लालू प्रसाद यादव जब तीन साल बाद किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में नज़र आए और संबोधन दिया तो उनके तेवर बदले नहीं थे। वह शारीरिक रूप से कमजोर और उनकी आवाज़ थोड़ी लड़खड़ाती हुई ज़रूर थी, लेकिन बात रखने के तेवर वही थे। उन्होंने पार्टी के स्थापना दिवस कार्यक्रम में कहा कि 'मैं विश्वास दिलाना चाहता हूँ कि हम पीछे हटने वाले नहीं हैं। मिट जाएँगे- मिट जाएँगे लेकिन हमलोग टूटने वाले नहीं हैं।'
चाहे अपने लोगों को संदेश देने की बात हो या फिर विरोधियों पर निशाना साधने की या फिर सामाजिक राजनीतिक मुद्दों पर बात रखने की, लालू यादव हर उन मुद्दों पर बेबाक होकर बोले- महंगाई से लेकर धार्मिक ध्रुवीकरण के ख़तरे और सामाजिक तानाबाना से छेड़छाड़ तक मुद्दे पर भी।
राष्ट्रीय जनता दल के 25 साल पूरे होने के मौक़े पर आयोजित कार्यक्रम में लालू यादव दिल्ली से ऑनलाइन यानी वर्चुअल रूप से शामिल हुए। वह तीन साल से ज़्यादा जेल में रहने के बाद हाल ही में ज़मानत पर रिहा हुए हैं।
लालू ने पार्टी कार्यकर्ताओं में तो ऊर्जा भरने की कोशिश की ही, विरोधियों पर हमले भी किए। लेकिन जिस तरह के चुटकिले और हँसी-ठिठोली वाले तंज के अंदाज़ में वह भाषण देते रहे हैं, उस तरह का उनका अंदाज़ नहीं दिखा।
राजद नेता ने कहा कि हमने सुनिश्चित किया कि गरीब और कमजोर वर्ग मतदान केंद्रों तक पहुंचे और गरीबों को उनका हक मिलने पर वे (उनके आलोचक) नाराज हो गए।
उन्होंने कहा कि जब ग़रीबों के हाथ में सत्ता आई तो कुछ लोगों को दिक्कतें होने लगीं और इसलिए वैसे लोगों ने उसे जंगल राज कहना शुरू किया।
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लालू ने कहा कि वह इन शक्तियों से लड़ेंगे, चाहे जो भी हो। लालू यादव ने नीतीश सरकार की यह कहकर आलोचना की कि उनकी सरकार में भ्रष्टाचार व्याप्त है। उन्होंने कोरोना संकट पर अव्यवस्था होने, राज्य में हर रोज़ हत्याएँ होने का भी आरोप लगाया।
लालू ने बिना नाम लिए बीजेपी और आरएसएस पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सामाजिक तानाबाना को नष्ट किया जा रहा है और एक बार फिर नारा लगाया जा रहा है, 'अयोध्या के बाद मथुरा'। उन्होंने बेरोज़गारी और महंगाई को लेकर भी सरकार की तीखी आलोचना की। पेट्रोल और डीज़ल की कीमतों का मुद्दा उठाया। उन्होंने बीजेपी सरकार में देश की ख़राब आर्थिक स्थिति का भी ज़िक्र किया।
राजद नेता ने अपने बेटे तेजस्वी के नेतृत्व की भी जमकर तारीफ़ की। उन्होंने कहा, 'कम उम्र में तेजस्वी ने बिहार जैसे राज्य में नैया को पार लगाया, इसकी हमें उम्मीद नहीं थी। लेकिन तेजस्वी ने कर दिखाया है।' बता दें कि लालू यादव की ग़ैर-मौजूदगी में बिहार विधानसभा चुनाव हुआ, जो उनके छोटे बेटे तेजस्वी यादव की अगुआई में लड़ा गया और उनकी पार्टी ने उम्मीद से बेहतर प्रर्दशन किया। इसके साथ ही लालू ने यह भी उम्मीद जताई कि वह जल्द ही पार्टी समर्थकों के बीच होंगे।
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