loader

नीतीश से मिले तो, पर नवीन पटनायक विपक्षी एकता के साथ हैं या नहीं?

ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल और अखिलेश यादव जैसे नेताओं से मिलने के बाद अब मंगलवार को नीतीश कुमार ने नवीन पटनायक से मुलाक़ात की। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ भुवनेश्वर में मुलाकात को लेकर बीजू जनता दल के प्रमुख नवीन पटनायक ने जानकारी साझा की। ओडिशा के मुख्यमंत्री ने बैठक के बाद कहा, 'हमारी दोस्ती जगजाहिर है और हम कई साल पहले सहयोगी थे। आज किसी भी गठबंधन पर कोई चर्चा नहीं हुई।' नीतीश कुमार ने कथित तौर पर व्यक्तिगत संबंधों पर जोर दिया और पटनायक से राजनीतिक चर्चाओं के बारे में चिंता न करने को कहा। 

नीतीश 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के ख़िलाफ़ एक महागठबंधन बनाने के लिए समान विचारधारा वाले विपक्षी दलों को एकजुट करने के मिशन पर हैं, जबकि नवीन पटनायक हाल के वर्षों में किसी भी गठबंधन से दूरी बनाए रखे हुए हैं, चाहे वह भाजपा या कांग्रेस के नेतृत्व में हो। बहरहाल, समझा जाता है कि नीतीश कुमार ने उन दलों को भी साथ जोड़ने की पहल की है जो कांग्रेस के साथ विपक्षी एकता में आने में असहज महसूस करते हैं। इसमें टीएमसी, आप और समाजवादी पार्टी प्रमुख हैं। इसी कड़ी में नीतीश की नवीन पटनायक से मुलाक़ात बेहद अहम है।

ताज़ा ख़बरें

पटनायक देश के किसी भी राज्य के सबसे लंबे समय तक रहने वाले मुख्यमंत्रियों में से एक हैं और वह नीतीश कुमार की तरह बीजेपी के पूर्व सहयोगी हैं। 2008 में एनडीए से बाहर निकलने के बाद से उन्होंने कांग्रेस और बीजेपी से समान दूरी बनाए रखने की कोशिश की है। हालांकि, उन्होंने संसद में कई महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराने में बीजेपी सरकार का समर्थन किया है।

नीतीश कुमार गुरुवार को मुंबई में एनसीपी प्रमुख शरद पवार और शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे से भी मुलाकात करेंगे। समझा जाता है कि नीतीश की ऐसी बैठकें लगातार जारी रहेंगी। हाल के कई महीनों से नीतीश इसी प्रयास में लगे हुए हैं। 

पिछले महीने ही नीतीश कुमार टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी और सपा प्रमुख अखिलेश यादव से मिले थे। लखनऊ में मुलाक़ात के बाद अखिलेश यादव के साथ प्रेस कॉन्फ़्रेंस करने के लिए नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव पहुँचे थे। अखिलेश यादव ने कहा था कि लोकतंत्र व संविधान को बचाने के लिए, बीजेपी को हटाने में हम नीतीश, तेजस्वी के साथ हैं। नीतीश कुमार ने भी कुछ इसी तरह की बात कही कि विपक्षी एकता के लिए सभी दल साथ आ रहे हैं।
nitish kumar naveen patnaik meeting amid opposition unity - Satya Hindi
अखिलेश यादव से मुलाक़ात से पहले कोलकाता में नीतीश कुमार-तेजस्वी यादव की बैठक बेहद सफल रही थी। बैठक के बाद नीतीश और ममता ने कहा था कि हम सब एकजुट हैं। कहीं कोई मसला नहीं है।

ममता ने कहा था, 'मैंने नीतीश जी से अनुरोध किया है कि विपक्षी एकता की बैठक बिहार से हो। क्योंकि वहीं से जयप्रकाश नारायण जी ने अपना आंदोलन शुरू किया था। बिहार में बैठक के बाद हम लोग तय करेंगे कि हमें आगे कैसे बढ़ना है। लेकिन उससे पहले हमें यह संदेश देना चाहिए कि हम एकजुट हैं। मैंने पहले भी इसके बारे में कहा है कि मुझे विपक्षी एकता को लेकर कोई आपत्ति नहीं है। मैं चाहती हूं कि बीजेपी जीरो हो जाए, जो मीडिया के समर्थन से हीरो बन गए हैं।'

nitish kumar naveen patnaik meeting amid opposition unity - Satya Hindi

इन मुलाक़ातों को लेकर अहम बात यह है कि नीतीश उन दलों से भी मुलाक़ात कर रहे हैं जिन दलों की कांग्रेस के साथ तालमेल उतनी अच्छी नहीं है। कुछ दिन पहले उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल से भी मुलाक़ात की थी। केजरीवाल ने भी उनको विपक्षी एकता का भरोसा दिया। उस दौरान नीतीश ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी से भी मुलाक़ात की थी। 

नीतीश के साथ बैठक में राहुल गांधी सहित कई नेताओं ने कहा था, 'हमने यहाँ एक ऐतिहासिक बैठक की। बहुत सारे मुद्दों पर चर्चा की गई और हमने फ़ैसला किया कि हम सभी दलों को एकजुट करेंगे और आगामी चुनाव एकजुट तरीके से लड़ेंगे। हमने यह फैसला किया है और हम सभी इसके लिए काम करेंगे।' 

