तीन राज्यों में भाजपा की प्रचंड जीत के बाद इंडिया गठबंधन के नेता भी अब फिर से एकता की कोशिशों में जुट गए हैं। एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक इंडिया गठबंधन की अगली बैठक दिल्ली में 19 दिसंबर को हो सकती है। इस बैठक में आगामी चुनावों के लिए सीटों का बंटवारा प्रमुख मुद्दा होगा।
तीन राज्यों एमपी, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में मिली हार के बाद कांग्रेस की स्थिति पहले जैसी नहीं है। कांग्रेस के लिए सीट-बंटवारे पर बातचीत कठिन होने की उम्मीद है। कांग्रेस को सिर्फ दक्षिण भारत के राज्य तेलंगाना में सफलता मिली है। दक्षिण में वो पहले से ही बेहतर स्थिति में है। लेकिन अगला लोकसभा चुनाव यूपी और बिहार में प्रमुख रूप से लड़ा जाएगा। वहां के क्षेत्रीय दल अब कांग्रेस पर बयानों में भारी पड़ रहे हैं।
राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने रविवार को कहा कि उनकी पार्टी पूरी तरह से इंडिया गठबंधन के साथ है। हम लोग अगली बैठक का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। बता दें कि आरएलडी ने हाल ही में राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। भरतपुर सीट आरएलडी के हिस्से में आई थी, जिस पर उसने जीत हासिल की है। जयंत चौधऱी ने कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए राजस्थान में प्रचार भी किया था। आरएलडी का पश्चिमी यूपी में सपा के साथ समझौता है। लेकिन आरएलडी अब कांग्रेस के नजदीक ज्यादा है। सपा को पश्चिमी यूपी में आरएलडी की जरूरत है। ऐसे में जयंत चौधरी की रविवार की घोषणा मायने रखती है।
इस बीच एनडीटीवी के मुताबिक सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के साथ अपने मतभेद भी सुलझा लिए हैं, जिससे पांच राज्यों में हाल के चुनावों के बाद पहली ऐसी बैठक में उनकी उपस्थिति का संकेत मिलता है।
इसी हफ्ते 9 दिसंबर को इंडिया गठबंधन के नेताओं की बैठक को स्थगित कर दिया गया था क्योंकि अखिलेश यादव, नीतीश कुमार और ममता बनर्जी समेत कई नेताओं ने संकेत दिया था कि वे बैठक में शामिल नहीं हो सकते हैं। उसके बाद बैठक स्थगित कर दी गई थी। लेकिन इंडिया कोऑर्डिनेशन कमेटी की बैठक में उसी दिन 17 दलों के नेता पहुंचे थे और 38 विपक्षी नेता रात को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के डिनर में शामिल हुए थे।
इंडिया गठबंधन के तहत 28 राजनीतिक दल एक मंच पर जमा हुए थे और वहीं इंडिया का जन्म हुआ था। इंडिया का मुख्य मकसद है 2024 में सत्तारूढ़ भाजपा को हराने के लिए मिलकर चुनाव लड़ना। लेकिन मामला आगे बढ़ता, उससे पहले ही सपा के अखिलेश यादव और आम आदमी पार्टी के अरविन्द केजरीवाल ने एमपी, छत्तीसगढ़ में अपने प्रत्याशी उतार दिए। कांग्रेस और सपा के बीच तीखी बयानबाजी हुई और इंडिया गठबंधन टूटने की कगार पर आ गया। लेकिन तीन राज्यों में मिली करारी हार के बाद विपक्षी दलों को फिर से अक्ल आ गई है और वे एकजुट होने की कोशिश कर रहे हैं।
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