एनडीए में बीजेपी के लंबे समय तक और सबसे विश्वस्त सहयोगियों में से एक रहे नवीन पटनायक के बीजेडी ने बीजेपी के ख़िलाफ़ अब मोर्चा खोल दिया है! बीजेडी अध्यक्ष नवीन पटनायक ने सोमवार को अपनी पार्टी के नौ राज्यसभा सांसदों के साथ बैठक की और उनसे 27 जून से शुरू होने वाले सत्र के दौरान एक मज़बूत विपक्ष के रूप में पेश आने को कहा।
ये उस बीजेडी की घोषणा है जिसने या तो लंबे समय तक बीजेपी के साथ गठबंधन में सरकार चलाई है या फिर बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन सरकार की नीतियों का समर्थन किया है। बीजेपी और बीजेडी के बीच 1998 से 2009 के बीच एक दशक से अधिक समय तक गठबंधन रहा था। दोनों दल 2009 तक तीन लोकसभा और दो विधानसभा चुनाव एक साथ लड़े थे। लेकिन इस लोकसभा व विधानसभा चुनाव में दोनों दलों के बीच गठबंधन नहीं हो पाया।
इस बार विधानसभा और लोकसभा चुनाव में बीजेपी और बीजेडी ने अलग-अलग चुनाव लड़ा और इसमें बीजेडी को काफ़ी नुक़सान हुआ। विधानसभा चुनाव में 78 सीटें जीतकर बीजेपी ने सरकार बनाई है, जबकि नवीन पटनायक का बीजेडी 51 सीटें ही जीत पाया। भाजपा ने लोकसभा की 21 में से 20 सीटें जीत ली हैं। वहीं, एक सीट कांग्रेस के खाते में गई है। यहां सत्तारूढ़ बीजेडी का खाता भी नहीं खुल सका है।
इस तरह के चुनाव नतीजों के बीच ही दोनों दलों के बीच अब उस तरह का व्यवहार नहीं रहा है जैसा पहले रहता था। लोकसभा का सत्र शुरू होने के साथ ही सोमवार को बीजेडी ने राज्यसभा सांसदों के साथ बैठक की। बैठक में पटनायक ने सांसदों से राज्य के हितों से संबंधित मुद्दों को उचित तरीके से उठाने को कहा।
बीजेडी सांसद ने कहा कि ओडिशा को विशेष दर्जा देने की मांग उठाने के अलावा बीजेडी सांसद राज्य में खराब मोबाइल कनेक्टिविटी और बैंक शाखाओं की कम संख्या के मुद्दे भी उठाएंगे।
बाद में पात्रा ने पीटीआई से कहा, 'भाजपा को समर्थन देने का कोई सवाल ही नहीं है। बीजेडी अध्यक्ष ने हमसे कहा कि अगर एनडीए सरकार ओडिशा की वास्तविक मांगों को नजरअंदाज करना जारी रखती है, तो हमें एक मजबूत और जीवंत विपक्ष के रूप में काम करना चाहिए।'
बीजेडी ने पिछले कुछ सालों में न केवल संसद में विभिन्न मुद्दों पर भाजपा का समर्थन किया, बल्कि रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को 2019 और 2024 में राज्यसभा के लिए निर्वाचित होने में भी मदद की थी। लेकिन लगता है कि अब बीजेडी इसके विपरीत काम करने में जुट गया है।
अपनी राय बतायें