यूपी चुनाव 2022 में अभी चार चरणों का मतदान बाकी है। समाजवादी पार्टी ने अपने चुनाव अभियान की रणनीति में बदलाव करते हुए शिवपाल यादव और मुलायम सिंह यादव की रैलियां कराने का फैसला किया है। हालांकि मुलायम करहल विधानसभा में एक रैली कर चुके हैं लेकिन उन्हें अब अन्य जगहों पर भी ले जाने की योजना है। इसी तरह पूर्वी उत्तर प्रदेश के मद्देनजर बीजेपी से बगावत कर सपा में आए स्वामी ्प्रसाद मौर्य की भी रैलियां कराई जाएंगी।
शिवपाल यादव प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के अध्यक्ष हैं। शिवपाल ने सपा के साथ चुनावी गठबंधन किया है। पूरे यादव बेल्ट में मतदान के दो चरण पूरे हो चुके हैं लेकिन अखिलेश ने अपने चाचा का इस्तेमाल पूरे यादव बेल्ट में नहीं किया। शिवपाल बहुत लो प्रोफाइल में रहकर ट्वीट वगैरह करके सपा को जिताने और परिवार की एकजुटता प्रदर्शित कर रहे थे। लेकिन इटावा, कन्नौज, कासगंज, फर्रुखाबाद, मैनपुरी और एटा की यादव बेल्ट में यादवों के कई गुट भी बने हुए हैं। शिवपाल को इसीलिए इस बेल्ट में चुनाव प्रचार करने से रोका गया, क्योंकि कोई भी गुट उनकी आड़ में अपना टारगेट तय कर सकता था।
शिवपाल जब सपा से बाहर निकले थे तो उन्होंने पश्चिमी यूपी और पूर्वांचल के तमाम जिलों में अपना काडर बनाने का काम किया था। पूर्वांचल के कई जिलों में उनकी पार्टी की यूनिट भी है। इसी वजह से सपा ने उन्हें पूर्वांचल में भेजने का फैसला किया है, जहां तमाम यादव बहुल इलाकों में कोई गुटबाजी नहीं है। इसी तरह सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव की रैलियां भी चुनिंदा स्थानों पर कराई जाएंगी। पूर्वांचल के तमाम जिलों आम्बेडकर नगर, कुशीनगर, अयोध्या, गोंडा, बस्ती आदि के छोटे छोटे कस्बों से मुलायम के सीधे संपर्क रहे हैं। वहां के स्थानीय नेता मुलायम से जुड़े रहे हैं। इसी नजरिए से मुलायम का इस्तेमाल किया जाएगा। स्टार प्रचारकों की सूची में इनके अलावा राम गोपाल यादव, किरणमय नंदा के नाम भी हैं।
चुनाव की तारीख घोषित होने से पहले बीजेपी से बगावत कर सपा में आए स्वामी प्रसाद मौर्य का भी इस्तेमाल सपा पूर्वांचल की रैलियों में करेगी। मौर्य का इस्तेमाल भी अभी तक एक भी रैली में नहीं किया गया है। दरअसल, सपा पूर्वांचल में बहुत आक्रामक चुनाव अभियान छेड़ने जा रही है। पार्टी के तमाम प्रमुख नेताओं से पूर्वांचल में डेरा डालने को कहा गया है।
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स्वामी प्रसाद मौर्य अपनी तेज तर्रार भाषा के लिए जाने जाते हैं। बीजेपी से बगावत करते समय उन्होंने बीजेपी पर कई गंभीर आरोप लगाए थे, जिनका बीजेपी कायदे से खंडन तक नहीं कर पाई थी। मौर्य ने सबसे बड़ा रहस्योद्घाटन करते हुए कहा था कि किस तरह यूपी की सरकारी नौकरियों में दलितों और ओबीसी का हक योगी आदित्यनाथ की सरकार ने मारा था। इसके बाद बीजेपी छोड़ने वाले अन्य ओबीसी नेताओं ने भी इस आरोप को दोहराया था। बीजेपी ने अपने बचाव में सिर्फ यही कहा था कि स्वामी अपने बेटे के लिए टिकट मांग रहे थे। लेकिन उनके बेटे ने न सिर्फ इसका खंडन किया, बल्कि ये भी कहा था कि सपा में उनके पिता ने जाते हुए भी यह शर्त नहीं रखी है कि मेरे बेटे को टिकट दिया जाए।
यूपी में चौथे चरण का चुनाव 23 फरवरी को है। इसके बाद तीन चरणों के पूर्वांचल के मैदान में ही लड़े जाने हैं। बीजेपी ने भी प्रधानमंत्री मोदी के कंधे पर सवार होकर पूर्वांचल का किला फतह करने की तैयारी कर ली है। यूपी चुनाव के नतीजे 10 मार्च को आएंगे।
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