2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने की मुहिम में जुटे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को देश की सियासत के तमाम दिग्गज नेताओं से ताबड़तोड़ मुलाक़ात की। नीतीश दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, सीपीएम के नेता सीताराम येचुरी, सीपीआई नेता डी. राजा से मिलने के बाद सपा संस्थापक मुलायम सिंह व उनके पुत्र अखिलेश यादव, इनेलो सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला, जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव से भी मिले।
नीतीश सोमवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी से और उसके बाद जेडीएस के मुखिया एचडी कुमारस्वामी से भी मिले थे। कुछ दिन पहले तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने पटना आकर नीतीश कुमार से 2024 लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी एकता को मजबूत करने के मद्देनजर मुलाकात की थी।
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एकजुटता पर जोर
इस दौरान नीतीश कुमार ने पत्रकारों से कहा कि हालांकि वह बीच में अलग हो गए थे लेकिन अब उनकी कोशिश पूरे देश के अलग-अलग राज्यों में सक्रिय राजनीतिक दलों के साथ ही कांग्रेस को भी जोड़ने की है और सब मिल जाएं तो यह बड़ी बात होगी। नीतीश ने एक बार फिर कहा कि वह प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नहीं बनना चाहते और सभी राजनीतिक दलों को साथ लाना चाहते हैं।
सीताराम येचुरी ने कहा कि नीतीश कुमार के लौटने पर वह उनका हार्दिक स्वागत करते हैं और यह देश की राजनीति के लिए बेहतर संकेत है। उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक दलों को मिलकर देश के संविधान को बचाना है।
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चेहरा बनाने की कोशिश
एनडीए से नाता तोड़ने के बाद जनता दल यूनाइटेड यानी जेडीयू का एक ही लक्ष्य दिखाई देता है। लक्ष्य यह है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए विपक्ष का चेहरा बनाना। जब से नीतीश कुमार ने महागठबंधन के साथ मिलकर सरकार बनाई है, 2024 के चुनाव में विपक्ष का चेहरा कौन होगा, इसे लेकर बहस तेज हो गई है।
नीतीश कुमार की ओर से बीते महीने एनडीए के साथ नाता तोड़ते ही यह संकेत दे दिए गए थे कि अब वह 2024 की चुनावी लड़ाई लड़ना चाहते हैं।
जेडीयू की राष्ट्रीय परिषद और राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से पहले जेडीयू ने पटना मुख्यालय के बाहर जो पोस्टर लगाए थे, उनका भी सीधा संदेश देश भर में नीतीश कुमार को विपक्ष के चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट करना था।
हालांकि नीतीश कह रहे हैं कि उनका काम विपक्षी दलों को एकजुट करना है और अगर 2024 में विपक्ष एकजुट हुआ तो नतीजे अच्छे आएंगे। उनका कहना है कि वह प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नहीं हैं। लेकिन जेडीयू के कई नेता, मंत्री 2024 के लोकसभा चुनाव में नीतीश की प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी को लेकर खुलकर बयान दे चुके हैं।
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2019 में हुई थी कोशिश
2019 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों को एकजुट करने की तमाम कोशिशें हुई थी लेकिन यह कोशिशें परवान नहीं चढ़ सकी थीं।
तब तेलुगू देशम पार्टी के मुखिया और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोशिश की थी कि विपक्षी दलों को एकजुट किया जाए लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी ऐसा नहीं हो सका था।
सवाल यह है कि क्या कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, टीआरएस, टीडीपी, बीजू जनता दल, वाईएसआर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल एक मंच पर आ पाएंगे। क्या नीतीश ऐसा कर पाएंगे? विपक्ष के सामने एकजुटता के सवाल के साथ ही सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस बहुत कमजोर हो चुकी है।
अहम है 2023
साल 2023 में 9 राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं और इन राज्यों से निकला सियासी जनादेश इस बात को तय करेगा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष कहां खड़ा होगा। अगर विपक्ष एकजुट होता है तो वह बीजेपी को जोरदार टक्कर दे सकता है। लेकिन अगर 2023 के चुनावी राज्यों में विपक्षी दलों का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा तो 2024 के चुनाव से पहले ही उसकी नींव कमजोर हो जाएगी।
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