इंदौर में सोमवार को सूरत जैसी कहानी दोहराई गई। कांग्रेस के इंदौर उम्मीदवार अक्षय कांति बंब ने सोमवार को अपना नामांकन वापस ले लिया। इस घटनाक्रम की पुष्टि तब हुई जब मध्य प्रदेश के मंत्री और भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने बंब की तस्वीर पोस्ट की और लिखा 'पार्टी में आपका स्वागत है'। इस रिपोर्ट से लगे फोटो को गौर से देखिए। कैलाश विजयवर्गीय कार में आगे बैठे हैं और पीछे नाम वापस लेने वाले अक्षय कांति बंब।
सूरत कांड सामने आने के बाद यह आशंका जताई जा रही थी कि भाजपा ऐसा भाजपा शासित राज्यों में कई सीटों पर कर सकती है। लगातार सूचनाएं आ रही थीं कि भाजपा नेता इस तरह के प्रत्याशियों के शिकार पर निकले हैं। वो आशंका सोमवार को इंदौर में सही साबित हो गई। हालांकि भाजपा नेताओं ने अभी से कहना शुरू कर दिया है कि कांग्रेस प्रत्याशी ने अपना नाम खुद से वापस लिया है। लेकिन नाम वापस लिए जाते समय का जो वीडियो सामने आया है, वही बता रहा है कि वहां भाजपा नेता मौजूद थे। तमाम राजनीतिक विश्वेषक बता रहे हैं कि इस चुनाव के बाद भारतीय लोकतंत्र दांव पर रहेगा लेकिन लगता है कि इस चुनाव के दौरान ही भारतीय लोकतंत्र दांव पर लग गया है। चुनाव आयोग ने तो अभी तक सूरत की घटना का संज्ञान लिया और न ही इंदौर की घटना का।
भाजपा के मुकेश दलाल 22 अप्रैल को गुजरात के सूरत से निर्विरोध निर्वाचित हुए। कांग्रेस के नीलेश कुंभानी की उम्मीदवारी एक दिन पहले खारिज कर दी गई थी क्योंकि जिला रिटर्निंग अधिकारी ने पहली नजर में ही प्रस्तावकों के हस्ताक्षर में विसंगतियां पाई थीं।
भाजपा की नजर सिर्फ कमजोर या टूट जाने वाले कांग्रेस प्रत्याशियों के शिकार पर ही नहीं लगी हुई है। उसकी नजर बाकी दलों के प्रत्याशियों पर भी है। ओडिशा में लोकसभा और विधानसभा चुनाव से पहले शुक्रवार को बीजेडी के सोरो विधायक परशुराम ढाडा अचानक भाजपा में चले गए। इससे पहले 27 अप्रैल को दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी के सदस्यों समेत बड़ी संख्या में सिख बीजेपी में शामिल हुए थे। जेपी नड्डा ने कहा था कि सिख पीएम मोदी का एहसान मानते हैं। इसलिए भाजपा में आए। लेकिन रविवार को जिस तरह दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने इस्तीफा दिया, उस प्रकरण को भी इससे जोड़ा जा रहा है। कहा जा रहा है कि धार्मिक सिख नेताओं ने लवली पर इस्तीफे का दबाव बनाया और भाजपा को फायदा पहुंचाया।
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