आम चुनाव में भाजपा न सिर्फ अपने दम पर बहुमत पाने से रह गई, बल्कि उसके 15 मंत्री भी चुनाव हार गए। भाजपा और मोदी अब सरकार बनाने के लिए एनडीए गठबंधन के सहयोगियों के सहारे हैं। यह भाजपा का बहुत बुरा प्रदर्शन है। भाजपा ने 2014 में अपने दम पर 282 सीटें और 2019 में 303 सीटें हासिल की थीं। इस बार उसने 240 सीटें हासिल की हैं। अगर जेडीयू और टीडीपी का साथ भाजपा को न मिले तो भाजपा तीसरी बार केंद्र की सत्ता में नहीं आ सकती। इस चुनाव में कौन-कौन मंत्री हारे हैं, उसके बारे में जानिए।
लखीमपुर खीरी में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को समाजवादी पार्टी के उत्कर्ष वर्मा ने 34,329 से अधिक वोटों से हराया। लखीमपुर खीरी के किसान इस हार पर बहुत खुश जरूर होंगे। वजह यही कि अजय मिश्रा टेनी के बेटे पर किसानों पर जीप चढ़ाकर उन्हें रौंदने का आरोप है। जिसमें कई किसानों की मौत हो गई। इसके बाद हुई हिंसा में भी लोग मारे गए। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट तक ने कड़ी टिप्पणियां कीं। लेकिन मोदी ने इस विवादास्पद शख्स को अपनी कैबिनेट से हटाया नहीं। चुनाव के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह खुद इसके लिए रैली करने लखीमपुर खीरी गए थे।
केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा को झारखंड के खूंटी निर्वाचन क्षेत्र में करारी हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस उम्मीदवार कालीचरण मुंडा ने अर्जुन मुंडा को 1,49,675 वोटों से हराया। अर्जुन मुंडा भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे रहे हैं। मुंडा ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत झारखंड मुक्ति मोर्चा से की थी। करप्शन के आरोपों में घिरे और एक दिन वो भाजपा में थे। वो झारखंड के सीएम भी रह चुके हैं।
मोदी सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी राजस्थान के बाड़मेर में तीसरे नंबर पर रहे। इस सीट से कांग्रेस के उम्मेदाराम बेनीवाल जीते हैं। बेनीवाल और कैलाश चौधरी के बीच वोटों का अंतर 4.48 लाख था। अंदाजा लगाया जा सकता है कि बाड़मेर में मोदी की लोकप्रियता के गुब्बारे की हवा निकल गई। मुख्यधारा का मीडिया इस करारी हार पर कोई बात नहीं कर रहा है।
केरल में तिरुवनंतपुरम सीट पर केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चन्द्रशेखर को कांग्रेस के दिग्गज नेता शशि थरूर ने 16,077 से अधिक वोटों से हराया। हालांकि शुरुआती राउंड में राजीव चंद्रशेखर ने अच्छी बढ़त बनाई थी लेकिन बाद के राउंड में वो पिछड़ते चले गए। राजीव चंद्रशेखर बिजनेसमैन हैं। कई चैनलों के मालिक हैं। रिपब्लिक इंडिया में भी उनके शेयर हैं। शशि थरूर के खिलाफ राजीव चंद्रशेखर को उतारकर भाजपा ने एक तरह से एक काबिल नेता को संसद में आने से रोकने का जाल बिछाया था। लेकिन भाजपा नाकाम रही। शशि थरूर की काबिलियत का लोहा भाजपाई भी मानते हैं।
यूपी में चंदौली से केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री महेंद्र नाथ पांडे की हार मामूली नहीं है। सपा प्रत्याशी वीरेंद्र सिंह ने उन पर दो लाख से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की है। इसी तरह केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के राज्य मंत्री कौशल किशोर मोहनलालगंज में समाजवादी पार्टी के आरके चौधरी से 70,292 वोटों से हार गये। इन दोनों में महेंद्र नाथ पांडे की हार बड़ी है, क्योंकि वो किसी समय प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान को मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी के हरेंद्र सिंह मलिक ने 24,000 से अधिक वोटों के अंतर से हराया। बालियान के खिलाफ चुनाव से पहले ही माहौल बन गया था। 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों में बालियान का नाम आया था। उन्होंने कभी राष्ट्रीय लोकदल के चौधरी अजीत सिंह को हराया था। अजीत सिंह के बेटे जयंत चौधरी अब भाजपा के साथ एनडीए गठबंधन में हैं। लेकिन जयंत भी विवादास्पद बालियान की मदद नहीं कर सके। बालियान की हार से भाजपा की हिन्दुत्ववादी राजनीति की भी पश्चिमी यूपी में हार हुई है। क्योंकि 2013 के दंगों में नाम आने के बाद बालियान का कद भाजपा में तेजी से बढ़ा था।
इनकी भी हार कम नहीं
केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति यूपी के फतेहपुर से हार गईं। इसी तरह रेल राज्य मंत्री राव साहब दानवे महाराष्ट्र की जालना सीट कांग्रेस के कल्याण वैजनाथ राव काले से हार गए। कैबिनेट मंत्री आरके सिंह बिहार के आरा से सीपीआई (एम) के सुदामा प्रसाद से हार गए।
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