देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस एक के बाद एक चुनाव तो हार ही रही है वह नेताओं के लगातार पार्टी छोड़ने को लेकर भी परेशान है। बीते 8 सालों में कई बड़े सियासी सूरमा कांग्रेस से किनारा कर चुके हैं।
हाल में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन एक बार फिर बेहद खराब रहा और किसी नए राज्य में जीत हासिल करने के बजाय उसने पंजाब को भी गंवा दिया।
बुधवार को जब वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है तो यह याद आया कि पिछले 5 महीने में सिब्बल ऐसे पांचवें बड़े नेता या बड़े चेहरे हैं जिन्होंने कांग्रेस को अलविदा कहा है।
आइए जानते हैं कि ये 5 नेता कौन हैं।
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कपिल सिब्बल
कपिल सिब्बल के पास वकालत के साथ ही लंबा राजनीतिक अनुभव भी है। सिब्बल केंद्र सरकार में सूचना प्रौद्योगिकी से लेकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय सहित कई अहम मंत्रालय संभाल चुके हैं। सिब्बल अपने राजनीतिक जीवन में कई बार राज्यसभा सांसद रहने के साथ ही एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया और सुप्रीम कोर्ट की बार एसोसिएशन के तीन बार अध्यक्ष भी रहे हैं। सिब्बल ने 2004 में चांदनी चौक सीट से लोकसभा का चुनाव जीता था और मनमोहन सिंह सरकार में मंत्री बने थे।
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सुनील जाखड़
कुछ दिन पहले ही कांग्रेस छोड़ने वाले पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ पंजाब में पार्टी के हिंदू चेहरे थे। जाखड़ एक वक्त में पंजाब में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार थे लेकिन कहा जाता है कि हिंदू चेहरा होने की वजह से वह मुख्यमंत्री नहीं बन सके। जाखड़ पंजाब में तीन बार विधायक और गुरदासपुर से सांसद भी रहे हैं। वह पंजाब में विपक्ष के नेता और लंबे वक्त तक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे। उनके पिता बलराम जाखड़ भी कांग्रेस में तमाम बड़े पदों पर रहे थे।
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हार्दिक पटेल
गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रहे हार्दिक पटेल ने भी कुछ दिन पहले कांग्रेस को छोड़ दिया। हार्दिक पटेल को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का करीबी माना जाता था और राहुल की पसंद पर ही उन्हें जुलाई 2020 में गुजरात कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर बड़ी जिम्मेदारी दी गई थी। हार्दिक ने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की सदस्यता ली थी लेकिन वह जल्द ही पार्टी छोड़कर चले गए। हार्दिक पटेल ने इस्तीफ़ा देने के बाद किसी का नाम लिए बिना चिकन सैंडविच का तंज कसकर राज्य में कांग्रेस के नेताओं पर हमला किया था।
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अश्विनी कुमार
इस साल फरवरी में पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने भी कांग्रेस से अपने रास्ते अलग कर लिए थे। अश्विनी कुमार चार दशक से कांग्रेस से जुड़े थे और कांग्रेस में जब 23 वरिष्ठ नेताओं ने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर तमाम सवाल उठाए थे तो उस वक्त वह सोनिया गांधी के समर्थन में मजबूती के साथ खड़े रहे थे। लेकिन बावजूद इसके वह पार्टी छोड़कर चले गए।
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आरपीएन सिंह
फरवरी में ही पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे। आरपीएन सिंह मनमोहन सरकार के कार्यकाल में केंद्र में मंत्री रहे थे और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी लोगों में शुमार थे। उत्तर प्रदेश में आरपीएन सिंह के जाने से कांग्रेस को एक बड़ा चेहरा खोना पड़ा था। इसके बाद चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन भी बेहद खराब रहा था।
इसके अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद, सुष्मिता देव, अमरिंदर सिंह, लुइजिन्हो फलेरो सहित कई बड़े नेता कांग्रेस से किनारा कर चुके हैं। पार्टी लगातार लोकसभा के 2 चुनाव हार चुकी है और पार्टी के अंदर बगावती नेताओं के गुट G23 के कारण भी पार्टी की खासी फजीहत हो चुकी है।
लगातार चुनावी हार से पस्त कांग्रेस के लिए 2024 का चुनाव बेहद अहम है। लेकिन 2024 का चुनाव लड़ने के लिए उसे 2022 और 2023 के चुनावी राज्यों में बड़ी जीत हासिल करनी होगी वरना वह यूपीए गठबंधन का नेतृत्व भी नहीं कर पाएगी।
गिने-चुने दो राज्यों में सरकार चला रही कांग्रेस के सामने चुनौतियों का पहाड़ खड़ा है और देखना होगा कि 2 साल बाद होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए वह किस तरह खुद को तैयार कर पाती है।
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