भारत जोड़ो यात्रा जम्मू कश्मीर की सीमा में 19 जनवरी को पहुंचेगी लेकिन उससे पहले राज्य में राजनीतिक घटनाक्रम तेज हो गए हैं। गुलाम नबी आजाद की डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी (डीएपी) के वजूद पर खतरा मंडरा रहा है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने दावा किया है कि डीएपी के ढेर सारे नेता मंगलवार 17 जनवरी को पार्टी में शामिल होने वाले हैं।
इस महीने की शुरुआत में, जम्मू कश्मीर में डीएपी के 17 नेताओं, जिनमें पूर्व उपमुख्यमंत्री तारा चंद शर्मा और पीरज़ादा मोहम्मद सईद शामिल थे, ने डीएपी से खुद को आज़ाद किया और कांग्रेस के खेमे में लौट आए थे। इस घटना से आजाद की क्षेत्रीय राजनीति को काफी धक्का लगा। दरअसल, गुलाम नबी आजाद कांग्रेस की मुख्यधारा की पॉलिटिक्स को छोड़कर जम्मू कश्मीर में क्षेत्रीय राजनीति करने जा पहुंचे और अपनी डीएपी की स्थापना की। शुरू में कांग्रेस से तमाम लोग आजाद की पार्टी में आ गए लेकिन जल्द ही कांग्रेस से आए हुए नेताओं का आजाद की राजनीति से मोह भंग हुआ और वे सभी कांग्रेस में लौटने लगे।
17 लोगों के कांग्रेस में लौटने के बाद गिनती के नेता ही डीएपी में बचे थे। अगर वे कल मंगलवार को कांग्रेस में लौट आते हैं तो आजाद की पार्टी का नामलेवा भी राज्य में नहीं बचेगा। क्योंकि जो लोग कांग्रेस छोड़कर आए थे, आजाद की पार्टी के लिए वही लोग जमीनी नेता थे लेकिन उनके चले जाने पर डीएपी का आधार ही खत्म हो जाएगा।
Tomorrow more leaders from DAP-Disappearing Azad Party will end their leave of absence and return to where they belong. Expect news from Jammu which is all set to welcome #BharatJodoYatra on Jan 19th.
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) January 16, 2023
भारत जोड़ो यात्रा का जम्मू कश्मीर में बेसब्री से इंतजार हो रहा है। इस महीने की शुरुआत में, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला पैदल मार्च के दौरान राहुल गांधी के साथ शामिल हुए थे। राहुल गांधी द्वारा अब्दुल्ला को गले लगाने का एक वीडियो साझा करते हुए कांग्रेस ने कहा था- इस प्यार और आशीर्वाद से हम अपने लक्ष्य तक पहुंच जाएंगे... हम देश को एक करने निकले हैं, हम देश को जोड़कर दिखाएंगे। फारूक अब्दुल्ला के यात्रा में जाकर राहुल से मिलने का जम्मू कश्मीर में काफी असर हुआ। उसके बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के कार्यकर्ता भारत जोड़ो यात्रा को लेकर सक्रिए हो गए और यह स्थिति बनी हुई है। इसके बाद आजाद को लोग छोड़कर कांग्रेस में आने लगे।
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