बीएसपी प्रमुख मायावती ने यूपी विधानसभा में हार की रविवार को लखनऊ में समीक्षा की। उन्होंने कुछ फैसले भी किए लेकिन इस समीक्षा बैठक की सबसे खास बात ये रही कि बीएसपी प्रमुख ने सबसे ज्यादा मुसलमान वोट न मिलने का रोना रोया और कहा कि सपा को एकतरफा वोट देने वाले मुसलमान अब पछता रहे हैं। बैठक में मायावती ने जो बोला और उसके बाद जो प्रेस नोट जारी हुआ, दोनों में एक ही बात है।
मायावती ने कहा कि सपा को एकतरफा वोट देने वाले मुसलमान अब पछता रहे हैं। इनकी इस कमजोरी का फायदा सपा बार-बार उठा रही है। मुसलमानों को भटका और दिशाहीन बताते हुए बीएसपी ने आज कहा कि अब हमें इन भटके और दिशाहीन लोगों से कतई मुंह नहीं मोड़ना है और इन सब को सपा के शिकंजे से निकालकर बीएसपी में लाने की पूरी-पूरी कोशिश करनी है।
अन्य सभी हिन्दू समाज को भी अब 2007 की तरह पार्टी के काडर से जोड़ना है। मायावती ने कहा, इसी तरह दलितों की भी (मेरी जाति को छोड़कर) अन्य दलित जातियों को भी हिन्दुत्व से निकालकर बीएसपी से जोड़ना है। मायावती ने कहा-
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जब-जब यूपी में मुस्लिम समाज ने सपा को एकतरफा वोट दिया है और सपा सत्ता में आई है, तब-तब बीजेपी और मजबूत हुई है। लेकिन जब भी बीएसपी यूपी में मजबूत होकर उभरी है तो उसने सरकार बनाई है और बीजेपी कमजोर हुई है। इसलिए मुस्लिम समाज को अब ऐसी गलती नहीं करना चाहिए, जिससे बीजेपी और मजबूत हो। मुसलमानों को ध्यान रखना होगा कि सिर्फ बीएसपी ही बीजेपी को सत्ता में आने से रोक सकती है।
- मायावती, राष्ट्रीय अध्यक्ष, बीएसपी, रविवार को लखनऊ में
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कार्यकर्ताओं को निराश होने की जरूरत नहीं है। मैं अब अपनी जिन्दगी का एक एक पल पार्टी को समर्पित करूंगी। हमे बीएसपी को नई ऊंचाईयों पर ले जाना है।
- मायावती, बीएसपी प्रमुख, रविवार को लखनऊ में
यूपी के लिए तीन मुख्य कोऑर्डिनेटर मनोनीत किए गए हैं। ये तीनों राज्य प्रभारी भी होंगे। मायावती द्वारा घोषित नामों में मुनकाद अली (मेरठ), राजकुमार गौतम (बुलंदशहर) और विजय कुमार (आजमगढ़) हैं।
इसके अलावा आजमगढ़ से एआईएमआईएम टिकट पर मुबारकपुर विधानसभा चुनाव लड़ने वाले शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को मायावती ने बीएसपी में फिर से वापस ले लिया है। उनकी वापसी होते ही मायावती ने उन्हें आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में बीएसपी प्रत्याशी घोषित कर दिया है। आजमगढ़ लोकसभा सीट अखिलेश यादव के इस्तीफे से खाली हुई है। गुड्डू जमाली एआईएमआईएम के एकमात्र प्रत्याशी थे, जिनकी जमानत विधानसभा चुनाव में बच गई थी। एआईएमआईएम ने यूपी में सौ प्रत्याशी खड़े किए थे। जिनमें से इन्हीं की जमानत बची थी।
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