गुजरात दंगे से जुड़े एक मामले में एसआईटी के हलफनामे के बाद बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने आ गए हैं। बीजेपी ने कहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बदनाम करने के लिए तीस्ता सीतलवाड़ का इस्तेमाल किया। जबकि कांग्रेस ने एसआईटी के हलफनामे में कही गई बातों को पूरी तरह खारिज कर दिया है।
कांग्रेस की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया है कि एसआईटी अपने राजनीतिक आका की धुन पर नाच रही है और उससे जो करने को कहा जाएगा वह वही करेगी।
कांग्रेस ने कहा है कि इससे पहले भी बनी एसआईटी के मुखिया को गुजरात दंगों के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री को क्लीन चिट देने पर एक बड़ी जिम्मेदारी से नवाजा गया था।
कांग्रेस ने कहा है कि यह कुछ और नहीं बल्कि दुनिया छोड़कर जा चुके किसी शख्स को अपमानित करने की कोशिश है जो इस तरह के झूठ का जवाब देने के लिए मौजूद नहीं है।
कांग्रेस ने कहा है कि पटेल के खिलाफ गढ़े गए आरोप 2002 के गुजरात दंगों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा खुद को बचाने की रणनीति का हिस्सा है।
अहमद पटेल की बेटी मुमताज पटेल ने ट्वीट कर कहा है कि गुजरात चुनाव के लिए बीजेपी का अभियान अहमद पटेल के नाम को साजिश में घसीटकर शुरू हो गया है। मुमताज ने कहा है कि उनके पिता का नाम अभी भी विपक्ष को बदनाम करने के लिए इस्तेमाल किए जाने लायक वजन रखता है।
So their campaign for Gujarat election has begun by dragging @ahmedpatel ‘s name in conspiracy theories. They did it before election when he was alive & are still doing it when he is no more. #isi #terroristinhospital #sandesara #TeestaSetalvad
— Mumtaz Patel (@mumtazpatels) July 16, 2022
जबकि बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा है कि हलफनामे में ये सामने आया है कि षड्यंत्र के रचयिता सोनिया गांधी के पूर्व मुख्य राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल थे। पात्रा ने कहा कि अहमद पटेल तो सिर्फ नाम हैं, इस सबके पीछे मुख्य रूप से सोनिया गांधी हैं।
पात्रा ने कहा कि पहली क़िस्त के रूप में 30 लाख रुपये सोनिया गांधी ने तीस्ता सीतलवाड़ को दिए जबकि अहमद पटेल ने केवल डिलीवरी की थी।
एसआईटी ने हलफनामे में क्या कहा?
अहमदाबाद की सेशन कोर्ट के सामने दाखिल किए हलफनामे में एसआईटी ने कहा है कि सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ एक बड़ी साजिश का हिस्सा थीं और उन्होंने कांग्रेस के दिवंगत नेता अहमद पटेल की मदद से 2002 में नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली गुजरात की बीजेपी सरकार को गिराने की साजिश रची थी।
एसआईटी ने कहा है कि तीस्ता सीतलवाड़ को गुजरात के एक विपक्षी राजनीतिक दल की ओर से वित्तीय सहायता और कई दूसरी तरह की मदद मिलती थी।
एसआईटी ने कहा है कि तीस्ता सीतलवाड़ के साथ ही पूर्व डीजीपी आरबी श्रीकुमार और पूर्व आईपीएस अफसर संजीव भट्ट भी इस साजिश का हिस्सा थे और किसी भी तरीके से तत्कालीन राज्य सरकार को गिराना चाहते थे। बताना होगा कि उस वक्त नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे।
तीस्ता सीतलवाड़ को कुछ दिन पहले गुजरात दंगों के मामले में सबूतों को कथित रूप से गढ़ने से छेड़छाड़ करने को लेकर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था उनके साथ ही पूर्व पुलिस महानिदेशक आरबी श्रीकुमार को भी गिरफ्तार किया गया था।
हलफनामे में एसआईटी ने दावा किया है कि तीस्ता सीतलवाड़ उस वक्त दिल्ली की हुकूमत में बैठी पार्टी के नेताओं से मिलती रहती थीं और वह गुजरात की बीजेपी सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री और कई वरिष्ठ नेताओं को दंगों के मामले में फंसाना चाहती थीं।
बड़े नेता थे अहमद पटेल
बता दें कि अहमद पटेल कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार थे और नवंबर 2020 में कोरोना संक्रमित होने के बाद उनका निधन हो गया था। सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव और कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रहे अहमद पटेल पार्टी के संकटमोचकों में शुमार थे और पार्टी के सांगठनिक मामलों को देखते थे। अहमद पटेल गुजरात से ही आते थे। 2014 में कांग्रेस की सरकार जाने के बाद अहमद पटेल पार्टी को एकजुट करने के काम में जुटे थे और उन्होंने ही एकला चलो का नारा देने वाली कांग्रेस को गठबंधन की राजनीति की जरूरत समझाई थी। इसके बाद 2004 में एक बड़ा गठबंधन कांग्रेस ने बनाया था और 2014 तक सरकार चलाई थी।
2014 में सरकार बदलने के बाद अहमद पटेल के खिलाफ इनकम टैक्स, सीबीआई और ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसियों ने कई बार कार्रवाई की थी। अहमद पटेल के बारे में कहा जाता था कि उनका केंद्रीय गृह मंत्री और गुजरात से ही आने वाले अमित शाह के साथ 36 का आंकड़ा था।
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