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जेडीयू ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा या पैकेज के लिए किया प्रस्ताव पारित

जेडीयू ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने और विशेष पैकेज की मांग का प्रस्ताव पारित किया है। पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में यह प्रस्ताव पारित किया गया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली पार्टी ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की लंबे समय से चली आ रही जरूरत पर जोर दिया और अपनी मांग के समर्थन में आर्थिक व विकास संबंधी असमानताओं को गिनाया।

राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दौरान पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय झा को जेडीयू का कार्यकारी अध्यक्ष भी नियुक्त किया गया। पार्टी ने पेपर लीक से निपटने के लिए सख्त कानून बनाने की भी मांग की। कार्यकारिणी द्वारा पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि नीट-यूजी पेपर लीक के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।

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बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए जेडीयू के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, 'बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग कोई नई बात नहीं है। यह बिहार के विकास को गति देने और राज्य की अनूठी चुनौतियों का समाधान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।' जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि नीतीश कुमार ने कहा है कि वह हमेशा एनडीए के साथ रहेंगे और कभी कहीं और नहीं जाएंगे।

प्रस्ताव में बिहार के आरक्षण कोटे की सुरक्षा की ज़रूरत पर भी जोर दिया गया, जिसे हाल ही में बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया गया है। जेडीयू ने प्रस्ताव दिया कि इस कोटे को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल किया जाना चाहिए ताकि इसे न्यायिक जांच से बचाया जा सके और इसका निर्बाध क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जा सके।

बिहार के लिए विशेष श्रेणी का दर्जा देने की मांग नीतीश कुमार की अगुवाई वाली पार्टी द्वारा लगातार की जा रही है। बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार इस मांग पर साफ़ साफ़ कुछ भी नहीं कहा है। दोनों दल एनडीए गठबंधन में हैं तो नीतीश की पार्टी द्वारा इस प्रस्ताव को पास किए जाने से बीजेपी पर दबाव बढ़ेगा। ऐसा इसलिए भी कि इस बार मोदी सरकार खुद के बहुमत पर नहीं, बल्कि जेडीयू जैसे एनडीए सहयोगियों के ऊपर निर्भर है।
विशेष श्रेणी का दर्जा पाए राज्यों को कई लाभ मिलते हैं। इन राज्यों को बढ़ी हुई फंडिंग मिलती है। अगर किसी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा मिल जाता है तो केंद्र सरकार की योजनाओं के लिए 90% पैसा केंद्र सरकार देती है जबकि 10% पैसा राज्य सरकार को देना होता है।

जबकि अभी केंद्र सरकार की योजनाओं में केंद्र सरकार 60 फ़ीसदी पैसा देती है और राज्य सरकार 40 फ़ीसदी। कुछ योजनाओं में यह आंकड़ा 50-50 फ़ीसदी का है।

विशेष श्रेणी के राज्य एक वित्तीय वर्ष से दूसरे वित्तीय वर्ष में बिना इस्तेमाल किए गए फंड को आगे बढ़ा सकते हैं, जिससे संसाधनों का सही उपयोग हो जाता है।

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इसके अलावा, इन राज्यों को कर रियायतें भी मिलती हैं, जिसमें उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क में छूट के साथ-साथ आयकर और कॉर्पोरेट कर भी शामिल हैं। विशेष श्रेणी के राज्यों को केंद्र के सकल बजट से 30% की राशि का आवंटन मिलता है।

फ़िलहाल, देश में 11 राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा मिला हुआ है। असम, नगालैंड, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, सिक्किम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, मिज़ोरम, उत्तराखंड और तेलंगाना सहित ग्यारह राज्यों को विशेष श्रेणी का दर्जा दिया गया है। तेलंगाना को आंध्र प्रदेश से अलग होने के बाद इसके गठन के समय यह दर्जा दिया गया था।

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क़मर वहीद नक़वी
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