निदा खान का बीजेपी में शामिल होना कोई बड़ी सूचना नहीं है। लेकिन निदा खान चूंकि मौलाना तौकीर रजा की बहू हैं, इसलिए बीजेपी में जाने की उनकी सूचना महत्वपूर्ण है। मौलाना ने हाल ही में कांग्रेस का समर्थन करने की घोषणा की थी। सुन्नी बरेलवी विचारधारा के जनक आला हज़रत परिवार से यह पहली सदस्य है जो बीजेपी में शामिल हुई है।
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह आज बरेली में थे। वहां एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर मौलाना की बहू को बीजेपी में उन्होंने शामिल कराया। मौलाना की बहू ने कहा है कि वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों से प्रभावित होकर बीजेपी में आई हैं। मोदी ने तीन तलाक जैसे मुद्दे पर सराहनीय कार्य किया है।
निदा खान तीन तलाक पीड़ित हैं। उन्होंने कहा कि सिर्फ इसी मुद्दे की वजह से वो बीजेपी के समर्थन में खुलकर आई हैं। उन्होंने कहा कि वो पार्टी के लिए प्रचार करेंगी। निदा खान ने बीजेपी की सदस्यता लेने के चंद मिनट बाद ही यूपी में महिलाओं के सुरक्षित होने का दावा पेश कर दिया।
उन्होंने कहा कि उनके ससुर तौकीर रजा ने जरूर कांग्रेस का समर्थन किया है लेकिन वो हमेशा बीजेपी समर्थक रही हैं, क्योंकि बीजेपी ने मुस्लिम महिलाओं के लिए बहुत काम किया है। इस पर विधानसभा चुनाव में मुस्लिम महिलाओं के बीच तीन तलाक कानून बड़ा मुद्दा है। इसके लिए बीजेपी को मुस्लिम महिलाओं का समर्थन मिलेगा। निदा खान ने कहा -
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कांग्रेस ने लड़की हूं लड़ सकती हूं जैसा नारा दिया लेकिन आज तक कभी कोई काम महिलाओं के लिए नहीं किया।
निदा खान, मौलाना तौकीर की बहू
बीजेपी ने इस मौके पर दावा किया कि सपा और बीएसपी छोड़कर करीब 21 लोग बीजेपी में आए हैं। प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह ने कहा कि जो लोग बीजेपी की नीतियों से प्रभावित होकर आ रहे हैं, दरअसल वही सच्चे देशभक्त हैं। निदा खान का बीजेपी में आना पार्टी के लिए महत्वपूर्ण घटना है। उनके आने से मुसलमानों और खासकर मुस्लिम महिलाओं में सकारात्मक संदेश जाएगा।
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समझा जाता है कि चुनाव के मद्देनजर निदा खान ने मौके का लाभ उठाते हुए बीजेपी का दामन पकड़ा है। उनका कोई राजनीतिक बैकग्राउंड भी नहीं है। सौदगरान मोहल्ले में जहां आला हज़रत की दरगाह है, वहां के लोगों का कहना है कि निदा खान तो बीजेपी को अपने मोहल्ले तक की वोट दिलवाने में सक्षम नहीं है। मुहल्ले के लोगों ने कहा कि यह सब राजनीति चुनाव तक ही सीमित है। निदा खान की अपनी कोई हैसियत नहीं है। किसी मौलाना कि सिर्फ बहू होने भर से लोग वोट नहीं देंगे।
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