कांग्रेस के साथ सपा का तनाव खत्म होने का संकेत पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने शनिवार को दिया। उन्होंने कहा कि उन्हें "कांग्रेस के शीर्ष नेता से संदेश मिला है, और उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया है।" उन्होंने यह भी कहा कि जरूरत पड़ने पर सपा हमेशा कांग्रेस के साथ खड़ी रहेगी।
मध्य प्रदेश चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस के साथ बातचीत टूटने के बाद अखिलेश ने शुरू से ही आक्रामक रुख अपना लिया था। लगभग हर दिन वो बयानबाजी कर रहे थे। उन्होंने अब कहा, ''अभी, मुझे सबसे बड़े कांग्रेस नेता (सर्वोच्च कांग्रेस नेता) से संदेश मिला है। अगर वो कुछ कह रहे हैं तो मुझे इसे स्वीकार करना होगा। वो नंबर एक हैं।”
अखिलेश ने कहा, "डॉ. राम मनोहर लोहिया और नेता जी (मुलायम सिंह यादव) ने कभी कहा था कि जब कांग्रेस सबसे कमजोर स्थिति में होगी और जब उन्हें हमारी जरूरत होगी, हमें उनके साथ रहना चाहिए... हम उस परंपरा का पालन करेंगे। जब परमाणु समझौता (अमेरिका के साथ) हो रहा था, तो उन्हें (यूपीए सरकार को) हमारी जरूरत थी... और हम उनके साथ खड़े थे... जब मैंने (इस पर) नेताजी का संदेश देते हुए डॉ मनमोहन सिंह के पैर छुए, तो उन्होंने कहा कि वह समाजवादियों के समर्थन के कारण प्रधानमंत्री हैं।"
सपा प्रमुख ने दोहराया कि कांग्रेस को मध्य प्रदेश को लेकर अपनी मंशा साफ करनी चाहिए थी। सपा प्रमुख ने कहा- “अगर वे गठबंधन नहीं चाहते थे तो उन्होंने मुझे क्यों बुलाया?… जैसे इंडिया गठबंधन ने कुछ टीवी पत्रकारों का बहिष्कार करने का निर्णय लिया, उसी तरह हमें बताया जाना चाहिए था कि राज्य स्तर पर कोई गठबंधन नहीं होगा और यह केवल लोकसभा के लिए था...उनके पास इसका जवाब नहीं है...उन्हें हमारे खिलाफ साजिश नहीं रचनी चाहिए...हमें धोखा नहीं देना चाहिए था।“
कांग्रेस के कुछ नेताओं ने कहा था कि सपा को मध्य प्रदेश में प्रवेश नहीं करना चाहिए था, जहां कांग्रेस का सीधा मुकाबला बीजेपी से है। इस पर अखिलेश ने कहा था कि कांग्रेस को अब उत्तर प्रदेश में भी इसी तरह की प्रतिक्रिया की उम्मीद करनी चाहिए, जहां सपा मजबूत है।अखिलेश ने यह भी कहा कि वह अपनी पार्टी के किसी भी व्यक्ति को ''किसी भी पार्टी के बड़े नेता'' का अपमान नहीं करने देंगे। यह समाजवादियों की संस्कृति नहीं है।" इससे पहले, अखिलेश ने उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रमुख अजय राय के बयानों को "चिरकुट" कहकर खारिज कर दिया था।
कांग्रेस की जाति जनगणना की मांग पर अखिलेश के सुर अलग थे। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों के “केवल वोटों की खातिर” जाति जनगणना का समर्थन कर रही है। यह वही कांग्रेस है जिसने जाति जनगणना के आंकड़े नहीं दिए। यह (मांग) एक चमत्कार है... क्योंकि वे जानते हैं कि उनके पास अब वोट नहीं हैं।'' अखिलेश के इसी बयान के बाद कांग्रेसी नेताओं के बयान आने लगे थे। इसके बाद सपा नेताओं ने भी बयान देने शुरू कर दिए। भाजपा इसका इंतजार कर रही थी। उसने फौरन अखिलेश की आड़ लेकर कांग्रेस और राहुल गांधी पर हमला शुरू कर दिया था।
अपनी राय बतायें