हरियाणा में कांग्रेस नौ लोकसभा क्षेत्रों में चुनाव लड़ेगी, जबकि कुरूक्षेत्र से एक सीट आप को दी गई है। इसी तरह चंडीगढ़ लोकसभा सीट भी कांग्रेस के हिस्से में आई है। लेकिन पंजाब पर दोनों दल खामोश हैं। पंजाब में 13 सीटें हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 8, अकाली दल को 2, भाजपा को 2 और आप को 1 सीट मिली थी।
लेकिन राज्य की सत्ता में इस समय आप आ चुकी है और उसके हौसले बुलंद हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में उसने 117 में से 92 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत प्राप्त किया था। लेकिन 2019 लोकसभा चुनाव के रेकॉर्ड को देखते हुए कांग्रेस का प्रदेशस्तरीय नेतृत्व आप से किसी भी गठबंधन को तैयार नहीं है। लोकसभा में कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों को पंजाब में 40.12 फीसदी वोट मिले थे। लोकसभा में यह प्रतिशत काफी महत्वपूर्ण है। आप को लोकसभा चुनाव में महज 7.38 फीसदी वोट मिला लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में 42.01 फीसदी वोट मिले। कांग्रेस को करीब 23 फीसदी वोट मिले। पंजाब में अकाली दल और भाजपा के मिलकर चुनाव लड़ने की बातें चल रही हैं। लेकिन दोबारा से शुरू हुए किसान आंदोलन की वजह से दोनों दलों की दूरी बनी हुई है। लेकिन अगर दोनों दल मिलकर चुनाव लड़ते हैं तो उन्हें पिछले चुनाव को देखते हुए कांग्रेस के बराबर वोट प्रतिशत मिल सकता है। यानी कांग्रेस कुल मिलाकर भारी पड़ रही है। जबकि आप पंजाब में लोकसभा चुनाव में विधानसभा चुनाव जैसी सफलता पाने की उम्मीद कर रही है।
सूत्रों का कहना है कि पंजाब में आप लोकसभा सीटों की मांग अपने विधानसभा चुनाव नतीजों के आधार पर कर रही है। लेकिन कांग्रेस उसे 2019 का आंकड़ा याद दिला रही है। इसलिए पंजाब में बात नहीं बनी। लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर वहां आप और कांग्रेस मिलकर 10-3 के फॉर्मूले पर लड़ते तो ज्यादा सफलता मिलने की उम्मीद है।
यूपी की जंग और कांग्रेस-सपा डील
आप-कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे पर सहमति से पहले यूपी में कांग्रेस और सपा के बीच सहमति बनी। कांग्रेस राज्य में 17 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी और शेष 63 सीटें सपा और इंडिया ब्लॉक के अन्य गठबंधन सहयोगियों के लिए होंगी। समझौते के मुताबिक, कांग्रेस अपने गढ़ों-रायबरेली और अमेठी में उम्मीदवार उतारेगी। यूपी में लोकसभा की 80 सीटे हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन को 15 और कांग्रेस को एक सीट मिली थी। इस बार तस्वीर ठीक उलटी है। इस बार कांग्रेस-सपा का समझौता है। बसपा ने अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया था। बसपा का अलग होना भाजपा के लिए फायदेमंद सौदा है। लेकिन यूपी में अगर कांग्रेस के साथ सपा और बसपा मिलकर लड़ते तो पूरा चुनावी नक्शा ही बदल जाता।
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