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कपिल सिब्बल- आधुनिक भारत का इतिहास 2014 से शुरु होना चाहिए

एनसीईआरटी की 12वीं कक्षा की नई पाठ्यपुस्तकों से गांधी हत्या, मुगल इतिहास तथा लोकतंत्र जैसे कुछ अध्यायों को हटाए जाने पर उसकी आलोचना हो रही है। लगातार हो रही आलोचना के बीच इस मसले पर राज्यसभा सांसद पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने मोदी सरकार पर हमला बोला है। सिब्बल ने पाठ्यक्रम में किये जा रहे बदलावों पर एक ट्वीट में लिखा कि नरेंद्र मोदी के अनुसार आधुनिक भारत का इतिहास 2014 में उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद से शुरु होना चाहिए।
कपिल सिब्बल का यह ट्वीट ऐसे समय आया है, जब पिछले कई दिनों से एनसीईआरटी द्वारा किताबों में किये जा रहे बदलाव की खबरें लगातार आ रही हैं। किताबों में किए जा रहे बदलावों को लेकर एनसीईआरटी का कहना है कि यह बदलाव इसलिए किये जा रहे हैं ताकि पाठ्यक्रम को युक्तिसंगत तथा स्कूली छात्रों के कंधों से बस्ते का बोझ कम किया जा सके। किताबों में किए गये बदलावों को लेकर इंडियन एक्सप्रेस ने एक खबर की है जिसमें पाठ्यपुस्तकों से हटाए गये विषयों पर विस्तार से जानकारी दी गई है।
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पाठ्यक्रम में हो रहे बदलावों पर लोकसभा सांसद तथा ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी केंद्र सरकार पर हमला बोला है। ओवैसी ने केंद्र की बीजेपी सरकार पर आरोप लगाया है कि वह एनसीईआरटी के जरिए किताबों में बदलाव कर सरकार मुगल इतिहास मिटाने में जुटी है। जबकि चीन हमारा वर्तमान मिटा रहा है। 
पिछले दिनों खबर आई थी कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश के ग्यारह स्थानों का नाम बदल दिया है, और बदले गये नामों वाले स्थानों को चीन का हिस्सा माना है। भारत सरकार ने चीन की इस हरकत पर तीखी आलोचना की है। 
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ओवैसी ने इस मसले पर केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा, 'एक तरफ मोदी सरकार एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम से मुगलों को मिटा रही है, वहीं दूसरी तरफ चीन, जिसके साथ पीएम मोदी इंडोनेशिया में G-20 सम्मेलन में हाथ मिला रहे थे, वो हमारे वर्तमान को मिटा रहा है।  
एनसीईआरटी द्वारा किये जा रहे बदलाव वही हैं जिनसे बीजेपी और संघ को दिक्कत होती है। जैसे, गांधी हत्या से जुड़े पैराग्राफ और अध्याय, जो बीजेपी और उसके पैतृक संगठन संघ के लिए जब तब मुसीबत बनता रहता है, और 70 साल बीत जाने के बाद भी संघ इससे पीछा नहीं छुड़ा पा रहा है। या फिर लोकतंत्र, जिस तरह से मोदी सरकार काम कर रही है वह लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के तहत तो बिल्कुल भी नहीं है। इस मसले पर उसे देश-विदेश में लगातार कटघरे में खड़ा किया जाता रहा है। ऐसे में मोदी सरकार को लग रहा है कि किताबों में बदलाव करके इन पुरानी चीजों से जल्दी और आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है।
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क़मर वहीद नक़वी
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