विपक्षी नेताओं की एकजुटता की क़वायद सोमवार रात को परवान चढ़ते तब दिखाई दी जब कांग्रेस के बड़े नेता कपिल सिब्बल के घर पर रखे गए डिनर में कई दलों के नेता जुटे। डिनर के बाद राजनीतिक गलियारों में तमाम तरह की चर्चाएं हैं क्योंकि सिब्बल कांग्रेस में उस जी-23 गुट के नेता हैं, जिसने स्थायी अध्यक्ष और आंतरिक चुनाव की मांग को लेकर पार्टी में मोर्चा खोला हुआ है।
कई बड़े नेता हुए शामिल
डिनर का मुख्य एजेंडा 2024 में बीजेपी के ख़िलाफ़ एक फ्रंट बनाने का था। डिनर में जो नामचीन शख़्सियतें शामिल हुईं, उनमें एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार, आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव, एसपी मुखिया अखिलेश यादव, नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला, टीएमसी के डेरेक ओ ब्रायन और कल्याण बनर्जी, सीपीएम के सीताराम येचुरी, सीपीआई के डी. राजा, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, आरएलडी के जयंत चौधरी, डीएमके के तिरुचि शिवा, बीजेडी के पिनाकी मिश्रा, शिव सेना के संजय राउत, अकाली दल के नरेश गुजराल और टीडीपी और वाईएसआर कांग्रेस के नेता शामिल थे।
अहम बात यह रही कि बीजेडी, टीडीपी, वाईएसआर कांग्रेस के नेता भी डिनर में शामिल हुए जबकि संसद में दिख रही विपक्षी एकता से इन दलों ने दूरी बनाए रखी है।
जी-23 गुट के बड़े नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद, आनंद शर्मा, भूपिंदर सिंह हुड्डा, शशि थरूर, मनीष तिवारी और पृथ्वीराज चव्हाण भी डिनर में शामिल हुए। ऐसे कांग्रेस नेता जो जी-23 गुट में शामिल नहीं हैं, उनमें पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम और उनके बेटे और सांसद कार्ति चिदंबरम ने डिनर में शिरकत की।
हाल ही में दिल्ली दौरे पर आईं ममता बनर्जी ने तमाम विपक्षी नेताओं से मुलाक़ात कर बीजेपी के ख़िलाफ़ एक मज़बूत फ्रंट की संभावनाओं को टटोला था। उन्होंने सोनिया गांधी से लेकर अरविंद केजरीवाल और कई नेताओं से मुलाक़ात की थी।
यूपी चुनाव पर हुई चर्चा
डिनर में 2022 के उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव को लेकर भी चर्चा हुई। डिनर में हालांकि अखिलेश यादव शामिल हुए लेकिन उत्तर प्रदेश में तो कांग्रेस और एसपी का कोई गठबंधन नहीं है, इसी तरह पंजाब में कांग्रेस और अकाली दल आमने-सामने हैं, ऐसे में इन राज्यों में ये दल क्या करेंगे, यह एक बड़ा सवाल है। डिनर में इस बात पर चर्चा हुई है कि विपक्षी दलों को उत्तर प्रदेश में एक-दूसरे के ख़िलाफ़ नहीं लड़ना चाहिए।
अखिलेश के समर्थन पर बात
जी-23 गुट के एक नेता ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को बताया कि सभी विपक्षी दलों की कोशिश उत्तर प्रदेश के चुनाव में साथ जाने और अखिलेश यादव का समर्थन करने की है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस वहां जीत की स्थिति में नहीं है और हमें एसपी की मदद करनी होगी और तभी हम चुनाव जीत सकते हैं। उन्होंने कहा कि सभी विपक्षी दलों को एक-दूसरे का समर्थन करना चाहिए और जो दल जीतने वाली स्थिति में हों, उनके उम्मीदवारों के पीछे खड़े होना चाहिए।
कांग्रेस रही निशाने पर
अकाली दल के नेता नरेश गुजराल ने कांग्रेस नेताओं से साफ कहा कि पार्टी को अब परिवार के चंगुल से मुक्त हो जाना चाहिए। अब्दुल्ला ने भी इसी ओर इशारा किया। जबकि बीजेडी के नेता पिनाकी मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस ओडिशा में बड़ी राजनीतिक ताकत नहीं है।
एक अहम बात यह भी रही कि शरद पवार और अखिलेश यादव राहुल गांधी के नाश्ते पर नहीं गए थे जबकि दोनों सिब्बल के डिनर में आए।
सिब्बल कह चुके हैं कि लोग अब कांग्रेस को एक प्रभावी विकल्प के रूप में नहीं देखते और पार्टी नेतृत्व उन मुद्दों पर ध्यान नहीं दे रहा है, जिनसे पार्टी जूझ रही है। उनके इस बयान पर कांग्रेस के ही कई सियासी दिग्गजों ने उनके ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया था।
जी-23 पर हुआ था बवाल
जी-23 गुट को लेकर कांग्रेस में काफी बवाल हो चुका है। लोकसभा में संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने इस गुट के नेताओं पर ज़ोरदार हमला करते हुए कहा था कि इन लोगों ने पार्टी से फ़ायदा ले लिया है और अब वे अपने नए आकाओं को खुश करने के लिए पार्टी की आलोचना कर रहे हैं। चौधरी ने बीजेपी का नाम तो नहीं लिया था, लेकिन इशारों-इशारों में यह ज़रूर कहा था कि ये लोग बीजेपी में शामिल होना चाहते हैं।
अपनी राय बतायें