राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कहना है कि दर्जी कन्हैया लाल तेली के हत्या आरोपी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से जुड़े थे। पिछले साल 28 जून को उदयपुर में दो लोगों ने कन्हैया लाल की उनकी दुकान पर हत्या कर दी थी और उनकी हत्या से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई थी।
राजस्थान के सीएम ने आरोप लगाया कि कन्हैया लाल की हत्या के आरोपियों को पुलिस ने उनकी हत्या से कुछ दिन पहले एक अन्य मामले में गिरफ्तार किया था और भाजपा नेता उन्हें छुड़ाने के लिए पुलिस स्टेशन आए थे।
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सीएम अशोक गहलोत का भाजपा पर यह छोटा आरोप नहीं है। हत्या आरोपी चूंकि मुस्लिम थे, इसलिए गहलोत ने भाजपा का संबंध सीधे मुस्लिमों से जोड़ दिया है। राजस्थान चुनाव में इस घटना का जिक्र कर गहलोत ने चुनाव की दिशा मोड़ने की कोशिश की है। आखिर गहलोत यह आरोप लगाकर क्या साबित करना चाहते हैं? हालांकि पीएम मोदी के बयान के जवाब में गहलोत ने इसे सीधे भाजपा से जोड़ दिया है लेकिन वो चुप रहकर इस पर तवज्जो ही नहीं देते। राजस्थान में चुनाव शांतिपूर्वक चल रहा है लेकिन गहलोत का यह बयान कई सवाल खड़े कर गया है।
गहलोत ने यह बात दिवाली वाले दिन कही है। उम्मीद है कि भाजपा की ओर से एक-दो दिन में इसकी करारी प्रतिक्रिया आएगी। कांग्रेस के बड़े नेता उसके बाद इस पर क्या बोलते हैं, इस पर ध्यान देने की जरूरत है। क्योंकि यह मामला तूल पकड़ सकता है। हाल ही में एक पुलिसकर्मी द्वारा दूसरे पुलिसकर्मी की बच्ची के साथ रेप की घटना को भाजपा ने राजनीतिक रंग देने की कोशिश की थी। लेकिन मामला एक ही दिन चल पाया। इसी बीच अब गहलोत का बयान आ गया। अब भाजपा गहलोत सरकार को दौसा रेप में फिर से खींचने की बजाय उदयपुर की घटना के बयान पर प्रतिक्रिया देने में उलझेगी।
एएनआई ने गहलोत के हवाले से कहा, "अपराधियों का संबंध भाजपा से है। घटना के कुछ दिन पहले, पुलिस ने इन आरोपियों को किसी अन्य मामले में गिरफ्तार किया था और कुछ भाजपा नेता उन्हें छुड़ाने के लिए पुलिस स्टेशन गए थे।"
कांग्रेस नेता ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा राजस्थान में 25 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सांप्रदायिक तनाव फैलाने की कोशिश कर रही है। गहलोत की यह टिप्पणी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस टिप्पणी के बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि कांग्रेस आतंकवादियों के प्रति सहानुभूति रखती है। उन्होंने गुरुवार को उदयपुर के पास एक चुनावी रैली के दौरान दर्जी कन्हैया लाल की नृशंस हत्या का जिक्र करते हुए यह टिप्पणी की थी।
मोदी ने उस रैली में कहा था, "कन्हैया लाल जी की हत्या राज्य सरकार पर एक बड़ा दाग है। उदयपुर में इतनी जघन्य घटना इसलिए हुई क्योंकि वहां कांग्रेस सरकार है जो आतंकवादियों से सहानुभूति रखती है।"
पीएम मोदी की टिप्पणी के जवाब में, गहलोत ने रविवार को कहा, "बात यह है कि बीजेपी को चुनावों में हार का एहसास हो गया है और इसलिए, अजीब दावे कर रहे हैं। वे हमारे द्वारा शुरू की गई योजनाओं और कानूनों के बारे में एक शब्द भी नहीं बोल रहे हैं। वे सिर्फ चुनाव से पहले गड़बड़ी फैलाना चाहते हैं।'
कन्हैया लाल की हत्या की जांच के बारे में बात करते हुए, गहलोत ने कहा कि राजस्थान पुलिस का स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) इसे राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से बेहतर तरीके से संभाल सकता था। उन्होंने कहा कि अगर एनआईए की बजाय एसओजी मामले पर काम कर रही होती तो जांच "तार्किक निष्कर्ष" तक अब तक पहुंच गई होती। उन्होंने कहा कि एनआईए ने घटना के दिन ही मामला अपने हाथ में ले लिया था और राज्य सरकार ने कोई आपत्ति नहीं जताई थी।
सीएम गहलोत ने कहा, "कोई नहीं जानता कि एनआईए ने क्या कार्रवाई की है। अगर हमारी एसओजी ने मामले को आगे बढ़ाया होता, तो दोषियों को अब तक अदलात के कटघरे में लाया गया होता।" गहलोत ने बताया, "यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी और जैसे ही मुझे इसकी जानकारी मिली, मैंने अपना निर्धारित कार्यक्रम रद्द कर दिया और उदयपुर के लिए रवाना हो गया। हालांकि, भाजपा के कई शीर्ष नेताओं ने उदयपुर घटना की जानकारी मिलने के बाद भी हैदराबाद में एक कार्यक्रम में भाग लेने का फैसला किया।"
पिछले साल जून में उदयपुर में दो लोगों ने कन्हैया लाल की उनकी दुकान पर हत्या कर दी थी, जो बाद में मौके से भाग गए थे। गौस मोहम्मद और रियास अटारी नाम के दो लोगों ने बाद में एक वीडियो रिकॉर्ड किया, जिसमें उन्होंने कन्हैया की हत्या करने की बात स्वीकार की। बाद में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
आरोपियों ने कहा था कि कन्हैया लाल की हत्या उन लोगों ने पूर्व भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा के बयान के बाद की थी, क्योंकि नूपुर शर्मा ने पैगंबर मुहम्मद के बारे में विवादास्पद टिप्पणी की थी। नूपुर की विवादित टिप्पणी से पूरा भारत उबल गया था। विदेशों खासकर खाड़ी के देशों ने इस पर आपत्ति जताई थी। नूपुर ने विवादित टिप्पणी एक टीवी चैनल पर की थी। उस घटना के बाद नूपुर को भाजपा ने पद से हटा दिया था।
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