 

nitish kumar naveen patnaik meeting amid opposition unity - Satya Hindi

पहले बीजेपी के लिए विपक्षी एकता बड़ी मुश्किल नहीं पेश कर पाई थी तो इसकी कई वजहें रहीं। उनमें से एक तो यही है कि विपक्ष की सभी बड़ी पार्टियाँ एक साथ नहीं आ पाईं।

मार्च महीने में ही टीएमसी चीफ ममता बनर्जी ने अचानक कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। मीडिया रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से ख़बर आई थी कि ममता ने अपनी पार्टी की बैठक में कहा था- "अगर राहुल गांधी विपक्ष का चेहरा हैं, तो कोई भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना नहीं बना पाएगा। राहुल गांधी पीएम मोदी की 'सबसे बड़ी टीआरपी' हैं।"

और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने साफ कह दिया था कि 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी अमेठी और रायबरेली से अपने प्रत्याशी खड़े करेगी। अमेठी और रायबरेली गांधी परिवार की परंपरागत सीट है और सपा हमेशा से उनके सम्मान में यहां से प्रत्याशी नहीं खड़े करती रही है। 

हाल में आए कांग्रेस और सपा में बयानबाजी के बाद से तनाव बढ़ गया था और दोनों दलों के बीच दूरियाँ बढ़ गई थीं।
क़रीब ढाई महीने पहले ही ममता ने घोषणा कर दी थी कि तृणमूल कांग्रेस अगले साल लोगों के समर्थन से अकेले ही चुनाव लड़ेगी। उससे पहले विपक्षी दलों के बीच राष्ट्रपति के चुनाव के दौरान भी सहमति नहीं बन पाई थी। वे कोई आपसी सहमति से उम्मीदवार भी नहीं उतार पाए थे। टीएमसी ने प्रयास किया और एक चेहरा उतारा भी था, लेकिन बाद में ममता ही पलट गई थीं। ममता ने बाद में कहा था कि अगर उन्हें पता होता कि द्रौपदी मुर्मू सरकार की तरफ़ से उम्मीदवार होने वाली हैं तो वो कभी भी सिन्हा का नाम आगे नहीं बढ़ातीं। उपराष्ट्रपति के नाम पर मार्ग्रेट अल्वा का नाम इसलिये पसंद नहीं है कि उनसे इस बारे में कोई सलाह नहीं ली गई।
राजनीति से और ख़बरें

उन्होंने तब विपक्षी एकता को धता बता दिया था जब वह नवंबर 2021 में दिल्ली पहुँची थीं। दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी से मिलने वाली ममता बनर्जी ने सोनिया गांधी से मुलाक़ात को लेकर एक सवाल के जवाब में पहले तो कहा था कि 'वे पंजाब चुनाव में व्यस्त हैं', लेकिन बाद में उन्होंने कहा कि 'हमें हर बार सोनिया से क्यों मिलना चाहिए? क्या यह संवैधानिक बाध्यता है?' ममता बनर्जी के इस बयान में तल्खी तो दिखी ही थी, इसके संकेत भी साफ़-साफ़ मिले थे। तब उनके उस बयान को उस संदर्भ में देखा गया था जिसमें ममता अपनी पार्टी तृणमूल कांग्रेस का पूरे देश में विस्तार करने में जुटी थीं और उसमें कई नेता कांग्रेस छोड़कर शामिल हो चुके थे। 

तब ममता बनर्जी लगातार कांग्रेस के नेताओं को तोड़ रही थीं। गोवा से लेकर दिल्ली, हरियाणा और यूपी में जिन नेताओं को तृणमूल अपने खेमे में ला रही थी उनमें सबसे ज़्यादा नुक़सान कांग्रेस का ही हो रहा था।

तब दिल्ली में कीर्ति आज़ाद टीएमसी में शामिल हुए थे। गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री लुईजिन्हो फलेरो के अलावा महिला कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं सुष्मिता देव, उत्तर प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष रहे ललितेश पति त्रिपाठी और राहुल गांधी के पूर्व सहयोगी अशोक तंवर भी कांग्रेस से टीएमसी में शामिल हो गए थे। 

ख़ास ख़बरें

पहले माना जाता रहा था कि ममता बनर्जी और सोनिया गांधी के बीच अच्छे समीकरण रहे हैं। दोनों नेता अक्सर विपक्षी एकता की बात करती रही हैं और बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन एनडीए के ख़िलाफ़ एकजुटता की बात करती रही थीं।

कुछ ऐसी ही स्थिति अरविंद केजरीवाल की पार्टी आप और कांग्रेस के बीच संबंधों को लेकर भी रही है। लेकिन नीतीश ने अब आप के साथ ही टीएमसी और सपा से बातचीत को काफ़ी आगे बढ़ा दिया है और उन्हें काफ़ी सकारात्मक संदेश मिले हैं। इससे पहले वह टीडीपी के चंद्रबाबू नायडू, तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव से भी मिले हैं। वैसे, कांग्रेस के साथ आरजेडी, डीएमके, शिवसेना, एनसीपी के साथ ही एनसी, पीडीपी जैसे कई दलों के साथ आने की संभावना है। ऐसे में नीतीश क़रीब-क़रीब सभी प्रमुख विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने में कामयाब हो सकते हैं।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

राजनीति से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें