काशी में ज्ञानवापी मस्जिद विवाद और मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि विवाद के मामले में बीजेपी की ओर से पहली बार बड़ा बयान सामने आया है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा है कि अदालतों में संविधान के रास्ते ही इन मामलों में फैसला किया जाना चाहिए।
बता दें कि काशी-मथुरा विवाद के बीच ही ताजमहल में बंद पड़े 22 कमरों को खुलवाने की मांग और दिल्ली में स्थित कुतुब मीनार को विष्णु स्तंभ घोषित करने की मांग भी बीते दिनों जोर-शोर से उठी है।
काशी-मथुरा विवाद पर अदालतों में सुनवाई जारी है।
नड्डा ने सोमवार शाम को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि बीजेपी हमेशा सांस्कृतिक विकास की बात करती है लेकिन काशी और मथुरा ऐसे मामले हैं जिन्हें अदालतों में संविधान के जरिए ही हल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अदालत इस मामले में फैसला करेगी और बीजेपी उसे पूरी तरह मानेगी।
इस सवाल के जवाब में कि क्या काशी और मथुरा के मंदिरों पर दावा करना बीजेपी के एजेंडे में है, नड्डा ने कहा कि राम जन्मभूमि के मुद्दे पर बीजेपी के पालमपुर अधिवेशन में प्रस्ताव पास किया गया था लेकिन उसके बाद से अब तक ऐसा कोई भी प्रस्ताव नहीं आया है।
बता दें कि जून 1989 में हुए पालमपुर अधिवेशन में बीजेपी ने राम जन्मभूमि के मुद्दे पर प्रस्ताव पास किया था। इसके बाद विश्व हिंदू परिषद ने राम मंदिर निर्माण को मुद्दा बनाया और पूर्व उप प्रधानमंत्री एलके आडवाणी ने भी इस मुद्दे पर रथ यात्रा निकाली थी।
बीजेपी ने भी अपने तमाम घोषणा पत्रों में अयोध्या में भगवान राम के मंदिर का निर्माण होने का वादा किया था।
नड्डा ने कहा कि बीजेपी का प्रयास सभी को साथ लेकर चलने का है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार सबका साथ, सबका विश्वास और सबका प्रयास के मंत्र पर चलती है।
केंद्र में 8 साल पूरे
बता दें कि मोदी सरकार ने केंद्र में अपने 8 साल पूरे कर लिए हैं। बीजेपी ने इस मौके पर एक थीम सॉन्ग भी जारी किया है जिसका शीर्षक ‘नए भारत की शिल्पकार मोदी सरकार’ है।
बहरहाल, जेपी नड्डा के इस बयान के बाद यह माना जाना चाहिए कि बीजेपी काशी और मथुरा में मंदिर निर्माण को राजनीतिक मुद्दा नहीं बनाएगी।
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