आप के हरियाणा के उपाध्यक्ष अनुराग ढांडा ने पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन के लिए इसके राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की गैरमौजूदगी को जिम्मेदार ठहराया। जिन्हें देर से जमानत मिली और वो अंतिम समय में कुछ सीटों पर प्रचार के लिए पहुंचे। हालाँकि, उन 11 सीटों के विश्लेषण से पता चलता है कि जहां दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री ने प्रचार किया था, वहां भी पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली, लेकिन पांच ऐसी सीटों पर जीत के अंतर से अधिक वोट मिले, जिसने विशेष रूप से कांग्रेस की संभावनाओं को नुकसान पहुंचाया।
हरियाणा के मौजूदा चुनावों में भाजपा ने लगातार तीसरी बार जीत हासिल की और कांग्रेस की 37 सीटों के मुकाबले 90 में से 48 सीटें हासिल कीं। उसे अब तीन निर्दलीयों का भी समर्थन मिल गया है। तीन निर्दलीयों में दो तो भाजपा के ही बागी थे और एक कांग्रेस का बागी है।
AAP और कांग्रेस दोनों इंडिया गठबंधन का हिस्सा हैं, लेकिन लोकसभा चुनावों के विपरीत, वे राज्य में विधानसभा चुनावों के लिए सीट-बंटवारे के समझौते पर नहीं पहुंच सके। 13 सितंबर को तिहाड़ जेल से जमानत पर रिहा हुए केजरीवाल ने 20 सितंबर को हरियाणा में चुनाव प्रचार शुरू किया था।
यह अलग बात है कि 90 में से 89 सीटों पर चुनाव लड़ने के बाद AAP अपना खाता खोलने में असफल रही और उसे सिर्फ 1.79% वोट शेयर मिला। हालांकि केजरीवाल हरियाणा के रहने वाले हैं लेकिन आप का खाता इस राज्य में आज तक नहीं खुल सका। शुरुआत में आप को आरएसएस और भाजपा से जुड़े वैश्य समुदाय ने समर्थन दिया था लेकिन वो वोट में नहीं बदला।
हरियाणा के 11 निर्वाचन क्षेत्रों में जहां केजरीवाल ने प्रचार किया - बल्लभगढ़, असंध, रेवाड़ी, बादशाहपुर, भिवानी, पुंडरी, महम, कलायत, रानिया, डबवाली और जगाधरी थीं। इनमें से तीन सीटों रेवाड़ी, भिवानी और जगाधरी में आप का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा वो तीसरे स्थान पर रही। आप एक सीट पर चौथे, पांच सीटों पर पांचवें और एक-एक सीट पर सातवें और आठवें स्थान पर रही।
आप हरियाणा उपाध्यक्ष अनुराग ढांडा ने कलायत सीट से चुनाव लड़ा था और 5,482 वोट पाकर कांग्रेस विजेता से 42,000 से अधिक वोट पीछे रहे थे। लेकिन कांग्रेस इतने ही अंतर से इस सीट को हार गई। ढांडा ने कहा कि अगर पार्टी के पास अधिक समय होता, तो वह गुजरात जैसा प्रदर्शन दोहरा सकती थी, जहां 2022 के विधानसभा चुनावों में, उसने पांच सीटें और 12.92% वोट शेयर हासिल किया था। उन्होंने कहा कि “गुजरात चुनाव के दौरान हमारे पास चार महीने थे। लेकिन केजरीवाल को हरियाणा से दूर रखने की भाजपा की योजना के परिणामस्वरूप यह हुआ।''
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