री अमित शाह ने संबोधित किया था। इस रैली में निषादों को अनुसूचित जाति आरक्षण का लाभ देने की घोषणा की जानी थी। लेकिन अमित शाह ने कोई घोषणा नहीं की। इस पर रैली के दौरान ही लोगों ने अपनी नाराजगी जता दी। संजय निषाद ने भी नाराजगी प्रकट की। फिर उन्होंने बीजेपी नेतृत्व को अल्टीमेटम जारी कर दिया।
इसके बाद दिल्ली में धर्मेंद्र प्रधान के घर और बाद में राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा के आवास पर इस संबंध में बैठक हुई। इसके बाद धर्मेंद्र प्रधान के घर जनगणना आयुक्त को बुलाकर बात की गई। पिछले एक महीने से चल रही इस कवायद के बावजूद कोई नतीजा नहीं निकला। यही वजह है कि स्वामी प्रसाद के इस्तीफे के बाद बीजेपी आलाकमान को बची-खुची ओबीसी पार्टियों को रोकने की चिन्ता हुई। चुनाव आचार संहिता लागू होने की वजह से अब बीजेपी ने अगली सरकार का गठन होने पर आरक्षण का लाभ देने का भरोसा दिया है। डॉ संजय निषाद इसी भरोसे पर बीजेपी के साथ फिलहाल बने हुए हैं। लेकिन अगर उनके समाज ने फिर दबाव बनाया तो वो पलटी मारने में देर नहीं लगाएंगे।
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