Rajnath Singh: BJP won several elections under leadership of Amit Shah Ji. But since PM appointed him Home Minister, Amit Shah Ji himself said the responsibility of party president should be given to someone else. BJP Parliamentary board has selected JP Nadda as working president pic.twitter.com/Z7boOluF6O
— ANI (@ANI) June 17, 2019
शाह के आगे कितनी चलेगी नड्डा की?
कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने के बाद यह सवाल उठ रहा है कि पार्टी में फ़ैसले लेने में किसकी चलेगी? कहीं अमित शाह और नड्डा के बीच टकराव तो नहीं होगा? हालाँकि, जानकारों का मानना है कि दोनों के बीच टकराव की नौबत ही नहीं आएगी, क्योंकि दोनों के बीच काफ़ी मधुर संबंध हैं। बता दें कि जे.पी. नड्डा का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी गहरे संबंध हैं। मोदी जब हिमाचल के प्रभारी थे, तब से दोनों की जान-पहचान है। जब नड्डा बीजेपी युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे उसी समय अमित शाह युवा मोर्चा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष बनाए गए थे। मोदी सरकार बनने के बाद नड्डा का क़द पार्टी और सरकार दोनों में काफ़ी बड़ा हुआ है। नड्डा को पार्टी अध्यक्ष अमित शाह का दाहिना हाथ माना जाता है। यही कारण है कि अमित शाह ने इस बार जेपी नड्डा को उत्तर प्रदेश की ज़िम्मेदारी दी थी जिसे उन्होंने फतह करके दिखा दिया। नड्डा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे हैं और वह मोदी की अगुवाई वाली पिछली सरकार में स्वास्थ्य मंत्री थे।
राजनीति में नड्डा का सफ़र
पटना में जन्मे नड्डा की शुरुआती पढ़ाई पटना के सेंट जेवियर्स स्कूल से हुई। वह 16 साल की उम्र में छात्र राजनीति में उतर गए थे और एबीवीपी से जुड़े। नड्डा को 1982 में संगठन का प्रचारक बनाकर हिमाचल प्रदेश भेजा गया। नड्डा 1983-1984 में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में विद्यार्थी परिषद के पहले अध्यक्ष बने। वह 1986 से 1989 तक एबीवीपी के राष्ट्रीय महासचिव रहे। 1989 के लोकसभा चुनाव में नड्डा को बीजेपी युवा मोर्चा का चुनाव प्रभारी बनाया गया। राजनाथ सिंह के बाद 1990 में नड्डा युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए। 1993 में जेपी नड्डा पहली बार हिमाचल विधानसभा पहुँचे। नड्डा ने 1994 से 1998 तक विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में काम किया। 2008 से 2010 तक हिमाचल सरकार में मंत्री रहे। 2012 में नड्डा को हिमाचल प्रदेश से राज्यसभा भेजा गया।
सबसे सफल अध्यक्ष रहे हैं शाह
जे.पी. नड्डा की तरह अमित शाह ने भी राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ से जुड़े छात्र संगठन एबीवीपी के रास्ते राजनीति में क़दम रखा। शाह पार्टी के आम कार्यकर्ता से राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद तक पहुँचे हैं। शाह को राजनीति का चाणक्य यूँ ही नहीं कहा जाता है, उन्होंने कई मौक़ों पर अपने रणनीतिक कौशल से दिखाया है कि विपरीत परिस्थितियों में पार्टी को कैसे जीत दिलाई जाती है। ख़ुद नरेंद्र मोदी, शाह को पार्टी का सबसे सफल राष्ट्रीय अध्यक्ष बता चुके हैं।शाह राष्ट्रीय राजनीति में तब चर्चा में आए थे जब 2014 में बीजेपी ने उन्हें बेहद अहम उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया था। किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि लंबे समय से उत्तर प्रदेश की सत्ता से बाहर बीजेपी अपने दम पर राज्य की 80 में से 71 सीटें जीत सकती है। लेकिन शाह के नेतृत्व में पार्टी को बंपर जीत मिली और उन्हें 2014 के चुनाव के बाद पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया।तो क्या अमित शाह के नक्शे क़दम पर चलते हुए जे.पी. नड्डा भी पार्टी को नई ऊँचाई पर पहुँचाएँगे, यह तो आने वाला वक़्त ही बाएगा।
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