बिहार के सीएम और विपक्षी एकता के सूत्रधार नीतीश के इस बयान को ध्यान से पढ़िए। उनके बयान को एएनआई ने वीडियो के रूप में जारी किया है। नीतीश ने कहा- "मैं चाहता हूं कि काम आगे बढ़े। खबरों में कहा जा रहा था कि मैं बैठक में शामिल नहीं होने वाला हूं। मैं बुखार से पीड़ित था। क्या यह संभव है कि मैं बैठक में न जाऊं? गठबंधन की अगली बैठक में हमें भविष्य की योजना बनानी चाहिए।''
दरअसल, इससे पहले खबरें आई थीं कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन की 6 दिसंबर की बैठक में नहीं आएंगे। फिर टीएमसी की ममता बनर्जी और सपा के अखिलेश यादव की भी ऐसी ही खबरें आईं। स्टालिन (डीएमके) तमिलनाडु में आए तूफान और तबाही की वजह से नहीं आ रहे थे। इस वजह से कांग्रेस ने इस बैठक को टाल दिया और 6 दिसंबर की शाम को इंडिया के कोर्डिनेशन कमेटी की बैठक बुला ली। लेकिन इस घटनाक्रम से गलत संदेश जा रहा था। लेकिन नीतीश के बयान के बाद स्थिति थोड़ा साफ हो गई है।
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इंडिया गठबंधन को लेकर आरजेडी संस्थापक लालू प्रसाद यादव ने जब मंगलवार को कड़ा स्टैंड लिया तो बहिष्कार समर्थक टोला थोड़ा डिफेंसिव हुआ। लालू यादव ने मंगलवार को कहा था कि इंडिया गठबंधन की बैठक होगी और यह बैठक 16 दिसंबर को होगी। मैं और तेजस्वी दोनों ही इसमें शामिल होंगे।
एआईसीसी ऑफिस इंचार्ज गुरदीप सप्पल ने मंगलवार को एक ट्वीट करके गेंद क्षेत्रीय विपक्षी दलों के पाले में डाल दी थी। सप्पल ने 6 दिसंबर की इंडिया की मुख्य बैठक स्थगित करने और इसे दिसंबर के तीसरे हफ्ते में होने की बात कही। लेकिन उन्होंने कोर्ऑर्डिनेशन कमेटी की बैठक 6 दिसंबर की शाम को होने की घोषणा कर दी। सप्पल के बयान के बाद लालू ने बयान देकर चीजों को और साफ कर दिया।
लालू के स्टैंड लेने से जेडीयू अकेले दम पर बिहार में कुछ नहीं कर सकती, यह उसने देख लिया है। उसके पास भाजपा से मिलने के अलावा कोई चारा नहीं होगा लेकिन जेडीयू और आरजेडी गठबंधन के जरिए मिले बेहतर नतीजों को देख लिया है तो वो आरजेडी के साथ रहेंगे। इंडिया गठबंधन के साथ रहना नीतीश की फिलहाल मजबूरी है।
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